तीसरी राष्ट्रीय जातीय सांस्कृतिक कला-प्रदर्शनी सितम्बर की पांच तारीख से धूमधाम से आयोजित हो रही है । इस बीस दिवसीय प्रदर्शनी के दौरान चीन की विभिन्न जातियों के कलाकार भाग लेकर अपनी-अपनी जाति की विशेषता वाले सांस्कृतिक समारोह आयोजित करेंगे ।
सितम्बर की पांच तारीख को सांस्कृतिक कला-प्रदर्शनी की शुरूआत इस के उद्घाटन समारोह के आयोजन से हुई । उद्घाटन समारोह राजधानी पेइचिंग के बृहत जन-सभा भवन में हुआ। चीनी राष्ट्राध्यक्ष हू चिन थाओ, चीनी प्रधान मंत्री वन च्या पाओ और चीनी जन राजनीतिक सलाहकार सम्मेलन की राष्ट्रीय समिति के अध्यक्ष च्या छिंग लिन आदि नेताओं ने उद्घाटन समारोह में भाग लिया और विभिन्न जातीय कलाकारों की प्रस्तुतियों के पूर्व उन के साथ स्नेहपूर्ण रूप से भेंट वार्ता की ।
तीसरी राष्ट्रीय जातीय सांस्कृतिक कला-प्रदर्शनी के उद्घाटन समारोह में मंगोल जाति के"आन दा"नामक संगीत दल ने मंगोल जाति के विशेष वाद्य यंत्रों के साथ अपनी प्रस्तुति पेश की । मंगोल भाषा में आन दा का मतलब भाई है । इस में मंगोल जाति के युवकों के बीच दोस्ती की अभिव्यक्ति की गई है ।
मंगोल जाति के इस प्रस्तुति मंडल के एक कलाकार,"आन दा"संगीत दल के एक सदस्य ना री सू ने कहा
"मौजूदा उद्घाटन समारोह में मंगोल जाति के हमारे तीन कार्यक्रम शामिल हैं । मंगोल जाति की ओर से इस में भाग लेने में हमें बहुत गर्व महसूस होता है । हमारी प्रस्तुति में तिब्बती विशेषता वाले वाद्य यंत्र की मधुर आवाज़ और अपने स्वंय के गायन में मंगोल जाति की प्राचीन कला शैली दिखाई पड़ेगी ।"
तीसरी चीनी राष्ट्रीय जातीय सांस्कृतिक कला-प्रदर्शनी चीनी राष्ट्रीय जाति समिति, चीनी संस्कृति मंत्रालय,चीनी रेडियो,टी.वी. और फिल्म महा ब्यूरो तथा चीनी राष्ट्रीय केंद्रीय नाच-गान मंडल के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित की गयी है। इस दौरान देश भर के विभिन्न अल्पसंख्यक जातियों के 4500 से ज्यादा कलाकार और अभिनेता-अभिनेत्री 21 दिनों में 33 सांस्कृतिक कलात्मक रंगारंग कार्यक्रम प्रस्तुत करेंगे ।
चीन में प्रथम राष्ट्रीय जातीय सांस्कृतिक कला-प्रदर्शनी का आयोजन वर्ष 1980 में हुआ था । इस के बाद कोई बीस से ज्यादा वर्षों तक इस में व्यवधान आ गया । वर्ष 2001 में सरकार ने इस जातीय सांस्कृतिक कला-प्रदर्शनी को बहाल करने और हर पांच साल में आयोजित करने का फैसला लिया । इस तरह तीसरी राष्ट्रीय जातीय सांस्कृतिक कला-प्रदर्शनी वर्ष 2006 में आयोजित की जा रही है । चीनी राष्ट्रीय जातीय समिति और चीनी केंद्रीय जातीय नाच-गान मंडल के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित मौजूदा सांस्कृतिक कला-प्रदर्शनी में चीन की विभिन्न जातियों के कलाकार रंगबिरंगे कार्यक्रम पेश करेंगे । तीसरी राष्ट्रीय जातीय सांस्कृतिक कला-प्रदर्शनी के उद्घाटन समारोह की आयोजन समिति के सदस्य चीनी केंद्रीय जातीय नाच-गान मंडल के अधिकारी श्री च्यांग थाई श्यांग ने जानकारी देते हुए कहा
