चीन का तिब्बत स्वायत्त-प्रदेश अपने सुन्दर पठारीय दृश्यों और तिब्बती जाति के रीति-रिवाज़ों के कारण सारे विश्व को लुभाता है । लेकिन पठारीय तिब्बत में रहना मैदानी लोगों के लिए थोड़ा मुश्किल है। तिब्बत का विशेष पठारीय मौसम, सूर्य की तेज़ किरणें और धूप, कम ऑक्सिजन का वातावरण लोगों के स्वास्थ्य के लिए चुनौतीपूर्ण है । इस तरह अनेक लोग सिर्फ़ पर्यटन के लिए तिब्बत जाते हैं । वर्ष 2003 की गर्मियों से मैदानों में रहने और विश्वविद्यालय से स्नातक होने वाले अनेक युवा तिब्बत में स्वयं-सेवक बन चुके हैं । अपनी सेवा का कार्यकाल समाप्त होने के बावजूद अनेक स्वयं-सेवक तिब्बत में ठहरते हैं, और उन की तिब्बत में लम्बे समय तक काम करने की इच्छा है । हाल में हमारे संवाददाता ने तिब्बत में इन स्वयं सेवकों के साथ साक्षात्कार किया।
छिंगहाई-तिब्बत पठार के विशाल पठारीय घास मैदान, और नीला आसमान व सफेद बादल लोगों को लुभाते हैं । लेकिन समुद्र की सतह से औसतन ऊंचाई 4 हज़ार मीटर होने के कारण तिब्बत में ऑक्सिजन भीतरी इलाके की तुलना में सिर्फ़ एक तिहाई है । यहां जाने वाले प्रथम रेल मार्ग पर यातायात सेवा अभी-अभी शुरू हुई है, इस तरह गंभीर प्राकृतिक स्थिति ने तिब्बत के विकास में बाधा खड़ी की है ।
गत शताब्दी के अस्सी वाले दशक से ही चीन सरकार ने भीतरी इलाके के अन्य तीस से ज्यादा प्रांतों के द्वारा तिब्बत की सहायता करने की नीति अपनायी। इस के बाद तिब्बत का बड़ा आर्थिक विकास हुआ । तिब्बत समेत पश्चिमी चीन में मौजूद सुयोग्य व्यक्तियों के अभाव के सवाल के समाधान के लिए तीन साल पहले चीनी कम्युनिस्ट नौजवान लीग और चीनी शिक्षा मंत्रालय ने संयुक्त रूप से युनिवर्सिटी के विद्यार्थियों द्वारा पश्चिमी क्षेत्र में सेवा करने की परियोजना बनायी, और विश्वविद्यालयों से स्नातक होने वाले विद्यार्थियों को पश्चिमी चीन में दो सालों के लिए स्वयं सेवा करने की प्रेरणा दी। और दो सालों के कार्यकाल की समाप्ति पर वहीं काम जारी रखने को प्रोत्साहन दिया । इस परियोजना पर विश्वविद्यालयों के व्यापक विद्यार्थियों की सक्रिय प्रतिक्रिया हुई । 28 वर्षीय ली श्येन ह्वेइ इन स्वयं सेवकों में से एक हैं ।
तिब्बत स्वायत्त-प्रदेश की राजधानी ल्हासा में हमारी मुलाकात ली श्येन ह्वेइ से हुई । वह पूर्वी चीन के समुद्र तटीय शहर के निवासी हैं, लेकिन अब छिंगहाई-तिब्बत पठार की तेज़ धूप से उस का चेहरा लाल हो गया है। उस की आंखें चमकदार हैं, जिनमें अक्सर उस की समझदारी झलकती है।
ली श्येन ह्वेइ चीन के मशहूर विश्वविद्यालय पेइचिंग विश्वविद्यालय के कानून विभाग में एम.