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प्रिय दोस्तो , क्या आप को मालूम है कि जो कोई भी पर्यटक पेइचिंग के दौरे पर आया है , उस ने ज़रूर यह कहावत सुनी होगी कि यदि वह पुरूष लम्बी दीवार पर नहीं चढ़ा , तो वह सच्चा पुरूष नहीं माना जा सकता और यदि उस ने भुनी हुई पेइचिंग बतख न चखी तो उसे बाद में बड़ा खेद होगा । यह बात बिल्कुल सही है , आप ने पेइचिंग के दौरे पर विश्वविख्यात लम्बी दीवार चढ़ने के बाद अपना वर्षों का मनसूबा पूरा कर लिया है , पर यदि आप ने भुनी हुई पेइचिंग की बखत नहीं चखी , तो सचमुच वह आप के लिये एक बड़ी खेदजनक बात होगी । आज के चीन का भ्रमण कार्यक्रम में हम आप के साथ पेइचिंग के प्रसिद्ध पुराने भुनी हुई बतख रेस्त्रांओं का दौरा करने जा रहे हैं ।
आज से कोई सात सौ वर्ष से पहले से ही भुनी हुई पेइचिंग बतख पेइचिंग के खानदानी परिवारों के पसंदीदा व्यंजनों में से एक रही है । भुनी हुई पेइचिंग बतख दो प्रकार की होती हैं , एक चूल्हे के ऊपर लटका कर भुनी हुई बतख। इसे बनाने का तरीका इस प्रकार है कि विशेष तरीके से तैयार किए गए चुल्हे में बेर व आड़ू की लकड़ियों को जलाया जाता है , फिर मसाला लगाई हुई बतख चुल्हे के ऊपर लटकाकर आग पर धीरे-धीरे भूनी जाती है। दूसरे प्रकार की भुनी हुई बतख भूनने का तरीका यह है कि मसाला लगाई हुई बतख आग के ऊपर लटकाने के बजाये चुल्हे के अंदर रखी जाती है , फिर नीचे आग जला कर धीरे-धीरे इसे भूना जाता है । दोनों प्रकार से भुनी हुई पेइचिंग बतख खाने में नरम और स्वादु और विशेष खुशबूदार होती है ।
पेइचिंग शहर में सब से प्राचीन भुनी हुई पेइचिंग बत्तख रेस्त्राओं की गिनती में प्येन ई फांग नामक रेस्त्रां प्रमुख है । उस का इतिहास कोई छः सौ वर्ष पुराना है । प्येन ई फांग रेस्त्रां की अब पेइचिंग में अन्य कई शृंखलाबद्ध शाखाएं खुल गयी हैं , जबकि उस का मुख्य रेस्त्रां पेइचिंग शहर के केंद्र में स्थित रौनकदार छुंग वन मन सड़क के चौराहे पर स्थित है । यहां से पेइचिंग का मशहूर थ्येन आन मन चौक बहुत नज़दीक है , पैदल केवल बीस मिनट का रास्ता है । प्येन ई फांग जनरल रेस्त्रां में कदम रखते ही घने पूर्वी सांस्कृतिक माहौल का सा आभास होता है । चीनी शैली से युक्त सुनहरे शब्दों से अंकित एक काला बोर्ड हॉल में सामने की दीवार के बीचोंबीच लगा हुआ है , हॉल के ऊपर प्राचीन शैली वाली लाल लालटेन लटकी हुई हैं , चार लाल मोटे खंभों पर सजीव चित्रों का चित्रण है। देखने में यह बड़ा भव्य लगता है ।
इस रेस्त्रां के मैनेजर सुंग येन ने कहा कि प्येन ई फांग की सब से बड़ी विशेषता है चूल्हे के अंदर भुनी हुए बतख । उन का कहना है कि चुल्हे के भीतर भुनी हुई बतख की विशेषता यह है कि सीधे आग के ऊपर लटकाने के बजाये चुल्हे के भीतरी तापमान के सहारे भुनी जाती है । इस तरह से बतख को सीधे आग के ऊपर लटका कर भूनने से कहीं अधिक मुश्किल है । इस तरीके से भुनी हुई बतख का मांस स्वादिष्ट होने के अलावा अपने गहरे, चमकदार लांल रंग के कारण आंखों को भी भाता है और ताज़गी का एहसास देता है ।
श्री सुंग येन ने परिचय देते हुए कहा कि भुनी हुई बतख को भूनने से पहले बतख का चुनाव किया जाता है और बतख चुनने का मापदंड अत्यंत कड़ा है । जिंदा बतख का वजन दो हजार नौ सौ ग्राम होना ज़रूरी है और ऐसी बतखों को पालने की अवधि साठ दिन के भीतर होनी चाहिए । पिछले सौ वर्षो से भी अधिक समय से प्येन ई फांग रेस्त्रां में इसी मापदंड के अनुसार बतख को भूना जाता है और इस का नाम चीन में ही नहीं , आज विश्व भर में लोकप्रिय हो गया है ।
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