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(GMT+08:00) 2006-10-16 18:50:45    
चीन में प्रथम सांस्कृतिक विरासत दिवस (दूसरा भाग)

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कुछ समय पूर्व चीन ने अपना प्रथम सांस्कृतिक विरासत दिवस मनाया।राजधानी पेइचिंग में इस से जुड़ी अनेक प्रदर्शनियां लगाई गईं। इन्हें देखकर लोगों ने सांस्कृतिक विरासतों की रक्षा में चीन की उपलब्धियां जानने के साथ-साथ इन विरासतों के संरक्षण के प्रति अपने विचारों को भी अधिक मजबूत बनाया है।

प्रदर्शनी-हॉल में दर्शकों की भीड़ लगी हुई थी।दूसरे प्रांतों से भी बहुत से दर्शक आए हुए थे।शान-तुंग प्रांत से आए श्वी ऊ-छांग नामक एक दर्शक ने हमारे संवाददाता से कहाः

"मैं अपनी पत्नी के साथ विशेष रूप से यह प्रदर्शनी देखने पेइचिंग आया हूं।हमारा विचार हैं कि सांस्कृतिक अवशेषों का संरक्षण-कार्य महज सरकार द्वारा धनराशि देने से पूरा नहीं किया जा सकता है,इस में जन समुदाय की भागीदारी की बड़ी आवश्यकता है।अगर तमाम लोग इस संरक्षण-कार्य के महत्व को समझ जाएं,तो देश के सांस्कृतिक अवशेषों की विदेशों को तस्करी मुमकिन नही होगी।इस तरह की प्रदर्शनी पेइचिंग और शांघाई जैसे बड़े शहरों में ही नहीं,बल्कि छोटे व मझौले शहरों में भी लगाई जानी चाहिएं।तभी उस की शिक्षा की भूमिका का व्यापक विस्तार हो सकेगा।लम्बे अरसे से देश में सांस्कृतिक अवशेषों की रक्षा के बारे में जानकारियों के प्रचार-प्रसार के आयोजनों का अभाव रहा है और नौजवानों को इस क्षेत्र में बहुत कम शिक्षा और जानकारी मिली है,नतीजतन देश बहुत सी मूल्यवान चीजें खो बैठा है। "

चीन सरकार ने गत मार्च में निर्णय लिया था कि प्रतिवर्ष जून माह का दूसरा शनिवार देश की सांस्कृतिक विरासत दिवस के रूप में मनाया जाएगा,ताकि जन समुदाय में सांस्कृतिक अवशेषों के संरक्षण के प्रति जागृति पैदा की जाए और देश भर में सांस्कृतिक अवशेषों के संरक्षण-कार्य को ज्यादा शक्ति मिले।चीन में प्रथम सांस्कृतिक विरासत दिवस मनाने के दौरान पेइचिंग के वस्त्र-डिजाइनिंग प्रतिष्ठान में भी जातीय वेशभूषा प्रदर्शनी आयोजित हुई।इस में चीन की विभिन्न जातियों की 600 से अधिक विशेष वेशभूषाएं प्रदर्शित की गईं और देश के दक्षिण-पश्चिमी भाग व दक्षिणी भाग से निमंत्रण पर आए दसेक कारीगरों ने दर्शकों के सामने कढाई-बुनाई और रंगाई की जातीय प्राचीन तकनीकों का प्रदर्शन किया।

दक्षिण-पश्चिमी चीन के क्वे-चो प्रांत से आईं म्याओ जाति की वांग छाओ-फंग नामक एक महिला कारीगर का कहना हैः

"हमारी जाति की कोई लिपि नहीं है पर कढाई-बुनाई और रंगाई का स्तर काफ़ी ऊंचा है।मैं ने 11 साल की उम्र में ही बुजुर्गों से संबंधित तकनीक सीखनी शुरू कर दी थी।यह तकनीक एक तरह की अभौतिक सांस्कृतिक विरासत है, इसलिए मैं नौजवानों को इस में प्रशिक्षित करने की कोशिश करूंगी,ताकि इस प्राचीन तकनीक का अंत न हो जाए "

श्रीमती वांग ने अपनी पहनी पौशाक पर बने विभिन्न डिजाइनों के कसीदों को गिनते हुए उन के निहित अर्थ और उन से जुड़ी लोककथाएं सुनाईं।

सांस्कृतिक विरासत दिवस के उपलक्ष्य में चीनी चिकित्सा इतिहास संग्रहालय में भी परंपरागत चीनी चिकित्सा-पद्धति व औषधियों के संरक्षण संबंधी एक प्रदर्शनी लगी है,जिस ने सैकड़ों चित्रों,दस्तावेजों और संबद्ध अवशेषों से लोगों को परंपरागत चीनी चिकित्सा इतिहास की सुव्यवस्थित जानकारी दी।प्रदर्शन में कई लाख वर्ष पहले पाषाण-युग में बनी एक्यूपंक्चर में प्रयोग लाई जाने वाली हड्डियों की सुइयां,2000 साल पूर्व बनी रोगों की रोकथाम में प्रयोग वाली सीवर-लाइन और सैकड़ों वर्ष पूर्व निर्मित दवा बनाने वाले उपकरण अत्यंत दुर्लभ सांस्कृतिक अवेशष माने गए हैं।जैसा कि आप जानते हैं परंपरागत चीनी चिकित्सा और औषधि शास्त्र चीनी राष्ट्र की वंशवृद्धि के दौरान विकसित हुई एक विशिष्ट चिकित्सा व्यवस्था है।इस समय सारे संसार में हजारों परंपरागत चीनी चिकित्सा संस्थाएं स्थापित हैं,जो व्यापक मरीजों की सेवा में भारी भूमिका अदा कर रही हैं।परंपरागत चीनी चिकित्सा विज्ञान प्रतिष्ठान के महानिदेशक श्री छाओ हुंग-शिन के अनुसार परंपरागत चीनी चिकित्सा शास्त्र एक समृद्ध चीनी सांस्कृतिक भंडार है,जिस की विशिष्ट सैंद्धातिक व्यवस्था है।आज के दौर में चीनी संस्कृति विश्व मंच पर अपने रंग बिखेर रही है और उस के एक अंग के रूप में परंपरागत चीनी चिकित्सा व औषधि-विज्ञान मानवजाति के स्वास्थ्य में बड़ा योगदान कर रही है।इसलिए उसे कैसे और अच्छी तरह सुरक्षित व विकसित किया जाए,यह ध्यान देने योग्य एक सवाल है।

विश्वास है कि चीन में सरकारी और गैरसरकारी सभी तरह की कोशिशों से सांस्कृतिक विरासतों के संरक्षण और आध्यात्मिक घर की रक्षा वाला नारा लोगों के दिलों में घर करेगा और लोग सांस्कृतिक अवशेषों की रक्षा को औऱ भारी महत्व देंगे।