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(GMT+08:00) 2006-08-28 09:58:47    
चीन में कार्टून उद्योग की पुनरनिर्माण

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हाल ही में पूर्वी चीन के चच्यांग प्रांत की राजधानी हांगचो शहर में द्वितीय चीनी अंतर्राष्ट्रीय कार्टून और एनीमेशन के 6 दिवसीय उत्सव का आयोजन किया गया। लगभग 300,000 लोग प्रदर्शित किए गए 1500 से अधिक कार्टूनों को देखा और उन्हें खूब सराहा। इस प्रदर्शनी के दौरान व्यवसाय से जुड़े हुए लोगों और कलाकारों ने कई संगोष्ठियों में भाग लिया और अपने विचारों का आदान-प्रदान किया और आधुनिक काल में डिजीटल टेक्नोलोजी में सुधार, कार्टून कलाबाजी में आधुनिक रुझान और अंतर्राष्ट्रीय उपयोगी संचरण जैसे विषयों पर चर्चा की।

हाल के वर्षों में सरकार, कार्टून उद्योग से संबंध व्यापारियों और कलाकारों द्वारा संयुक्त रुप से कार्टून उद्योग को बढ़ावा देने के लिए जो कदम उठाए गये हैं उनमें से यह भी एक कदम है कि वार्षिक तौर पर एक प्रदर्शनी आयोजित की जाए। इस प्रदर्शनी का मुख्य लक्ष्य यह है कि कला और वाणिज्य के विशाल बाजार में जो सालाना 500 बिलियन डालर के मूल्य का है बढ़ोत्तरी की जाए।

चीन में प्रतिसाल एनीमेशन से जुड़े तक्नीशियन 40,000 मिनट के कार्टून टेलीविजन कार्यक्रम बनाते हैं। सुनकर यह लगता होगा कि यह समय बहुत है पर वास्तव में अगर हम कार्टून कार्यक्रमों की मांग देखे तो यह बहुत कम है। आम तौर पर इन कायक्रमों की वार्षिक मांग 300,000 मिनट की है।

खुद चीन कार्टून का एक विशाल बाजार है। इस बाजार के मुख्य उपभोक्ता 16 वर्ष से कम उम्र वाले हैं जिन की संख्या 370 मिलियन है। आप को यह जानकर ताज्जुब होगा कि यह संख्या अमेरिका के जनसंख्या से भी 80 मिलियन अधिक है। और कुछ आंकड़ों के अनुसार ये संख्या यूरोपिय संघ के सदस्य देशों की कुल जनसंख्या की 80 प्रतिशत है।

आज चीन में केवल ऐनिमेशन उद्योग राष्ट्रीय आय में 18 बिलियन का योगदान दे सकता है। लेकिन चिन्ता की बात यह है कि इस रकम की केवल 10 प्रतिशत चीन में रहती है और बाकी का जापान, अमेरिका और यूरोप की ओर पलायन हो जाता है।

हाल के वर्षों में इस स्थिति में ज्यादा सुधार नहीं आया है।सन् 2002 में एक अनुसंधान केन्द्र ने एक सर्वे किया जिसके अंतर्गत 540 शहरों में बच्चों से पूछा गया कि उन का सबसे चहेता कार्टून कार्यक्रम कौन सा है और इस के परिणाम के अनुसार दस पसंदीदा कार्यक्रमों में छह जापान के और दो अमेरिका के थे। विशेषज्ञों के अनुसार चीन में कार्टून उद्योग का तकनीकी स्तर जरा भी नीचा नहीं है लेकिन चीन में जब भी एक अच्छी कहानी होती है तो उसे तुरंत चलचित्र के रुप में बनाने की कोशिश शुरू की जाती है। संक्षिप्त में कहा जाय तो चीन में कार्टून उद्योग के लिए अच्छी कहानियों की कमी है।

चीन की एनिमेशन उद्योग का विकास 1920 के दशक में आरम्भ हुआ और इस दशक का सबसे मशहूर कार्टून चित्र राजकुमारी की लोहे की पंखा (Princess Iron Fan) था जो वान स भाईयों के द्वारा निर्मित था। इसके बाद तीस, चालीस और पचास के दशकों में भी यह क्षेत्र लगातार नयी बुलंदियों को छूता गया और 1956 में आखिर कौआ काला क्यों है नामक कार्टून को कई अंतरराष्ट्रीय पुरस्कार मिले लेकिन 1960 के दशक में कथित सांस्कृतिक क्रांति आंदोलन के दौरान इस क्षेत्र में प्रगति रूक गई और कार्टुन बनाने का स्तर धीरे धीरे नीचे गिर गया।

खोए हुए स्थान को वापस लेने के लिए सन् 2004 में कई नयी नीतियों की घोषणा की। आज चीन के कई विद्यालयों में एनीमेशन से संबंधी पाठ्यक्रम प्रारम्भ किये गये हैं। चच्यांग प्रांत की राजधानी हांगचो शहर ने एनीमेशन की उद्योग में अपना विशेष स्थान बनाने के लिए कई प्रभावशाली कार्यक्रम आरम्भ किये हैं। सन् 2005 में आरंभ की गई एक योजना के अनुसार इस शहर में निर्मित होने वाले हर एक कार्टून चित्र को जो राष्ट्रीय टीवी चैनेलों पर प्रसारित किया जाएगा प्रति मिनट कार्यक्रम के लिए 1000 युआन दिया जायेगा। हांगचो में बीस से भी अधिक कंपनियां एनिमेशन के काम से जुड़े हुए हैं।बावजूद इस के चीन में एनिमेशन उद्योग को सुधारने में काफी समय लग जायेगा।