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(GMT+08:00) 2006-09-12 09:59:02    
सी .आर .आई पर विभिन्न श्रोताओं की प्रतिक्रियाएं

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सब से पहले आप के सामने है रायसेन मध्य प्रदेश के अनिल कुमार साहू का पत्र । आप ने पत्र के शीर्ष भाग में जो शायरी की दो पंक्ति लिखी है , पसंद आयी , उसे पहले पढ़ कर अन्य श्रोता मित्रों को भी इस का आनंद दिलाऊंगी । अनिल कुमार साहू , आप ने लिखा हैः गुल खिले गुलशन खिले और खिले गुलदस्ते । पत्र पढ़ने पहले आप को हमारी नमस्ते ।

अनिल कुमार साहू जी , आगे आप ने सी .आर .आई हिन्दी कार्यक्रमों पर यो रायें लिखी हैं । मुझे चाइना रेडियो इंटरनेशनल के सभी कार्यक्रम बहुत पसंद आते हैं , आज का तिब्बत कार्यक्रम मुझे बहुत प्रिय है । इस में जीवित बुद्ध लाछान के बारे में दी गई जानकारी बहुत पसंद आयी।

दिनांक 15 अप्रैल को चीनी अल्पसंख्क जाति कार्यक्रम बहुत पसंद आया , इस कार्यक्रम से मुझे बहुत सी नई नई जानकारियां मिलीं ।

मुझे सी .आर .आई हिन्दी सेवा से सामयिक विषयों पर आप के द्वारा प्रसारित रिपोर्टें बहुत अच्छी लगती हैं । मैं इन्हें बहुत ही ध्यान से मन लगा कर सुनता हूं ।

सी .आर .आई के हिन्दी सेवा के प्रस्तुतकर्ताओं की आवाज बहुत मीठी है , इसे सुनने से मेरे मन को बहुत शांति मिलती है ।

चीन भारत के व्यापारिक संबंधों पर जो रिपोर्टें सुनायी जाती है , वे मेरी जानकारी को बढाती हैं , यहां के समाचार भी बहुत पसंद आते हैं।

यह श्री अनिल कुमार साहू जी का पहला पत्र है , हम उन का हार्दिक स्वागत करते हैं कि हमारे साथ पहले पत्राचार में ही इतना अच्छा पत्र लिख कर भेजा है , इस के लिए आप को बहुत बहुत धन्यावाद ।

यह है हमारे पुराने और सक्रिय श्रोता मित्र का पत्र , जो बिलासपुर छत्तीसगढ़ से आया है , जिसे चुन्नी लाल कैवर्त ने लिखा है । भाई चुन्नी लाल कैवर्त ने बड़ी मात्रा में हमें पत्र लिखे हैं और हर पत्र में विस्तार से हमारे कार्यक्रमों पर अपनी प्रतिक्रियाएं लिख कर बतायी है , जिस से हम अत्यन्त प्रभावित हुए है और हमारे कार्यतक्रमों के प्रति श्रोता मित्रों की रायें ठोस रूप से भी जाने । इसलिए हम हमेशा चुन्नीलाल कैवर्त के आभारी हैं ।

अब हम चुन्नी लाल कैवर्त के पत्रों में से कुछ विषय चुन चुन कर यहां पढ़ कर सुनाएंगे और चीन भारत मैत्री के बारे में उन की अच्छी रायों का भी परिचय करेंगे ।

श्री चुन्नीलाल केवर्त ने कहा कि 20 फरवरी को प्रसारित आप से मिले कार्यक्रम में भारत स्थित चीनी राजदूत महोदय से लिए गए इंटरव्यू की रिपोर्ट सुनने को मिली । वर्ष 2006 को चीन भारत मैत्री वर्ष के रूप में मनाये जाने तथा इस वर्ष में दोनों देशों में 50 से अधिक गतिविधियां आयोजित किये जाने की जानकारी मुझे सुन्दर एवं सार्थक लगी । वास्तव में हम श्रोताओं के साथ साथ दोनों देशों की जनता के लिए यह साल बहुत बड़ी खुशी का वर्ष है , राजदूत महोदय ने बताया कि इस वर्ष दोनों देशों की सांस्कृतिक , आर्थिक एवं राजनैतिक आवाजाही के साथ साथ नाथुला पहाड़ी दर्रा खोला जाने , जे.एन.यू में कन्फ्युशियस स्कूल की शुरूआत , सी सी टी वी द्वारा विशेष कार्यक्रमों का प्रसारण , युवा मिलन समारोह का आयोजन , हनान में बौद्ध मंदिर निर्माण आदि दोनों देशों के बीच शांति , मैत्री एवं सहयोग की दिशा में महत्वपूर्ण एवं सार्थक कदम हैं । निश्चित रूप से इन सब गतिविधियों से चीन भारत मैत्री की मंजिल शिखर पर पहुंचेगी ।

चुन्नी लाल कैवर्त भाई ने अपने पत्र में यह भी कहा कि पिछले दिनों , चीन का भ्रमण कार्यक्रम में तिब्बत स्वायत्त प्रदेश का दौरा कराया गया , नाइतोंग काउंटी के छाङछू मठ , शायनन प्रिफेक्चर के यङबुलाखांग महल , तिब्बती शाही कब्रस्तान और याङचू मठ की थांगखा कलाकृति की जानकारी बहुत ही रोचक और ज्ञानवर्धक थी , इसी प्रकार तिब्बत की यात्रा में लोका प्रिफेक्चर के नाईतोंग काऊंटी के कालीन फैक्ट्री एवं कालीनों की लोकप्रियता की चर्चा भी ज्ञानवर्धक लगी । सिन्चांग का दौरा कार्यक्रम में रिटायर अध्यापिका श्रीमती बहारगुल की कहानी प्रेरणादायक थी । सांस्कृतिक जीवन कार्यक्रम में चीनी फिल्मों के विकास व कलात्मक फिल्मों के निर्देशक श्री ह्वाङ श्वाव श्वाय का परिचय , विज्ञान , शिक्षा व स्वास्थ्य में चीन और विदेशों के बीच शिक्षा के संबंध में सहयोग के बारे में रिपोर्ट आदि प्रशंसनीय और उल्लेखनीय रूप से पसंद आयी ।

चुन्नी लाल कैवर्त ने पत्र में पूछा है कि नाथुला दर्रा चीन और भारत के किस स्थानों से जुड़ा है और कितनी दूर है । नाथुला दर्रा चीन के तिब्बत स्वायत्त प्रदेश की यातुंग काऊंटी तथा भारत के सिक्किम से जुड़ा है , जो तिब्बत की राजधानी ल्हासा से 460 तथा भारत के कोलकाता से करीब पांच सौ 50 किलोमीटर है ।