
इस मशाल-दिवस के बारे में बहुत सी किम्वदंतियां प्रचलित हैं । ई-जाति के बुजुर्ग ल्यू य्वान लुंग ने हमारे संवाददाता को बताते हुए कहा कि कहा जाता है कि बहुत पहले आकाश पर एक राक्षस रहता था , वह स्वर्ग के राजा का आदेश लेकर कर वसूल करने के लिये पृथ्वी पर आया और कर-वसूली के दौरान मनमाने ढंग से लोगों से लूट-खसोट और अत्याचार करने लगा , जिस से ई-जाति के लोग बहुत परेशान हो गये, मजबूर होकर ई-जाति के एक वीर ने इस राक्षस को मार डाला । यह जानकर स्वर्ग का राजा अत्यंत आग-बबुला हुआ , उस ने फसलों को बरबाद करने के लिये लाखों-करोड़ों कीड़े-मकोड़ों को पृथ्वी पर भेज दिया। ये कीड़े-मकोड़े लगातार तीन दिन-तीन रातों तक फसलों को खाते रहे। देखते ही देखते विशाल फसलें खत्म होने ही वाली थीं , ऐसी नाजुक घड़ी में ई-जाति के लोगों ने विवश होकर मशाल उठाई और खेतों में पहुंच गये और फसलों को चट कर रहे इन कीड़े-मकोड़ों को पूरी तरह जलाकर राख कर दिया और कुछ फसलों का संरक्षण कर लिया । फिर इस के बाद हर साल इसी दिन स्थानीय लोग कीड़े-मकोड़ों को नष्ट करने के लिये मशाल जलाने और शानदार फसल होने की खुशियां मनाते हैं ।
क्वे चाओ प्रांत की श्वी छंग कांऊटी के जातीय मामलात के अधिकारी श्री शी शू तह ने हमारे संवाददाता से कहा कि ई-जाति ने पीढ़ियों से विकसित मशाल-दिवस को और अधिक जातीय विशेषता वाला रुप दे दिया है । उन का कहना है कि मशाल-दिवस की खुशियों में कुछ युवक व युवतियां पहाड़ पर पहाड़ी गीतों की प्रतियोगिता करना पसंद करती हैं , कुछ झूला झुलाते हैं और अन्य कुछ गाय , मुर्गे और बकरी लड़ाई लड़ाने में मस्त हो जाते हैं। आज के दिन इस मशाल-दिवस मनाने के विविधतापूर्ण आयोजन देखे जा सकते हैं ।
हमारे संवाददाता मा लांग ची छुन गांव में मशाल-दिवस की खुशियां मनाने में भी शामिल हुए । सब से पहले इस गांव के सभी लोग शानदार फसल की प्रार्थना के लिये मशाल ले कर खेतों का चक्कर लगाते हैं , ऐसे समय पर नजर दौड़ायें , तो चलता-फिरता घुमावदार लम्बा अग्नि ड्रेगन मालूम पड़ता है । फिर इस के बाद लोग अपनी मशालों को एकत्र कर एक विशाल अग्नि टॉवर बनाते हैं और भभकते टावर के ईर्द-गिर्द गाना गाते हुए नाचते हैं और त्यौहार के हर्षोल्लासपूर्ण माहौल में डूब जाते हैं । इसी बीच कुछ जवान लड़के-लड़कियां आपस में मिलकर जंगल में पहाड़ी गीतों की प्रतियोगिता के माध्यम से सुखमय जीवन के प्रति अपनी अभिलाषाएं व्यक्त करते हैं ।
ई-जाति की विशेषता से युक्त रंग-बिरंगी जातीय पोषाकों ने इस त्यौहार को एक विशाल ई-जातीय पोषाक शो का रूप दे दिया है , चारों तरफ व्याप्त जोशीले व उल्लासपूर्ण वातावरण में सुंदर डिजाइन वाली जातीय पोषाक पहने हुईं ई-जाती की युवतियां लोगों को लुभा लेती हैं । स्थानीय जातीय मामलात के अधिकारी श्री शह शूह तह ने कहा कि अतीत में उत्पादन व जीवन की स्थिति अच्छी न होने से ई-जाति में इस मशाल-दिवस की खुशियां मनाने के तौर-तरीके बहुत सरल थे । अब मशाल-दिवस मनाने के लिये विविधतापूर्ण रंगारंग कार्यक्रम इधर के सालों में आर्थिक स्थिति के सुधारने के बाद जोड़े गये हैं । उन का कहना है
पहले मशाल-दिवस की खुशियां तो मनायी जाती थीं , पर जश्न मनाने के लिये आयोजन बहुत कम होते थे । अब लोगों का जीवन-स्तर उन्नत हो गया है , इसलिये अल्पसंख्यक जातीय परम्परागत त्यौहार मनाने के लिये विविधतापूर्ण गतिविधियां भी आयोजित की जाने लगी हैं ।
वर्तमान में मशाल-दिवस ने ई-जाति के जीवन को समृद्ध बना दिया है । स्थानीय ई-जाति के लोग इस मौके का फायदा उठाकर अपनी कलात्मक प्रतिभाओं और अनेक प्रकार की दक्षताओं को प्रदर्शित कर सकते हैं । साथ ही वह युवाओं के बीच भावनाओं का आदान-प्रदान करने का एक अच्छा मौका भी है ।
मशाल-दिवस को कदम ब कदम ई-जाति के बीच लोक व्यायाम , संस्कृति और रीति-रिवाज वाला सांसारिक भव्य त्यौहार का रूप ही नहीं दिया गया, बल्कि इस मशाल-दिवस का नाम भी बहुत विख्यात हो गया है। इधर कुछ वर्षों में बहुत से देशी-विदेशी पर्यटक मशाल-दिवस देखने आते हैं । हानिकारक कीड़े मकोड़ों को भगाने की आदिम रस्म ने बुद्धिमान व मेहनती ई-जाति जनता में सृजन के विकास की नयी जीवनी-शक्ति का संचार कर दिया है ।
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