शायद आप ने तिब्बत में प्रचलित यह कहावत सुनी होगी कि तिब्बत विश्व की छत पर स्थित है और तिब्बत का उद्गम स्रोत लोका प्रिफैक्चर में है । लोका प्रिफैक्चर तिब्बती जाति का हिंडोला और तिब्बती संस्कृति का उद्गम स्थल माना जाता है । तिब्बत में लोका प्रिफैक्चर शान्नान क्षेत्र का नाम आप ने पहले इसी कार्यक्रम में सुना होगा और इस प्रिफैक्चर में उपलब्ध प्रसिद्ध प्राचीन राजमहल युंगपुलाखांग के बारे में कुछ न कुछ जानकारी भी प्राप्त कर ली होगी । आज के इस कार्यक्रम में आप हमारे साथ लोका प्रिफैक्चर का दारा करेंगे, और मेहसूस करेंगे तिब्बती संस्कृति के उद्गम स्थल का सौंदर्य ।
लोका प्रिफेक्चर चीन के तिब्बत स्वायत्त प्रदेश का सब से समृद्ध क्षेत्र है , उस की संस्कृति व इतिहास इतना पुराना है कि तिब्बत का प्रथम राज्य भी इसी क्षेत्र में स्थापित हुआ था, इसलिये लोका प्रिफेक्चर तिब्बत की सभ्यता का हिंडोला माना जाता है । लोका प्रिफैक्चर के पर्यटन ब्यूरो के निदेशक श्री छ्यो लिन ने शान्नान क्षेत्र के बारे में इस तरह बताया:
"लोका प्रिफेक्चर का पर्यटन स्रोत आम तौर पर भौगोलिक स्थिति के अनुसार तीन भागों में बंटा हुआ है । प्रथम भाग उत्तर लोका प्रिफैक्चर के चतांग शहर को सांस्कृतिक पर्यटन क्षेत्र केंद्र बनाकर स्थापित है , दूसरा भाग दक्षिण पूर्वी लोका प्रिफेक्चर में स्थित च्वोना कांऊटी के लपू क्षेत्र को केंद्र बनाकर आदिम जंगल व सीमावर्ती पर्यटन क्षेत्र है , जबकि तीसरा भाग दक्षिण पश्चिमी लोका प्रिफेक्चर में स्थित याच्वोयुंगच्वो को केंद्र बनाकर बर्फीले पर्वत पर अनुपम झील के रुप में है।"
श्री छ्यू लिन ने हमें भी यह बताया कि लोका प्रिफेक्चर में अपने ढंग के प्राकृतिक व मानवीय दृश्य उपलब्ध हैं, और यहां की विशेष तिब्बती-बौद्ध धार्मिक संस्कृति भी बेहद आकर्षित है , क्योंकि समुद्र की सतह से शान्नान प्रिफेक्चर की ऊंचाई ज्यादा नहीं है, इसलिये देशी-विदेश पर्यटक इस शान्नान क्षेत्र को अपनी तिब्बत यात्रा का प्रथम पड़ाव बनाना ज्यादा पसंद करते हैं ।
लोका प्रिफेक्चर में सब से उल्लेखनीय मानवीय पर्यटन क्षेत्रों की गिनती में तिब्बती शाही कब्रिस्थान, युंगपुलाखांग राजमहल, छांगचू मठ और सांगये मठ आते हैं ।
तिब्बती शाही कब्रिस्थान दक्षिण लोका प्रिफेक्चर में स्थित छ्योंग चे कांऊटी की यालुंग नदी के घाटी क्षेत्र में फैला हुआ है । तिब्बत के 29 वें राजा चानपू से से ले कर 42 वें राजा चानपू , मंत्रियों व रानियों की समाधियां तक इसी कब्रिस्थान में पायी जाती हैं । नदी तट के नज़दीक की सब से बड़ी समाधि में प्रसिद्ध राजा सुगचानकानपू और राजकुमारी वन छंग के ताबूत दफनाये गये हैं । पिछले हजार वर्षों की हवाओं व वर्षा की चपेट से आज यहां की समाधियां एक-एक छोटी नंगी मामूली ढलान के रूप में नजर आती हैं । श्री छ्यो लिन ने कहा कि तिब्बती शाही समाधियां तिब्बत के अतिम संस्कार के तौर तरीकों और चीन के भीतरी क्षेत्र के साथ तिब्बत की सांस्कृतिक आवाजाही के लिये भारी महत्व रखती हैं । उन के अनुसार
"तिब्बती शाही कब्रिस्थान तिब्बत के इतिहास का एक नमूना है और तिब्बत में प्रचलित अंतिम संस्कार के तौर तरीकों में आए बदलाव पर शोध करने में उस की बड़ी सहायक भूमिका है । इस कब्रिस्तान से तिब्बत की संस्कृति पर चीन के हान व थांग राजवंशों का प्रभाव देखने को मिलता है ।"
तिब्बती शाही कब्रिस्थान तिब्बत में एक मात्र तिब्बती शाही समाधियों का समूह माना जाता तो है , पर छांगचू मठ तिब्बत के प्रमथ बौद्ध धार्मिक भवन के नाम से भी बहुत विख्यात है । यह एक हजार तीन सौ वर्ष से अधिक पुराना धार्मिक भवन ने चीन के तिब्बत स्वायत्त प्रदेश में अपनी अलग पहचान बना ली है । विशेषकर इस भवन में सुरक्षित थांगका नामक मोतियों से तैयार मूल्यवान कला कृति और अधिक ध्याकर्षक है ।
|