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(GMT+08:00) 2006-09-26 19:08:12    
सुन्दर प्राकृतिक दृष्य वाले लीनची प्रिफैक्चर की सैर

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लीन ची प्रिफैक्चर का पुराना नाम कुंगपू था इसलिए यह क्षेत्र कुंगपू तिब्बती जाति बहुलक्षेत्र के नाम से जाना जाता है । यहां के कुंगपू तिब्बती जातीय लोग गाने-नाचने के शौकीन ही नहीं, अपनी विशेष संस्कृति,परम्परा,रहन-सहन व पहनावे को भी बरकरार रखे हुए हैं । तिब्बती जाति के बीच उन्होंने अपनी अलग पहचान बनाय़ी है।

लिनची कांऊटी के पांगना गांव में एक एक हजार छह सौ वर्ष पुराना शहतूत का पेड भी है।इस सात मीटर लम्बे पेड़ का व्यास 3.3 मीटर है । पहले यहां नर व मादा दो शहतूत के पेड़ उगे हुए थे । इन दोनों पेड़ों के बारे में मर्मस्पर्शी कहानियां प्रचलित हैं । कहा जाता है कि पुराने जमाने में पांगना गांव में एक परिवार में एक बहुत होशियार व मेहनती लड़की थी।वह ऊनी धागा बनाने में निपुण थी,इसलिये स्थानीय लोग उसे धागा कुमारी कहकर पुकारते थे।पर दुर्भाग्य की बात यह थी कि उस के मां-बाप जल्दी गुजर गये,अतः वह मजबूर होकर अपने भाई व भाभी के साथ रहती थी।भाई व भाभी उस के साथ बुरा व्यवहार करते थे और उसकी किसी आदमी के साथ शादी कराना चाहते थे।लेकिन यह लड़की अपने मनचाहे लड़के के साथ शादी करना चाहती थी।उक्त शादी से बचने के लिये उसने जल्दबाजी में बाहर भागने की कोशिश की,तो उस के पैरों पर लिपटे धागे बाहर लटक कर घिसटने लगे । फिर उस के भाई भाभी इन धागों को पकड़ कर उसे रोकने ही वाले थे कि यह लड़की एक मंदिर में आसन पर जा कर बैठ गयी । यह देखकर उस के भाई भाभी ने पेड़ों पर से दो मुरझाईं हुईं शाखाएं तोड़ी और उसे मारने की कोशिश करने लगे।अचानक ये दोनों शाखाएं उन के हाथों से छूट कर जमीन पर आ गिरीं और दो हरे-भरे शहतूत के पेड़ों में बदल गयीं।

इन दोनों शहतूत के पेड़ों के बारे में एक और प्यारी कहानी हैःतिब्बती राजा सुंगचांगकानपू की थांग राजवंश की राजकुमारी वनछंग के साथ शादी हुई।शादी के बाद घर लौटते समय वे इस पांगना गांव में आ पहुंचे।अपने प्रेम की याद में इस गांव में उन्होंने नर व मादा दो शहतूत के पेड़ लगाय़े।पिछले हजारों वर्षों में हवा-पानी की मार से नर पेड़ लुप्त हो गया है , जबकि मादा शहतूत का पेड़ आज तक भी हरा-भरा है। वह इस तरह से खड़ा है मानों लोगों को अतीत काल की अमर प्रेम कहानी सुना रहा हो ।

लिन ची प्रिफैक्टर के पर्यटन ब्यूरो के उप निदेशक श्री चाओ य्वान फ़ू का कहना है कि लिन ची प्रिफैक्टर की सुन्दरता उस के प्राकृतिक हरियाली पर निर्भर है । उन्होंने कहा

"लिन ची प्रिफैक्चर के पर्यटन वर्ष दो हज़ार से तेज़ी से विकसित हो रहा है । यहां की विशेषता और प्राथमिकता पारिस्थितिकी पर्यटन उद्योग का विकास करना है । मेरा विचार है कि लिन ची प्रिफैक्चर तिब्बत के सब से हरियाली क्षेत्र के रूप में बड़ी संख्या में पर्यटकों को आकृष्ट करता है ।"

लिन ची प्रिफैक्टर के लुलांग जंगल ऐसा ही हरीयाली स्थल है , तिब्बत आने के बाद लुलांग जंगल की यात्रा जरूरी है । तिब्बती भाषा में लुलांग का अर्थ है ड्रेगन राजा की घाटी और घर की याद न करने वाला स्थल भी । यह क्षेत्र समुद्र की सतह से तीन हजार सात सौ मीटर की ऊंचाई पर स्थित है और वह सछ्वान तिब्बत राजमार्ग के पास है । इसे पठारीय क्षेत्र की तंगा घास पट्टी का नमूना माना जाता है । क्योंकि उस की लम्बाई 15 किलोमीटर है जबकि चौड़ाई सिर्फ एक किलोमीटर है । पतली पट्टी के दोनों किनारों पर घने आदिम जंगल हैं । हरे-भरे जंगलों के उस पार खड़े स्थानीय विशेषता वाले रंगीन तिब्बती मकान देखकर सचमुच ही मन खुश हो जाता है ।

लुलांग आदिम जंगल की यात्रा के दौरान हमारी मुलाकात उत्तर चीन से आए पर्यटक श्री वांग से हुई । उन्होंने कहा कि लुलांग आदिम जंगल आने के बाद उन्हें बहुथ खुश हुआ और अच्छा लगा । उन्होंने कहा

"यह मेरी पहली बार है कि लुलांग आदिम जंगल की यात्रा कर रहा हूँ । यहां की दृष्य बबहुत सुन्दर है, वृक्षोंम की हरि रंग में मैं नशे हो उठे । मुझे लगता है यहां की यात्रा करना बहबुत जरूरी है ।"

वास्तव में तिब्बत के लिन ची प्रिफैक्चर देशी विदेशी के पर्यटकों को आकृष्ट करता है । यहां आकर लोगों के दिल एकदम हल्का हो उठेगा। दोस्तो, अगर आप को मौका मिलेगा, तो आइए लिन ची प्रिफैक्चर की यात्रा करें, औप जरूर मज़ा लेगा ।