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(GMT+08:00) 2006-10-11 16:31:08    
उच्चतर-शिक्षा में सुधार की ज़रुरत

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जैसे ही देश भर में इस महीने चीन के अनेक कालेजों में और विश्वविद्यालयों में एक नये शैक्षिक वर्ष की शुरुआत हुई, चीन के मीडिया में शैक्षिक संस्थाओं में हो रही गतिविधियाँ को ले कर काफी उत्साह दिखाई दे रहा है।

जी हां, एक खुशखबरी है एक रिकार्ड पैमाने में कई सारे नये विद्यार्थियों ने शैक्षिक संस्थाओं में दाखिला लिया और अगले वर्ष भी कई नये विद्यार्थी इन संस्थाओं में दाखिला लेने के लिए आवेदन-पत्र भरेंगे। आज चीन के कई ग्रामीण क्षेत्र मुफ्त शिक्षा का लाभ उठा रहे हैं और कई जगहों में मुफ्त भोजन और किताबों की सुविधा भी दी जा रही है।

लेकिन साथ ही कुछ ऐसी चीजें भी देखने को मिल रही हैं जिससे यह पता लगता है कि चीन की कालेज शिक्षा की परिस्थिति शत-प्रतिशत ठीक नहीं है। सच कहा जाए तो ग्रामीण क्षेत्रों में पढ़ने वालों में और उनके मां-बाप में शिक्षा के ऊपर से विश्वास धीरे-धीरे खत्म होता जा रहा है।

 

एक पत्रिका के अनुसार, दक्षिण चीन के एक छोटे शहर में हर एक वर्ष लगभग दस हजार से अधिक विद्यार्थी बीच ही में बिना जूनियर मिडिल स्कूल की पढ़ाई पास किए स्कूल छोड़ देते हैं। इन में से कई आर्थिक समस्या के कारण नहीं बल्कि पढ़ाई जारी रखने की अनिच्छा से स्कूल छोड़ते हैं।इस संदर्भ में एक ग्रामीण महिला का कहना है कि उसके परिवार ने उसके बड़े लड़के की शिक्षा में सात सालों में सीनियर हाई स्कूल से कालेज की पढ़ाई में  कुल 35,000 युआन ( 4,397 डालर) खर्च किये हालांकि आज शहर में नौकरी पाने के बाद वह अच्छी कमाई कर लेता है पर आज आधे से अधिक कमाई अपने घर के किराये में और अपने इंस्योरेंस में खर्च कर डालता है।

 

इसकी तुलना में उसके परिवार का छोटा बेटा शेनचन में एक कारखाने में बिना माध्यमिक शिक्षा पूरी किये काम करता है और हालांकि वह आपने बड़े भाई से कम कमाता है उसके खर्चे भी कम हैं। इस वजह से उसके द्वारा पैसे की बचत भी ज्यादा होती है। इसी तरह वांग ने , जिसने हाल ही में औद्योगिक मैनेजमैंट में स्नातक की डिग्री प्राप्त की, अपनी स्नातकोत्तर पढ़ाई जारी रखने के बजाय, चीन के दक्षिण-पश्चिम क्वेइचोउ प्रांत में एक वोकेशनल स्कूल में दाखिला ले लिया।

 

चीन में कई शताब्दियों से यह माना जाता है कि शिक्षा से कोई भी अपनी जिंदगी में बदलाव ला सकता है और समाज में अपनी स्थिति को ऊंचा कर सकता है। लेकिन इन दिनों चीन में, खास करके चीन के ग्रामीण क्षेत्रों में वोकेशनल शिक्षा को एक खास किस्म की प्राथमिकता दी जा रही है क्यों कि रोज़गार के बाजार में आज अधिक से अधिक कुछ न कुछ खास कौशल प्राप्त लोगों को ही रोजगार के अधिक अवसर मिलते हैं।

 

वांग ने पत्रकारों को यह भी बताया कि उसने स्नातक में जो कुछ भी पढ़ाई की उससे उसको कोई फायदा नहीं हो पाया क्यों कि उसकी पढ़ाई आज के बदलते माहौल के अनुरुप नहीं है और उसके द्वारा की गई पढ़ाई का उसके काम से या तो ताल्लुक नहीं है या फिर कम है।

 

इस वजह से यह माना जा रहा है की चीन की शिक्षा व्यवस्था में सुधार लाना होगा और अनिवार्य शिक्षा में ऐसे सुधार लाने होंगे कि आम शिक्षा के साथ-साथ कुछ कला-कौशल अर्जित  करने वाले विषय पढ़ाये जायें।

जनता को यह सवाल करना होगा कि क्या शैक्षिक संस्थाएं पैसे और शौहरत के पार जाकर अपने को सुधारने की कोशिश कर रही हैं या नहीं। शैक्षिक संस्थाओं को इस बात की जिम्मेदारी उठानी होगी की भविष्य में नयी पीढ़ी के बच्चों को किस तरह की शिक्षा देनी चाहिए और वे किस तरह समाज और देश के जिम्मेदार नागरिक बनें।