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(GMT+08:00) 2006-09-07 14:29:38    
भारतीय छात्र का चीन सपना

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चीन और भारत इन दो महान देशों के बीच मैत्री को बढ़ाने के लिए जो अथक कोशिश करते रहें हैं , उन्हें चीन भारत मैत्री का पुल कहलाता है । इन में चीनी भी हैं , भारतीय भी , बुजुर्ग भी हैं और जवान भी । यहां प्रस्तुत है दिल्ली में पढ़ रहे एक भारतीय छात्र की कहानी ।

श्री सरफरोश जवाहर लाल नेहरू युनिवर्सिटी के चीनी भाषा विभाग के तीसरे वर्ष के छात्र हैं । उन का चीनी भाषी नाम है वांग चिंग , अर्थात राजा का सम्मानादर । मैं ने उन से पूछा कि क्यों यह बड़े मतलब का नाम रखा गया , तो जवाब में उन्हों ने बड़ी तमन्ना के साथ कहा कि मैं बालावस्था से ही चीन की कुंफू फिल्में और मार्शल आर्ट को बहुत पसंद करता आया है । चीनी भाषा सीखने के बाद मेरे हृद्य में चीन देश के प्रति गहरा लगाव पैदा हुआ । चीन हमेशा मेरे दिल का एक सपना है , इसलिए मैं अपना चीनी नाम वांग चिंग रखा , जिस से चीन के प्रति अपना आदर प्रकट कर सकता हूं ।

श्री वांग चिंग यानी सरफरोश एक सुन्दर और सुडौल नवयुवक है , स्वाभाव में वह मिलनसार है और गीत गाने के शौकिन है। वह अपनी क्लास का श्रेष्ठ गायक माना जाता है । स्कूल के सांस्कृतिक मनोरंजन कार्यक्रम में वह अकसर अहम पात्र निभाते है । चीनी गीतों के अलावा श्री सरफरोश को चीन की विशेष वाचन कला यानी द्वि वाचक विनोद के कुछ अंश भी आते है । हर सर्दियों के मौसम में जवाहर लाल नेहरू युनिवर्सिटी के छात्र शीतकालीन सांस्कृतिक कला प्रदर्शन का आयोजन करते हैं , जिस में प्रायः सरफरोश संचालन का काम करते है और कभी कभार अपना कार्यक्रम भी पेश करते हैं ।

हमारे साथ बातचीत के दौरान श्री सरफरोश ने कुछ चीनी गीत भी गाये , जो सभी फिलहाल चीन में काफी लोकप्रिय हो रहे हैं । काफी शर्म की बात यह है कि उन्हें जो कुछ चीनी गीत गाना आये है , चीनी होने पर भी हम उन्हें गाना नहीं जानते। श्री सरफरोश का विशुद्ध व सटीक गायन सुन कर हमें बड़ा आश्चर्य हुआ , क्यों कि कुछ गीत तो चीन में भी अभी अभी प्रचलित हो रहे हैं । पूछने पर उन्हों ने हमें बताया कि उन्हों ने इंटरनेट के चीनी वेबसाइट से इन चीनी गीतों को डाउन लॉड किया है , वे बारांबार सुनते रहे और गाते रहे , अंत में खूब गाने को आया ।

वे चीनी भाषा में बताते हैं, हमारे चीनी भाषा विभाग के छात्र सभी चीनी गीत पसंद करते हैं , जिसे गाना नहीं आता है , वह सुनने में मस्त रहता है । शुरू शुरू में चीनी गीत सीखने में बड़ी दिक्कत आयी , क्योंकि बहुत से भारतीय लोग सही चीनी उच्चारण नहीं कर सकते । लेकिन जब अपने संकल्प पर कायम रहेंगे , तो अंत में अपनी मंसूबा जरूर पूरी होगी । मैं ने विश्वविद्यालय के दूसरे वर्ष के समय वसंत त्यौहार के मिलन समारोह में अपना पहला चीनी गीत सीखा था ।

श्री सरफरोश उत्तर प्रदेश के एक गांव के निवासी है , जवाहरलाल नेहरू युनिवर्सिटि में चीनी भाषा पढ़ने से पहले उन्हें चीन के बारे में बहुत कम जानकारी थी । उन्हों ने हमें बताया कि मिडिल स्कूल में वे रेडियो प्रसारण सुनना पसंद करते थे , एक बार संयोग से चाइना रेडियो इंटरनेशनल के हिन्दी प्रसारण का चैनल पकड़ा , सुन कर उन्हें बड़ा ताज्जुब हुआ कि सी .आर .आई में कैसा हिन्दी प्रसारण आया , क्या गलती से मीटर बैंड पकड़ा है ,जब बड़ी दिलचस्पी से आगे सुना, तो मालूम हो गया कि सी .आर .आई का हिन्दी सर्विस वर्षों से चल रहा है । तभी से सरफरोश ने सी .आर .आई के हिन्दी प्रसारण सुनना शुरू किया और चीन के बारे में काफी जानकारी मिली । चीनी भाषा को अपने अध्ययन का विषय चुनने का कारण पूछने पर उन्हों ने कहा कि चीन का आर्थिक विकास काफी तेजी से हो रहा है, भारत में चीन की बहुराष्ट्रीय कंपनियों और संस्थाओं की संख्या भी लगातार बढ़ती जा रही है । ऐसी स्थिति में चीनी भाषा जानने वालों को अच्छी नौकरी मिलेगी ।

