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(GMT+08:00) 2006-10-24 13:07:06    
चीनी तिब्बत के प्रथम सांस्कृतिक मंच का आयोजन

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चीन के तिब्बत की संस्कृति बहुत विविधतापूर्ण ही नहीं इस के विकास का इतिहास भी बहुत पुराना है । लम्बे समय में तिब्बती परम्परागत संस्कृति का संरक्षण व विकास देशी-विदेशी विशेषज्ञों व विद्वानों के अनुसंधान का प्रमुख विषय रहा है । हाल ही में आयोजित चीनी तिब्बत के प्रथम सांस्कृतिक मंच में 12 देशों व क्षेत्रों से आए विशेषज्ञों व विद्वानों ने एक ही स्वर में कहा कि चीन ने तिब्बत की परम्परागत संस्कृति के संरक्षण व विकास के क्षेत्र में भारी उपलब्बधियां प्राप्त कीं हैं ।

चीनी तिब्बत का प्रथम सांस्कृतिक मंच अक्तूबर की दस तारीख से उन्नीस तारीख तक पेइचिंग और तिब्बत की राजधानी ल्हासा में समान रूप से आयोजित हुआ । चीनी राष्ट्रीय जन प्रतिनिधि सभा की स्थाई समिति के उपाध्यक्ष, चीनी तिब्बती संस्कृति के संरक्षण व विकास संघ के मानसेवी निदेशक रती, संघ के उपनिदेशक, चीनी जन राजनीतिक सलाहकार सम्मेलन की राष्ट्रीय समिति के उपाध्यक्ष श्री फाबला क्लेलांचे और चीनी जन राजनीतिक सलाहकार सम्मेलन की राष्ट्रीय समिति की उपाध्यक्षा, चीनी कम्युनिस्ट पार्टी के केंद्रीय एकीकरण मोर्चे कार्य विभाग की निदेशिका सुश्री ल्यू यान तुंग आदि नेता तथा युरोपीय-संघ, अमरीका, ब्रिटेन, भारत, नेपाल, डेनमार्क, कोरिया-गणराज्य, आस्ट्रेलिया, कैनेडा, थाईलैंड, जर्मनी और जापान आदि 12 देशों व चीन की मुख्यभूमि, हांगकांग विशेष प्रशासनिक क्षेत्र तथा थाईवान क्षेत्र से आए 120 से ज्यादा विद्वानों व विशेषज्ञों ने इस मंच में भाग लिया ।

चीनी कम्युनिस्ट पार्टी के केंद्रीय एकीकरण मोर्चा कार्य विभाग की निदेशक सुश्री ल्यू यान तुंग ने मंच के उद्घाटन समारोह में बर्फीली व समुन्नत संस्कृति का प्रसार शीर्षक भाषण दिया । उन्होंने कहा कि संस्कृति जाति की आत्मा के रूप में एक जाति के अस्तित्व की मूल है । मौजूदा मंच का प्रमुख विषय है तिब्बती संस्कृति का संरक्षण व विकास, जिस में तिब्बती संस्कृति की विविधता व विशेष सौन्दर्य पर विचार-विमर्श किया जाएगा, इस से तिब्बती संस्कृति के संरक्षण व विकास को आगे बढ़ाया जा सकेगा, इस तरह मौजूदा मंच का भारी महत्व है । उन्होंने कहा

"तिब्बत चीन की एक सुन्दर भूमि है । तिब्बती जाति चीनी राष्ट्र परिवार का एक महत्वपूर्ण सदस्य है । तिब्बती संस्कृति चीनी संस्कृति का अहम भाग ही नहीं मानव सभ्यता का आश्चर्य भी माना जाता है । तिब्बती संस्कृति तिब्बत का विशेष भौगोलिक दृश्य व सामाजिक इतिहास जाहिर करती है, इस के साथ ही उस से अन्य जातियों के साथ आदान-प्रदान व मेलमिलाप की उपलब्बधियां भी जाहिर होती हैं । तिब्बती संस्कृति में तिब्बती जाति और चीन की अन्य जातियों के साथ एकजुट होकर विकास की प्रक्रिया भी प्रतिबिंबित होती है और जाहिर है कि तिब्बत प्राचीन समय से ही चीन का एक अभिन्न अंग रहा है ।"

चीनी तिब्बती संस्कृति के संरक्षण व विकास संघ के उपनिदेशक व महासचिव श्री जू वेइ छ्वुन ने कहा कि इधर के वर्षों में चीन ने तिब्बती संस्कृति के संरक्षण व विकास पर ज्यादा महत्व दिया है और तिब्बती संस्कृति व विदेशों के साथ आदान-प्रदान व सहयोग को मज़बूत किया है। श्री जू वेइ छ्वुन ने कहा

"बर्फीले पठार में सुधार व खुलेपन के विस्तार के चलते, विशेष कर छिंगहाई-तिब्बत रेल मार्ग पर यातायात-सेवा शुरू होने के बाद तिब्बत विश्व के लिए और खुलेगा । मेरा विचार है कि तिब्बत की प्राचीन संस्कृति अपनी विशेषता को बनाए रखने के साथ-साथ आधुनिक युग और विश्व में प्रवेश करेगी, वह जरूर विश्व की विविधतापूर्ण संस्कृतियों में आदान-प्रदान व विकास को आगे बढ़ाने की महत्वपूर्ण शक्ति बनेगी ।"

चीनी तिब्बत के प्रथम सांस्कृतिक मंच में उपस्थित 68 वर्षीय श्री च्यांग प्यैन च्या छ्वो वर्ष 1980 के दशक से तिब्बत की परंपरागत संस्कृति के अनुसंधान में लगे हुए हैं । श्री च्यांग प्यैन च्या छ्वो ने कहा कि चीन सरकार ने इधर के वर्षों में तिब्बत की परंपरागत संस्कृति के अनुसंधान में भारी पूंजी और शक्ति लगाई है। खासकर विश्व में सब से लम्बा महाकाव्य केसर का संपादन करने वाले कार्यों में उल्लेखनीय प्रगति हासिल हुई है। चीनी संस्कृति मंत्रालय ने उसे गैर-भौगोलिक सांस्कृतिक विरासत में नामांकित करने की नामसूची में शामिल कराया है । उन्होंने कहा

"सरकार ने तिब्बत की परंपरागत संस्कृति खासकर गैर-भौगोलिक सांस्कृतिक विरासत के अनुसंधान में भारी शक्ति व पूंजी डाली है, जिस पर समाज के विभिन्न पक्षों का ध्यान आकर्षित हुआ है । तिब्बती लोगों में केसर जैसा महाकाव्य बहुत लोकप्रिय है , जिसका लम्बा इतिहास है। इस से संबंधित सामग्री को इक्कठा करने तथा संपादन करने वाले कार्यों की व्यापक प्रशंसा की जा रही है । हमें और अधिक कोशिशों के जरिये इस कार्य को और अच्छा बनाना चाहिये ।"