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(GMT+08:00) 2006-09-05 15:09:45    
युंगपुलाखांग राजमहल का दौरा

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युंगपुलाखांग राजमहल शान्नान प्रिफैक्चर की राजधानी चह तांग कस्बे से दस किलोमीटर की दूरी पर स्थित चाशित्सेर पर्वत पर स्थित है । तिब्बती भाषा में युंगपु का मतलब हिरनी है और ला का मतलब पिछली टांग है , जबकि खांग का अर्थ है राजमहल । क्योंकि चाशित्सेर पर्वत का आकार एक सुप्त हिरणी जैसा जान पड़ता है , इसलिये युंगपुलाखांग भवन हिरणी की पिछली टांगों पर स्थापित राजमहल के नाम से विख्यात हो गया है। तिब्बती जाति के बीच युंगपुलाखांग भवन के निर्माण से जुडीं बहुत-सी मर्मस्पर्शी कहानियां आज तक लोगों की जुबान पर हैं । कहा जाता है कि थूफान यानी तिब्बत का प्रथम राजा चानफू स्वर्ग देवता का बेटा था । एक दिन जब वह स्वर्ग की सीढ़ियों से उतर कर यालूंग नदी की घाटी के चानथांग मैदान पर आया , तो स्थानीय चरवाहे उसे देखकर बेहद आश्चर्यचकित हुए और उसे अपना राजा बना लिया । फिर इन चरवाहों ने उसे अपने कंधों पर बिठाकर उसे न्येचिचानपू नाम दिया । तिब्बती भाषा में न्ये का मतलब है गला , चि का अर्थ है सिंहासन और चानपू का अर्थ है बहादुर राजा । अतः न्येचिचागपू का पूरा अर्थ है गले के सिंहासन पर बैठा वीर । इस के बाद तिब्बत के इतिहास में हरेक तिब्बती राजा को चानपू कहा जाने लगा । स्थानीय चरवाहों ने राजा न्येचिचानपू के सम्मान में युंगपुलाखांग राजमहल का निर्माण किया । आज युंगपुलाखान-भवन तिब्बती बौद्ध-धर्म की उप शाखा ह्वाग-धर्म के मठ के रुप में जाना जाता है ।युंगपुलाखांग महल के प्रति शान्नान क्षेत्र के स्थानीय लोगों के बीच असाधारण भावना व्याप्त है । तिब्बत के शान्नान क्षेत्र के पर्यटन ब्यूरो के प्रधान छ्यो लिन ने कहा :

"तिब्बत जाति के दिल में युंगपुलाखांग महल तिब्बती सभ्यता का प्रतीक है , समूचे तिब्बत पर इस महल का बड़ा प्रभाव है । युंगपुलाखान महल तिब्बत में सब से प्राचीन राजमहल के रुप में जाना जाता है , और उस का अलग स्थान भी बेहद उल्लेखनीय है । क्योंकि वह विशाल घास मैदानों से चरागाहों और चलते फिरते पशु पालन समाज से स्थिर कृषि समाज के रूप में बदलने का परिचायक है , बौद्ध धर्म की दृष्टि से युंगपुलाखांग महल शकुन का स्थल भी है ।"

62 वर्षीय तिब्बती किसान वांगत्वीचेपू बहुत स्वस्थ नजर आते हैं , वे हर रोज अपनी पत्नी के साथ चाशित्सेर पवर्त पर चढ़कर सूत्र कंठस्थ करते हुए युंगपुलाखांग महल के चारों ओर

चक्कर लगाते हैं । उन्होंने बहुत गर्व के साथ कहा कि 1983 में उन्होंने युंगपुलाखांग महल के जीर्णोंद्धार में भाग लिया था । वे हर रोज यहां आकर अपनी उम्र के हिसाब से युंगपुलाखांग के चक्कर लगाते हैं ।

"मैं युंगपुलाखांग महल के बगल में रहता हूँ , हर रोज मैं यहां आकर सूत्र पढ़ते हुए युंगपुलाखांग के चक्कर लगाता हूं । हम स्थानीय लोग शान्नान क्षेत्र में इतना शानदार राजमहल होने पर बहुत गर्व महसूस करते हैं ।"

चाशित्सेर पर्वत की तलहटी में कुछ स्थानीय तिब्बती लोग युगपुलाखांग राजमहल तक जाने के लिये घोड़ों व सुलगायों का इस्तेमाल करते हैं । हरेक घोड़े व सुलगाय के शरीर पर बहुत सुंदर काठी बिछायी जाती है । आम तौर पर कुछ पर्यटकों को प्रथम बार यहां आने के बाद सांस लेने में दिक्कत होती है , इसे ध्यान में रखकर स्थानीय लोग पर्यटकों को पर्वत चढ़ने में सुविधा प्रदान करने के लिये घोड़े या सुलगाय की सेवा प्रदान करते हैं । तिब्बती किसान वांगचू उन में से एक है । उसने कहा कि उसे यह काम करते हुए पांच साल हो गये हैं । उस ने कहा:

"युगपुलाखांग राजमहल जहां पर स्थित है , वहां की ऊंचाई बहुत है , किसी भी वाहन के लिये पर्वत पर जाना असम्भव है , इसलिये हम इस कठिनाई को दूर करने के लिये पर्यटकों को घोड़े व सुलगाय की सेवा प्रदान करते हैं । सुलगाय पठार की धरोहर है , और विदेशी पर्यटकों को बहुत पसंद है । यदि पर्यटक ज्यादा आते हैं , तो औसतन हर रोज हम 50 य्वान कमा सकते हैं , महीने में 1800 य्वान तक कमाते हैं । इस सेवा कार्य में लग जाने के बाद मेरा परिवार पहले से अधिक खुशहाल हो गया है ।"

वांगच्यू ने इस की चर्चा में कहा कि उन के गांव के कुल 94 परिवारों में से 13 परिवार अब इसी सेवा कार्य में लग गये हैं । पर्यटन के अवकाश समय में सुलगाय खेतों के काम में प्रयुक्त होती हैं , अब स्थानीय तिब्बती लोगों को खेतीबाड़ी और पर्यटन से साल में औसतन दस हजार य्वान से अधिक आय हो जाती है ।

चाशित्सेर पर्वत पर स्थापित प्राचीन राजमहल में खड़े होकर छज्जों के नीचे लटकी हुई घंटियों की मधुर आवाज सुनने में बड़ा अच्छी लगती है । दूर से देखें , तो लहलहाते खेत हवा के झोंको में हिलते हुए दिखाई देते हैं , नीले आकाश के नीचे पेड़ों के बीच कतारों में खड़े ग्रामीण मकानों की झलकियाँ देखकर मन मंत्रमुग्ध हो जाता है ।

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