वर्ष 2006 चीन-भारत मैत्री वर्ष है। इस वर्ष तरह-तरह की गतिविधियां आयोजित की जा रही हैं। और भारतीय फ़िल्म-समारोह भी उन में से एक है। हाल ही में इस समारोह का उदघाटन पेइचिंग में हुआ।
भारतीय फ़िल्म-समारोह वर्ष 2006 के चीन-भारत मैत्री वर्ष के एक महत्वपूर्ण भाग के रुप में चीनी राष्ट्रीय रेडियो, फ़िल्म व टी.वी. के जनरल ब्यूरो और चीन में स्थित भारतीय दूतावास द्वारा संयुक्त रूप से आयोजित किया गया। अगस्त की 25 तारीख को इस का उदघाटन पेइचिंग के नयी शताब्दी सिनेमा में धूमधाम से हुआ। चीन-भारतीय संसद के मैत्रीपूर्ण संगठन के अध्यक्ष श्री च्या ची चे ने इस समारोह का उदघाटन किया।
श्री च्या ची चे के अलावा उदघाटन समारोह में चीनी राष्ट्रीय जन प्रतिनिधि सभा के विदेश मामलात समिति के उपाध्यक्ष श्री ची भे तिंग, शांघाई सहयोग संगठन के महासचिव श्री च्यांग ते क्वांग, चीनी जन राजनयिक संघ के अध्यक्ष श्री यांग वेन छांग, चीनी राष्ट्रीय रेडियो, फ़िल्म, टी.वी. जनलर ब्यूरो के फिल्म प्रबंध ब्यूरो के उपाध्यक्ष श्री च्यांग होंग सेन, और चीन स्थित भारतीय राजदूत श्री नलिन सूरी भी उपस्थित थे।
उदघाटन-समारोह में सब से पहले श्री च्यांग होंग सेन ने भाषण दिया। उन्होंने कहा, चीन व भारत दोनों देशों के फ़िल्म जगत के व्यक्तियों द्वारा की गई ध्यानपूर्वक तैयारी के बाद अगस्त की 25 तारीख को भारतीय फिल्म-समारोह पेइचिंग के नयी शताब्दी सिनेमा में धूमधाम से आयोजित हो रहा है। सब से पहले मैं चीनी राष्ट्रीय रेडियो, फिल्म, टी.वी. जनलर ब्यूरो के फिल्म प्रबंध ब्यूरो की ओर से इस फिल्म-समारोह को सच्चे दिल से शुभकामनाएं देता हूं, और उदघाटन-समारोह में उपस्थित विभिन्न मेहमानों का हार्दिक स्वागत करता हूं। फिल्म अपनी विशेष जातीय संस्कृति का प्रदर्शन कर सकती है। वह विभिन्न देशों व जातियों के बीच भावना का आदान-प्रदान करने व आपसी समझ को मजबूत करने का एक पुल भी है। इस बार के भारतीय फ़िल्म-समारोह को चीन के फ़िल्म-जगत व विस्तृत चीनी दर्शकों का हार्दिक स्वागत मिला है। समारोह के दौरान भारत की दस श्रेष्ठ फ़िल्में दिखायी जाएंगी। इन फिल्मों से भारत के प्रति चीनी दर्शकों की समझ को विकसित किया जा सकेगा, और दोनों देशों की जनता के बीच सहयोग व मित्रता को भी और मजबूत किया जा सकेगा। चीन व भारत दोनों फ़िल्में बनाने वाले बड़े देश हैं। हाल के कई वर्षों में चीनी फिल्म-समारोह भारत में चार बार सफलता के साथ आयोजित किया जा चुका है, जिसे भारतीय दर्शकों ने बहुत पंसद किया है। मुझे विश्वास है कि दोनों पक्षों के द्वारा एक दूसरे के देश में फिल्म समारोहों का आयोजन करने से फिल्म क्षेत्र में दोनों देशों में सहयोग व आदान-प्रदान को और मजबूत किया जा सकेगा।
उदघाटन समारोह में चीन स्थित भारतीय राजदूत श्री नलिन सूरी ने भी भाषण दिया। उन्होंने कहा कि, मैं बहुत खुशी के साथ सभी मेहमानों का उदघाटन समारोह में भाग लेने के लिए स्वागत करता हूं। इस गतिविधि को सफलता से आयोजित करने में चीनी राष्ट्रीय रेडियो, फिल्म, टी.