ए डिग्री के लिए अध्ययनरत है । अवकाश के समय वह पेइचिंग के एक लाओयर मामालात के कार्यालय में काम करता है । गत वर्ष की गर्मियों में विश्वविद्यालय से स्नातक होने के पूर्व उसे विश्वविद्यालय के विद्यार्थियों द्वारा पश्चिमी चीन में स्वयं सेवा करने वाली परियोजना मालूम हुई । उस समय उस के सामने दो विकल्प थे, यानि लाओयर मामलात के कार्यालय में औपचारिक कर्मचारी बनना और एक स्वयं-सेवक बनना । अगर वह लाओयर मामलात के कार्यालय में काम करता, तो उसे हर एक माह कोई दस हज़ार य्वान से ज्यादा आमदनी होती । अगर स्वयं-सेवक बनता, तो सिर्फ़ एक हज़ार य्वान, बुनियादी जीवन के स्तर वाली आमदनी ही होती । इन दो विकल्पों पर ली श्येन ह्वेइ ने ज्यादा नहीं सोचा और दूसरा विकल्प चुना। यहां तक कि वह चीन के तिब्बत स्वायत्त-प्रदेश में स्वयं-सेवक बनने के लिए तैयार हुआ, जहां पश्चिमी चीन में जीवन सब से कठिन है । इस की चर्चा में ली श्येन ह्वेइ ने कहा"तिब्बत के प्रति मेरा एक विशेष अनुभव है । मुझे लगता है कि तिब्बत बहुत रहस्यमय ही नहीं, धार्मिक विशेषता वाला प्रदेश भी है । मुझे तिब्बत पसंद है और यहां स्वयं सेवा करने का विकल्प मेरा अपना है ।"
ली श्येन ह्वेइ ने माना कि पहले उस ने तिब्बत आने का विकल्प चुनने पर ज्यादा सोच-विचार नहीं किया । लेकिन उस की आशा है कि स्वयं-सेवक के रूप में वह अपनी जिंदगी में एक विशेष अनुभव पैदा करेगा और जीवन का अभ्यास करेगा ।
तिब्बत आने के बाद ली श्येन ह्वेइ को राजधानी ल्हासा के प्रोक्युरेटोरेट में दाखिला दिया गया । जहां उस का काम प्रोक्युरेटोरेट के कर्मचारियों को प्रशिक्षण देना और पढ़ाना है ।
प्रशिक्षण प्राप्त करने वालों में ल्हासा प्रोक्युरेटोरेट के कर्मचारियों के अलावा स्थानीय कांउटियों के बुनियादी स्तरीय प्रोक्युरेटोरेटों के कर्मचारी भी शामिल हैं । कांउटियों से आए इन बुनियादी स्तरीय प्राक्युरेटरों के साथ संपर्क से ली श्येन ह्वेइ को पता चला कि प्रोक्युरेटर के क्षेत्र में उन की सैद्धांतिक जानकारी बहुत कम है । इस तरह अभी-अभी तिब्बत पहुंचने वाला ली श्येन ह्वेइ छिंगहाई-तिब्बत की विशेष पठारीय प्रतिक्रियाओं की परवाह न कर इन प्रोक्युरेटरों को विशेष प्रशिक्षण देता है । उस का विचार है कि प्रशिक्षण का समय अस्थाई है, और वह ऐसे कम समय में उन लोगों को ज्यादा जानकारी देगा ।
प्रशिक्षण देना ल्हासा में ली श्येन ह्वेइ के कामकाज का एक छोटा सा भाग है । उस से सुयोग्य काम हासिल करने के लिए प्रोक्युरेटोरेट ने उसे इस संस्था के सब से महत्पूर्ण विभाग यानी अभियोगी विभाग में भेज दिया और मामलों के निपटारे में शामिल किया।इस के साथ ही प्रोक्युरेटोरेट ने ली श्येन ह्वइ को सहायक प्रोक्युरेटर नियुक्त किया, जिस का स्वतंत्र रूप से मामले निपटाने का अधिकार होता है । ली श्येन ह्वइ बहुत मेहनत से काम करता है । जो भी मुश्किल मामले हों जिन का निपटारा अन्य कर्मचारी नहीं करना चाहते , वह इन मामलों को सक्रियता के साथ निपटाता है। इस तरह प्रोक्युरेटोरेट के अन्य कर्मचारी ली श्येन ह्वइ का समादर करते हैं । उस के तिब्बती साथी त्सेरन डोर्ची ने संवाददाता से कहा "उस की तरह के सुयोग्य व्यक्तियों की हमारे यहां बहुत आवश्यक्ता है । वह कभी कभार आर्थिक मामले का निपटारे करता है । हमारे यहां आर्थिक मामले के निपटारे वाले व्यक्ति बहुत कम हैं, और संबंधित मामले के निपटारे में परेशानी रहती है । लेकिन ली श्येन ह्वेइ सक्रियता के साथ ऐसे मामलों के निपटारे में भाग लेता है और आम तौर पर अच्छी तरह काम करता है ।"
