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(GMT+08:00) 2006-10-11 12:58:29    
भीतरी मंगोलिया स्वायत्त प्रदेश के घास मैदान का भ्रमण

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चीन के भीतरी मंगोलिया स्वायत्त प्रदेश के बारे में आप ने सी .आर .आई के प्रसारण से जरूर कुछ न कुछ सुना होगा , लेकिन उस के कशिकथङ छी यानी कशिकथङ जिला के बारे में ज्ञान नहीं है । आज के चीन का भ्रमण कार्यक्रम में मैं आप को वहां ले घूमाऊंगी कि मंगोलिया घास मैदान के इस सुन्दरतम क्षेत्र का अनोखा प्राकृतिक सौंदर्य और मंगोल जाति की जनता की परम्परागत रिति रिवाज ।

पेइचिंग से प्रस्थान हो कर हमारी गाड़ी उत्तर पूर्व की दिशा में समतल सड़क पर तेज दौड़ी , कोई दस घंटे का रास्ता तय करने के बाद हमारी आंखों के सामने विशाल घास मैदान नजर आया , गर्मियों की समाप्ति का मौसम था , नीले अनन्त आसमान में बादल के कुछ टुकड़े घूप के साथ तैर रहे थे , हरिभरी घास अनेक अज्ञात नामों के फुलों को लिए दूर क्षितिज तक फैला , पांव तक लम्बे उगे घास पर सफेद सफेद बकरियों का झुंड विचरते हुए चर रहे थे , एक दो चरवाह छोड़ कर दूर तक मानुष का छाया मुश्किल से देखने को मिलता था और आधुनिक निर्माण और वाहन तो और दुर्लभ दिखते थे , हमारी निगाह को बरबस खींचते थे वह विशेष रंगरूप के मंगोल जाति के तंम्बू , जो घास मैदान के बीच या पहाड़ी टीले की तलहटी में आबाद थे । मंगोल जाति के ये विशेष प्रकार के तंम्बू दिखाई देने पर हमें पता चला कि हम भीतरी मंगोलिया स्वायत्त प्रदेश की भूमि पर पधारे है ।

वाह , घास मैदान , भीतरी मंगोलिया का विराट घास मैदान , जो हमें शहरों के दृश्य से एकदम अलग ताजा अनुभव देता था , घनी जन संख्या से दूर , ऊंचे ऊंचे आधुनिक निर्माणों से अलग , अनगिनत वाहनों की कर्कश आवाज और धुओं से अछूता , निगाह धरती के अन्त तक पहुंच सकती थी , जो बीच में घास , फुल और बैल -बकरी को छोड़ कर नजर रोकने वाली कोई मानव निर्मित चीजें नहीं रहीं । अनायास घास मैदान के वर्णन में लिखी एक प्राचीन चीनी कविता के दो वाक्य याद आए -- गंगन घना गहन अनन्त है , मैदान विशाल अपार विकट , हवा के झोंके के साथ घास पौधे झुकते है , बैल बकरी चरते दिखते , गंगन के नीचे कुदरत की भूमि पे । कुदरत का यह दान प्राचीन काल से अब तक यहां अक्षुण्ण सुरक्षित रहा ।

कशिकथङ जिला के मुख्यालय चिंग फो कस्बे में हमारी मुलाकात जिला की पार्टी कमेटी के सचिव श्री छिन वन से हुई , उन्हों ने हमें कशिकथङ के पर्यटन उद्योग के बारे में विस्तार से जानकारी दी . कशिकथङ पेइचिंग में छह सौ किलोमीटर दूर उत्तर पूर्व में स्थित है , वह भीतरी मंगोलिया स्वायत्त प्रदेश के छि फङ प्रिफेक्चर के उत्तर पश्चिम भाग में है , जो भीतरी मंगोलिया मैदान और ताशिंगआंलिंग पर्वतमाले के दक्षिणी छोर में आबाद है । कशिकथङ का कुल क्षेत्रफल बीस हजार छह सौ 73 वर्गकिलोमीटर है , कुल जन संख्या दो लाख 47 हजार , कशिकथङ जिले में मंगोल , हान , हुई , कोरिया तथा डावर आदि दस जातियां रहती हैं , जिन का मुख्य अंग मंगोल जाति है ।

अपने यहां उपलब्ध अनूठे प्राकृतिक सौंदर्यों से कशिकथङ प्राचीन काल से ही मंगोलिया घास मैदान की एक मोति मानी जाती आई है । अब वहां दस से अधिक प्रसिद्ध रमणीय स्थल है , जिन में महा काला पर्वत , आर्शिहाथु पाषाण जंगल , पक्षियों का गृह स्थान --तालिनोर झील , विशाल रेड-बार्केड ड्रैगन स्परूस वाली वन्य भूमि तथा व फुलों से घिरा कुंङगल घास मैदान आदि मशहूर है । इन रमणीक स्थलों में दो राष्ट्रीय श्रेणी के पर्यटन स्थल यानी हुङ कांग ल्यांग राष्ट्रीय भूतत्व उद्यान और अन्तरराष्ट्रीय आखेट मैदान एवं राष्ट्रीय स्तर पर संरक्षित प्राचीन चिन राजवंश कालीन लम्बी दिवार तथा य्वान राजवंश काल के अंतिम नगर के खंडहल सुरक्षित है ।

