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(GMT+08:00) 2006-09-27 12:53:03    
गुनगुन रेतीले पहाड़ पर स्थित रहस्यमय मकाऊ गुफा समूह

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प्रिय दोस्तो , आज के चीन के भ्रमण कार्यक्रम में हम आप को उत्तर-पश्चिमी चीन में स्थित विश्वविख्यात पर्यटन स्थल मकाऊ गुफा समूह के दौरे पर ले चलते हैं ।

स्थानीय लोग इस मकाऊ गुफा समूह को सहस्र बुद्ध गुफा कहते हैं और वह विख्यात बौद्ध धार्मिक स्थल भी माना जाता है । मकाऊ गुफा समूह उत्तर-पश्चिम चीन स्थित कान सू प्रांत के तुन ह्वांग के दक्षिण पूर्वी भाग से 25 किलोमीटर की दूरी पर खड़े मिंग शा शान यानी गुनगुन रेतीले पहाड़ पर है ।उस का निर्माण ईस्वीं 366 में शुरू हुआ । कहा जाता है कि एक बार एक भिक्षु घूमते हुए यहां आ पहुंचे और देखा कि मिंग शा शान यानी गुनगुन रेतीले पहाड़ पर बेशुमार चमकदार किरणें दिखाई दे रही हैं । यह दृश्य देखकर उन्हें एकाएक महसूस हुआ कि हो न हो यहां एक बौद्ध धार्मिक स्थल है। फिर उन्हों ने इस पहाड़ की खड़ी चट्टान पर प्रथम बुद्ध गुफा खोदना शुरू कर दिया । इस के बाद कई राजवंशों में गुफा खोदने का यह काम जारी रहा और ईस्वीं 1368 तक यहां पर करीब हजार बुद्ध गुफाओं का निर्माण हो गया और इसी वर्ष बौद्ध गुफाएं खोदने का यह काम बंद भी हो गया ।

मकाऊ गुफा समूह की गुफाएं अनेक आकार-प्रकार की हैं और गुफाओं के अंदर की बुद्ध मूर्तियां भी भिन्न-भिन्न प्रकार की हैं । 1987 में मकाऊ गुफा-समूह युनेस्को द्वारा विश्व सांस्कृतिक व ऐतिहासिक विरासत की संरक्षित नामसूची में शामिल कर लिया गया है ।

वर्तमान में सांस्कृतिक अवशेषों के संरक्षण के मद्देनज़र पर्यटकों के लिये इस गुफा-समूह की तीस से कम गुफाएं खोली गयी हैं, पर्यटक गाईड के साथ अंदर जा सकते हैं। गाईड सुश्री ल्यू हुंग ली ने परिचय देते हुए कहा कि पर्यटकों को दस से अधिक गुफाओं का दौरा करने में आम तौर पर दो घंटे का समय लगता है , जबकि सभी खुली गुफाओं को तफसील से देखने में कम से कम पूरा दिन लग जाता है ।

सुश्री ल्यू हुंग ली ने कहा कि मकाऊ गुफा-समूह के दौरे पर गाईड अक्सर पर्यटकों को सर्वप्रथम नम्बर 96 गुफा देखने ले जाते हैं । क्योंकि इस गुफा के बाहर एक नौ मंजिला बड़ा भवन निर्मित है और वह मकाऊ समूह का प्रतीकात्मक निर्माण माना जाता है ।

सुश्री ल्यू हुंग ली ने इस नौ मंजिला भवन में खड़ी हुई भीमकाय बुद्ध मूर्ति की ओर इशारा करते हुए कहा कि वह मकाऊ समूह की सब से बड़ी बुद्ध मूर्ति है , और उस का नम्बर 96 है और वह उत्तर बड़ी मूर्ति के नाम से जानी जाती है । यह मूर्ति देवता मैत्रेय की है और इस की ऊंचाई 35.5 मीटर है । कहा जाता है कि वर्तमान दुनिया में गुफाओं में जितनी भी बुद्ध मूर्तियां देखने को मिलती हैं , उन सब में यह सब से बड़ी मूर्ति है ।

नम्बर 96 गुफा का निर्माण ईस्वीं 695 में शुरू हुआ था , हालांकि गुफा में बनी मूर्तियों की अनेक बार मरम्मत की गयी है , पर फिर भी पहले का भव्य माहौल अब भी बना हुआ है । यदि पर्यटक मकाऊ समूह की पूर्व सूरत को देखना चाहते हैं , तो वे मकाऊ गुफा समूह के नम्बर 328 गुफा में जा सकते हैं , क्योंकि उस गुफा में सुरक्षित मूर्तियां बनाने की कला अत्यंत सूक्ष्म है ।

कुल पांच मूर्तियों के बीच में भगवान बुद्ध शाक्यमुनि की मूर्ति बनायी गयी है , कमल सिंहासन पर बैठी हुई बुद्ध की मूर्ति बहुत भव्य लगती है । इस मूर्ति की बायीं ओर भगवान बुद्ध का बड़ा शिष्य कश्यप हाथ जोड़ कर खड़ा हुआ नजर आता है , जब कि भगवान बुद्ध की दायीं ओर छोटा शिष्य आनन्द दीखता है । इन दोनों शिष्यों की बगल में अवलोकितेश्वर की मूर्तियां दिखाई देती हैं। ये पांचों मूर्तियां बहुत जीवंत लगती हैं और उन की मुद्राओं से उन के पृथक स्वभाव की झलक मिलती है ।