ली श्येन ह्वइ अपनी पर्याप्त कानूनी जानकारी का प्रयोग कर हरेक मामले के निपटारे में जिम्मेदाराना रूख अपनाता है । तिब्बत आने के एक साल बाद उस ने स्वतंत्र रूप से दस से ज्यादा मामलों का निपटारा किया, जिन में किसी भी मामले के निपटारे में गलत नहीं हुई । इस तरह ली श्येन ह्वेइ की श्रेष्ठता को प्रोक्युरेटोरेट के सभी कर्मचारियों की प्रशंसा हासिल हुई। ल्हासा शहर के प्रोक्युरेटोरेट के उप प्रोक्युरेटर श्री ल्यू च्या यून ने उस की प्रशंसा करते हुए कहा" मामलों के निपटारे में उसे कानून की पर्याप्त जानकारी है । किसी अपराधी को सज़ा देने के क्षेत्र में उस ने संजीदगी से विश्लेषण किया । उस के द्वारा निपटारा किये गये मामलों की गुणवत्ता अच्छी है।"
ली श्येन ह्वेइ ल्हासा प्रोक्युरेटोरेट में सब से युवा प्रोक्युरेटर है, जिस के पास एम. ए. की डिग्री है । इस तरह उस के प्रभाव से प्रोक्युरेटोरेट के अन्य कर्मचारी भी नौजवानों की भावना महसूस करते हैं । ली श्येन ह्वेइ प्रोक्युरेटोरेट के कामकाज की स्थिति को बदलने के लिए भी कोशिश करता है । उस ने दोस्तों की मदद से चीन की राजधानी पेइचिंग से एक खेप के सस्ते कंप्युटर खरीदे और प्रोक्युरेटोरेट के कंप्युटरों में कानूनी धाराओं की खोज व्यवस्था बनायी। इस के बाद अन्य कर्मचारी कंप्युटर से कानूनों व नियमावलियों की धाराओं की आसानी से खोज कर सकते हैं ।
संजीदगी के साथ काम करने वाले ली श्येन ह्वेइ के जीवन में अधिक मांग नहीं है । उसे तिब्बती चाय और घी पीने की आदत नहीं पड़ी, वह कभी-कभार ल्हासा की सड़क पर भीतरी इलाके वाले एक रेस्तरां में जाकर खाता है । उस का रहने का छोटा सा कमरा प्रोक्युरेटोरेट के पास ही है, दस से ज्यादा वर्गमीटर वाले इस कमरे में एक साफ-सुथरा पलंग रखा हुआ है , मेज़ पर किताबें हैं । ली श्येन ह्वेइ ने कहा कि अब उसे ल्हासा में रहने की आदत पड़ गयी है , पठार में रहने की असुविधा खत्म हो गयी है और जीवन में कोई परेशानी नहीं है । अवकाश के समय वह मकान के बाहर फूल और घास लगाता है, जिससे उस का जीवन और रंगारंग हो गया है।
ली श्येन ह्वेइ ने कहा कि उस की ल्हासा में सिर्फ़ एक साल रहने की योजना थी, और एक साल बाद पेइचिंग वापस लौट कर लोयर का काम जारी रखने की । लेकिन ल्हासा में एक साल रहने के बाद उसे एकदम महसूस हुआ कि तिब्बत के साथ उस का संबंध टूट नहीं सकता । ली श्येन ह्वेइ ने कहा "मुझे लगता है कि यहां का वातावरण मेरे अनुकूल है । मैं यहां पूरी क्षमता से काम कर सकता हूँ, और काम करने के दौरान मुझे आनंद मिलता है । इस तरह प्रोक्युरेटोरेट के नेताओं को मैंने अपना फैसला बताया और इस के बाद मैं ने तिब्बत में ठहरने का फैसला किया ।"
ल्हासा प्रोक्युरेटोरेट की कड़ी मांग और तिब्बत के प्रति प्यार की भावना के कारण ली श्येन ह्वेइ ने दीर्घकाल तक तिब्बत में काम करने का फैसला किया। इस तरह उस की हैसियत एक स्वयं-सेवक से एक औपचारिक प्रोत्युरेटर में बदल गयी ।
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