चीन और भारत के बीच आदान प्रदान व सहयोग जोरों से बढ़ने के चलते चीनी भाषा सीखने से बेहतर कैरियर का विकास हो सकेगा । वे बताते हैं, किसी एक किस्म की भाषा का व्यापक चलन उस के मातृ देश की राष्ट्रीय शक्ति पर निर्भर करता है । इधर के सालों में चीन की तरक्की दिन दुनी रात चौगुनी हो रही है , जिस से चीनी भाषा की लोकप्रियता को बड़ी सहायता मिली है । अधिकांश भारतीय लोगों के लिए चीन अभी थोड़ा बहुत रहस्यमय है । हमारे लिए चीन एक सपना है और एक ख्वाह है ।

अपने सपने को साकार करने के लिए श्री सरफरोश ने चीनी भाषा के अध्ययन का विषय चुना , जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय में दाखिला होने के बाद वे बड़ी मेहनत से पढ़ते हैं । वे पाठ्यपुस्कों से चीनी संस्कृति सीखते है , रेडियो और टीवी से चीन की विस्तृत जानकारी लेते हैं और वेबसाइट से चीनी गीत संगीत सीखते हैं और चीनी भाषी फिल्मों का लुत्फ लेते हैं । अपने चीनी स्तर उन्नत करने के लिए वे समय समय पर भारत में पढ़ने आए चीनी छात्रों से बातचीत करते हैं। बड़े लगन और कड़ी मेहनत का रंग आया । दो साल चीनी भाषा सीखने के बाद उन का स्तर चोथे वर्ष की कक्षा के बराबरी पर जा पहुंचा । उन्हों ने चीनी भाषा में जो चीनी गीत गाये थे , उस से विश्वविद्यालय के शीतकालीन सांस्कृतिक समारोह में खासा धूम मचा । 

वर्ष 2002 में चीन के वैदेशिक चीनी भाषा अध्यापन कार्य के राष्ट्रीय नेतृत्व दल ने अन्तरराष्ट्रीय जगत में विदेशी छात्रों में चीनी भाषा पुल नामक चीनी भाषा प्रतियोगिता का आयोजन आरंभ किया , प्रतियोगिता का उद्देशन चीनी राष्ट्र की श्रेष्ठ संस्कृति का प्रसार प्रचार करना और चीन के बारे में विभिन्न देशों के लोगों के ज्ञान व समझ को बढ़ाना है, ताकि चीन और विश्व के अन्य देशों के बीच विभिन्न मुद्दों के आदान प्रदाव व सहयोग को प्रेरित किया जाए । वर्ष 2006 के वसंत कालीन चीनी भाषा पुल प्रतियोगिता में श्री सरफरोश ने श्रेष्ठ अंक से भारतीय मैच क्षेत्र की चैम्पियनशिप जीती, भारतीय प्रत्याशी के रूप में वे जुलाई में चीन में फाइनल प्रतियोगिता में भाग लेने आएंगे , इस तरह उन का खुद अपनी आंखों से चीन देखने का सपना साकार हो जाएगा । उन्हें अनंत प्रसन्नता हुई है कि उन्हें चीन में आ कर अपनी चीनी भाषा का स्तर आजमाने का मौका मिल सकेगा ।

चीनी भाषा सीखने के बाद श्री सरफरोश को चीन के बारे में जानकारी लगातार समृद्ध बढ़ती गयी , इस के साथ साथ चीन के प्रति लगाव भी गाढ़ा हो गया । यह देख कर कि चीन के प्रति बहुत से भारतीय लोगों की कम जानकारी है , तो उन्हों ने दोनों देशों की जनता के बीच आपसी समझ बढ़ाने के लिए अपना योगदान करने का संकल्प किया । उन्हों ने कहा, हमें दोनों देशों की हजारों वर्ष पुरानी परम्परागत संस्कृति बनाए रखने की कोशिश करना चाहिए , सांस्कृतिक परम्परा हमारे दोनों प्राचीन सभ्यता वाले देशों के मूल्यवान धरोहर है । आर्थिक भूमंडलीकरण के युग में सांस्कृतिक आदान प्रदान भी जोर पकड़ेगा । हमें अपनी सांस्कृतिक श्रेष्ठता विकसित करना चाहिए । 

बातचीत के दौरान श्री वांग चिंग यानी सरफरोश ने हमें बताया कि उन्हें छात्रवृत्ति मिली है , स्नातक होने के बाद वे चीन व भारत के बीच छात्रों के आदान प्रदान कार्यक्रम के तहत चीन में एक साल पढ़ने जाएंगे । यह उन का एक और वांछित मौका है , वे और मेहनत से चीन की संस्कृति का अध्ययन करेंगे। उन का चीन संबंधी सपना शीघ्र ही साकार होगा ।