वी. जनरल ब्यूरो का बड़ा समर्थन मिला है। इस के लिये मैं उन सब को धन्यवाद देता हूं। भारतीय फ़िल्में विश्व प्रसिद्ध हैं। मानव के जीवन में तरह-तरह की भावनाएं व समाज में मौजूद तरह-तरह के मामले भारतीय फ़िल्मों में देखने को मिल सकते हैं। यह तो भारतीय फ़िल्मों की विशेषता व बुनियाद है। और लंबे समय से विभिन्न देशों की जनता द्वारा भारतीय फ़िल्मों को पसंद करने का मुख्य कारण भी है। हालांकि समय के साथ भारतीय फ़िल्में लगातार नयी तकनीक सीख रही हैं, पर उस का स्वरूप व विशेषता नहीं बदली है। हमें विश्वास है कि इस बार के फ़िल्म-समारोह से हम न सिर्फ़ चीन की नयी पीढ़ी के फिल्म प्रेमियों को भारतीय फिल्मों की विशेष कला का परिचय दे सकेंगे, बल्कि भारतीय फिल्मों के प्रति चीन के पुराने दर्शकों की गहरी भावना को भी उत्तेजित कर सकेंगे। आगामी कुछ दिनों में हम भारत की विभिन्न जगहों से आईं आठ भाषाओं की दस फिल्मों का प्रदर्शन करेंगे। इन फिल्मों से भारतीय संस्कृति की विविधता ज़रूर दिखायी पड़ेगी। मुझे आशा है कि इस गतिविधि से हम चीन व भारत दोनों देशों के बीच सांस्कृतिक आदान-प्रदान, आपसी समझ व परंपरागत मित्रता को भी मजबूत कर सकेंगे।
ज्यादा से ज्यादा चीनी दर्शकों को भारतीय फिल्मों की ओर आकर्षित करने के लिये इस गतिविधि की आयोजन कमेटी ने वर्ष 2006 के भारतीय फिल्म समारोह में फिल्मी संस्कृति के तीन अंतर्राष्ट्रीय आदान-प्रदान व प्रसार दूत चुने हैं। वे हैं चीन के प्रसिद्ध फिल्म निदेशक श्री ह्वो चेन छी, और प्रसिद्ध अभिनेता सुश्री ल्यू ज़ व श्री फेन यूए मिंग।
इस फिल्म समारोह के बारे में श्री ह्वो चेन छी ने कहा कि, मैं ने बहुत खुशी के साथ इस भारतीय फिल्म-समारोह के उदघाटन समारोह में भाग लिया। बहुत साल पहले जब मैं एक बच्चा था, तो मैंने कई भारतीय फ़िल्मों को देखा, जैसे《आवारा》,《कारवां》व《नूरी》, जिन की सुंदर याद अब तक मेरे पास है। लेकिन इस के बाद लंबे समय तक मैं ने सिनेमा में भारतीय फिल्म नहीं देखी । इस बार की गतिविधि से हम फिर एक बार नये ज़माने की भारतीय फ़िल्में देख सकते हैं। इसलिये मुझे बहुत खुशी हुई है। उदघाटन समारोह के बाद हम भारतीय फ़िल्म《रोज़ा》देखेंगे। यह फ़िल्म बहुत अच्छी है, खास तौर पर इस का गीत-संगीत बहुत मधुर है। मुझे विश्वास है कि यह फ़िल्म ज़रूर दर्शकों पर गहरी छाप छोड़ सकेगी।
फिल्मी संस्कृति के अंतर्राष्ट्रीय आदान-प्रदान व प्रसार दूत के रूप में सुश्री ल्यू ज़ ने हमें इस बार के भारतीय फ़िल्म समारोह में दिखाई जाने वाली कुछ फ़िल्मों का परिचय दिया। उन्होंने कहा,इस फिल्म-समारोह में दिखाई जाने वाली फिल्मों की शैली भिन्न-भिन्न है। उन में《हम दिल दे चुके सनम》और《दिल चाहता है》ये दो फ़िल्में भारत के युवाओं में बहुत लोकप्रिय हैं। फिल्म《जुए पूरा शुन》व《द्वीप》को भारत में सब से श्रेष्ठ फिल्म की उपाधि मिली है। और फिल्म《अंजली》व《ऐंटे वीडू-अप्पोन्टम》प्रेम-भावना पर आधारित पारिवारिक कहानी की एक फिल्म है। आशा है कि दर्शक इस भारतीय फ़िल्म-समारोह का खूब आनंद उठाएंगे।
चीनी प्रसिद्ध अभिनेता श्री फेन यूए मिंग भी भारतीय फ़िल्म के एक प्रेमी हैं। उन्होंने कहा कि, मैं भारत के बॉलीवुड को जानता हूं। हर साल भारत में हज़ारों फिल्में बनती हैं। यह संख्या विश्व में पहले स्थान पर है। क्योंकि भारतीय जनता को फिल्में देखना बहुत पसंद है, इसलिये भारतीय फिल्म-जगत के व्यक्ति भी बहुत सक्रिय रूप से काम कर रहे हैं। वे अक्सर परंपरागत विचारों के बाहर जाकर,लीक से हट कर कुछ नयी फिल्में बनाते हैं। जैसे:इस समारोह में दिखाई जाने वाली फिल्म《शो》व《श्वास》 इस तरह की ही फिल्में हैं। मैं सभी दर्शकों को और एक फ़िल्म का परिचय देना चाहता हूं। इस का नाम है《चौखर बाली》। इस फ़िल्म की अभिनेत्री ऐश्वर्या राय बहुत सुन्दर हैं। उन्होंने मिस वर्ल्ड रही हैं, और वर्ष 2004 के काना फिल्म समारोह में उन्होंने आकलनकर्ता का काम भी किया है।
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