"मौजूदा सांस्कृतिक कला-प्रदर्शनी में चीन की बीस से ज्यादा जातियों के तीस से अधिक सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित होंगे, इन समारोहों के विषय बहुत विविधतापूर्ण हैं, जिन में नाच-गान, मज़ाक, पेइचिंग ऑपेरा, खुन छ्वु ऑपेरा, बाल ऑपेरा और सिंफनी आदि शामिल हैं । मुझे लगता है कि सांस्कृतिक कार्यक्रमों के सभी रंग इस में दिखाई पड़ेंगे।"
श्री च्यांग थाइ श्यांग ने कहा कि बीस दिवसीय तीसरी राष्ट्रीय जातीय सांस्कृतिक कला-प्रदर्शनी में विभिन्न जातीय कलाकारों की प्रस्तुतियों के जरिए चीन में हान जाति के अलावा, अन्य जातियों विशेषकर अल्पसंख्यक जातियों के जीवन व संस्कृति अभिव्यक्ति की गई है । राष्ट्रीय जातीय सांस्कृतिक कला-प्रदर्शनी के आयोजन के मकसद की चर्चा में तीसरी राष्ट्रीय जातीय सांस्कृतिक कला-प्रदर्शनी के उद्घाटन समारोह के आयोजक समिति के सदस्य चीनी केंद्रीय जातीय नाच-गान मंडल के अधिकारी श्री च्यांग थाई श्यांग ने कहा
"चीनी जातिय सांस्कृतिक कला-प्रदर्शनी के आयोजन का मकसद समूची चीनी जनता को हान जाति के अलावा, चीन राष्ट्र की 55 जातियों की कला व संस्कृति को दिखाना है । इस के साथ ही इस सांस्कृतिक कला-प्रदर्शनी से विभिन्न ऐतिहासिक कालों में चीनी जातियों के जीवन की स्थिति भी दिखाई पड़ेगी ।"
श्री च्यांग थाई श्यांग ने यह भी कहा कि राष्ट्रीय जातीय सांस्कृतिक कला-प्रदर्शनी के आयोजन से जाहिर है कि चीन सरकार जातियों को महत्व देती है और जातीय नीति के अच्छी तरह कार्यान्वयन की कोशिश करती है ।
तीसरी राष्ट्रीय जातीय सांस्कृतिक कला-प्रदर्शनी के उद्घाटन समारोह में तिब्बती जाति के कलाकारों की प्रस्तुति सब से उल्लेखनीय है । प्रस्तुति के सभी कलाकार तिब्बत स्वायत्त प्रदेश के शिकाजे प्रिफैक्चर की लाजी कांउटी से आए स्थानीय किसान व चरवाहे हैं । आप को मालूम होगा कि तिब्बती जाति नाच-गान की शौकीन है । लम्बे समय से छिंगहाई-तिब्बत पठार पर रहने वाली तिब्बती जाति बहुत जोशीली व उत्साहपूर्ण है । तिब्बती किसानों व चरवाहों को खेती का काम करने के बाद अपने विशेष वाद्ययंत्र बजाकर नाचना-गाना पसंद है । उन की प्रस्तुति से तिब्बती लोगों का सीधा-सादा स्वभाव दिखायी देता है । तीसरी राष्ट्रीय जातीय सांस्कृतिक कला-प्रदर्शनी के उद्घाटन समारोह में तिब्बती जाति की इस प्रस्तुति ने दर्शकों की वाहवाह लूटी । लेकिन क्या आप को पता लगा कि इस में भाग लेने वाले तिब्बती किसान व चरवाहे सभी प्रथम बार तिब्बत से निकल कर राजधानी पेइचिंग आए हैं ?तिब्बती प्रस्तुति मंडल के सदस्य तिब्बती किसान सोलांग ने कहा
"हम ने तिब्बती पंचांग के नये साल में यह प्रस्तुति दी , जिसे दर्शकों का भारी स्वागत मिला । इस बार हम तिब्बती जनता की ओर से राजधानी पेइचिंग आए हैं, हमें बड़ी खुशी हुई और गर्व भी महसूस हुआ ।"
मंगोल जाति और तिब्बती जाति के अलावा, तीसरी राष्ट्रीय जातीय सांस्कृतिक कला-प्रदर्शनी में चीन के विभिन्न स्थलों से आई जातियां अपनी जातीय विशेषता वाले कार्यक्रम पेश करेंगी। उन में वुइगुर जाति, ली सू जाति, ह्वेइ जाति, च्वांग जाति आदि शामिल हैं । बीस से ज्यादा दिवसीय इस शानदार समारोह में दर्शक चीनी जीतियों की रंगबिरंगी व सुन्दर संस्कृति का मज़ा ले सकेंगे ।
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