दोस्तो , मंगोल जाति के लोग स्वभाव में खुले और मिलनसार होते हैं , वे नाच गान के शौकिन और पारंगत हैं , खास कर खुले आकाश और विशाल मैदान में रहने के कारण वे गाने के दिवाने बन गए । कहते हैं कि मंगोल जाति के लोगों को जन्म से ही दो काम आता है , यानी घोड़े पर सवार दौड़ते और मुक्त कंठ गाना गाते । वे मेहमाननवाज है , मेहमानों के स्वागत सत्कार में वे शुभसूचक हाता परदा चढाते है , घुड़ -दुध से बना मदिरा पिलाते है और गाना पेश करते हैं ।

कशिकथङ का दौरा करने के दो दिन के दौरान हमें कई बार मंगोल जाति के लोगों का इस प्रकार का स्वागत हासिल हुआ । मंगोल युवक युवती युगल में अपनी जाति के विशेष शैली के पोशाक में आप के सामने तीन तीन गाना गाते हैं और आप को तीन प्याले का सुगंध मदिरा पिलाते हैं । इस विशेष रिति रिवाज में स्वागत मिलने पर मेहमान बहुत प्रभावित हो कर गदगद हुए बिना नहीं रह सकते , सभी मैहमान , चाहे उसे मदिरा पीना आता हो अथवा नहीं , एक कट में प्रस्तुत मदिरा पी लेते हैं । मेहमान के स्वागत का यह रिवाज बहुत उत्साहजनक और प्रभावकारी है । दौरा के दौरान हम बार बार मंगोल लोगों के इस प्रकार के जोशीले स्वागत में अपने को भूल जाते थे ।

दोस्तो , खुले आसमान और मैदान की भौगोलिक स्थिति होने के कारण कशिकथङ जिला में वायु शक्ति का वांछित संसाधन उपलब्ध होता है । अपने क्षेत्र की बिजली आपूर्ति पूरा करने तथा पास पड़ोस के क्षेत्रों को बिजली सप्लाई करने के लिए कशिकथङ सरकार ने वायु संसाधन का विकास करने पर जोर दिया और स्वच्छ ऊर्जा विकास व्यवस्था कायम करने की भरसक कोशिश की , पन बिजली के विकास के साथ वायु से बिजली का उत्पादन करने पर प्राथमिकता दी गई , हमारी स्थानीय गाइड मिस थाना के अनुसार कशिकथङ के ताली मैदान में खड़ी दो छोटी पर्वत माला पर वायु से बिजली का उत्पादन करने के दो संयंत्र बनाए गए है , जिन की कुल बिजली उत्पादन क्षमता 21 हजार किलोवाट है , वायु से वार्षिक बिजली उत्पादन आठ करोड़ युनिट तक पहुंचा है ।

हमें ताली के एक वायु बिजली उत्पादन संयंत्र देखने ले लिया गया , खुली हवा में एक टीली श्रृखले पर बीस तीस गगनचुंबी स्तंभ आकाश की ओर ऊर्ध्वगामी खड़े नजर आए , हर ऊंचे स्तंभ के ऊपरी छोर पर तीन लम्बे लम्बे पंखे धीमी गति में घूम रहे थे । खुला नीला आसमान , हरित घास मैदान , सफेद रंग के गगनचुंबी स्तंभ मिल कर हमें एक बड़े सुन्दर चित्र का आभास देते थे , प्राकृतिक सौंदर्य से रंजित मानव निर्मित संयंत्र का ऐसा मनोहर दृश्य बहुत कम देखने को मिलता है । यह संयंत्र मानव को ऊर्जा की आपूर्ति के साथ सौंदर्य का बौध भी प्रदान करता है । यही है स्वच्छ ऊर्जा विकास की एक आदर्श मिसाल ।

दोस्तो , आप समझ सकते हैं कि घास मैदान का सब से अधिक सुन्दर दृश्य निश्चय ही स्वयं घास मैदान है । हां , कशिकथङ की यात्रा करने के दौरान हमें कई बार इस तरह की अनुभव हुआ , विशेष कर कशिकथङ के मुख्यालय --चिंग पो कस्बे के निकट स्थित कुंगल घास मैदान अधिक आकर्षक है । ठीक अभी प्रस्तुत मंगोल गीत में वर्णित प्राकृतिक सौंदर्य इस घास मैदान में बड़ा मनमोहक देखने को पाता है , नीले आकाश के नीचे घोड़े मुक्त भाव से दौड़ रहे है , ताबुक की आवाज के साथ पक्षियों का झुंड चारों ओर उड़ रहे है ।

हां , कुंगल घास मैदान , जो पेइचिंग से सब से नजदीकी सुन्दर घास मैदान है , अब हमारी आंखों के आगे दूर अनन्त फैला हुआ नजर आया । यह मैदान सात हजार दो सौ वर्ग किलोमीटर की विशाल भूमि पर फैला है , मैदान में मवेशी के लिए खाने काबिले तर तरह के पांच सौ किस्मों के घास पौधे उगते हैं , घास पौधे पोषक और रसदार है , इसलिए कुंगल घास मैदान एक आदर्श प्राकृतिक चरगाह माना जाता है । घास मैदान में सफेद कुकुमर्ता , डे लिली , क्रिसंठमुयम , गुलाब जैसे नाना किस्मों के जंगली फुल और चीनी जड़ी बूटियां उगते है, घास पेड़ों के अन्दर हिरण और ओटर समेत दर्जनों नस्लों के जंगली जानवार विचरणते हैं । घास मैदान में बहती दस से अधिक छोटी बड़ी नद नदियां इस समतल मैदान के फुल पौधों को सिंचित करती हैं । घास फुलों के बीच पहलकमी करते हुए हमें लगा , मानो हम सुनहरे वन्यस्पतियों के लोग में घूम रहे हो ।