छिंगहाई-तिब्बत रेल मार्ग का यातायात शुरू होने के बाद ल्हासा विश्वविद्यालय के विद्यार्थी संघ में कार्यरत लोयुल सांगशी ने भीतरी इलाके के विश्वविद्यालयों के साथ संपर्क करना शुरु किया है, और उन के साथ तिब्बती विद्यार्थियों और भीतरी इलाके के विद्यार्थियों के बीच सांस्कृतिक समारोह के आयोजन तथा अकादमिक आदान-प्रदान पर विचार-विमर्श चल रहा है। उसने कहा कि भीतरी इलाके के अनेक विश्विद्यालयों ने उन के प्रस्ताव पर अपनी रूचि व्यक्त की है। भीतरी इलाके के विद्यार्थी रेल गाड़ी के जरिए तिब्बत आने की झिज्ञासा रखते हैं । इस की चर्चा में लोयुल सांगशी ने कहा
"हम बहुत उत्तेजित हैं और खुश भी हैं । मेरा विचार है कि इस रेल मार्ग के जरिए भीतरी इलाके के भाई बहन तिब्बत आ सकते हैं और हम उन के साथ ज्यादा आवाजाही कर सकते हैं । हम भीतरी इलाके के विश्वविद्यालयों के विद्यार्थियों का हमारे यहां संगोष्ठी करने के लिए स्वागत करते हैं ।"
वास्तव में छिंगहाई-तिब्बत रेल मार्ग बुजुर्ग डोर्चे वांगद्राक और लोयुल सांगशी जैसे तिब्बत बंधुओं के लिए ही नहीं, अनगिनत तिब्बती नागरिकों के लिए भी भारी परिवर्तन की सूचना लाया है। तिब्बत स्वायत्त प्रदेश के सामाजिक व वैज्ञानिक अकादमी के आर्थिक विभाग के उपनिदेशक श्री वांग ताई य्वान का विचार है कि छिंगहाई-तिब्बत रेल मार्ग पर यातायात-सेवा शुरू होने से परम्परागत तिब्बती संस्कृति खुलेपन की ओर जाएगी , जिस से ज्यादा से ज्यादा तिब्बती बंधुओं की जीवन शैली में बदलाव आएगा । उन का कहना है
"रेल मार्ग पर यातायात से हज़ारों वर्षों में तिब्बत की बंद सांस्कृतिक स्थिति बदलेगी । मुझे लगता है कि तिब्बत स्वायत्त प्रदेश की संस्कृति और स्वायत्त प्रदेश के बाहर की अन्य जातियों की संस्कृतियों के बीच अच्छी तरह और तेज़ी से आदान प्रदान किया जा सकेगा । यहां तक कि किसी हद तक जातीय संस्कृतियों का मेलमिलाप भी हो सकेगा । विशेष कर रेल मार्ग पर यातायात से तिब्बत में प्रवेश करने वाले व्यक्तियों की संख्या बढ़ेगी। बाहर से आए व्यक्तियों की विचारधारा से तिब्बत के स्थानीय लोगों के जीवन पर भारी प्रभाव पड़ेगा। यहां की धार्मिक विश्वास की प्रधानता वाली सामाजिक व सांस्कृतिक अभिव्यक्ति पर भी प्रभाव पड़ेगा ।"
श्री वांग ताई य्वान ने कहा कि छिंगहाई-तिब्बत रेल मार्ग पर यातायात शुरू होने से तिब्बत की यात्रा करने आए पर्यटकों की संख्या तेज़ी से बढ़ेगी। वर्तमान में हर रोज़ चार रेल गाड़ियां तिब्बत आती हैं। हरेक रेल गाड़ी में एक हज़ार व्यक्ति सवार रहते हैं । इस का मतलब है कि हर रोज़ तिब्बत में आने वाले व्यक्तियों की संख्या में चार हज़ार का इजाफा होगा । यात्री विमान में सवार पर्यटकों को मिलाकर एक दिन में कोई पांच हज़ार व्यक्ति तिब्बत आएंगे । ऐसी स्थिति में तिब्बत के सांस्कृतिक व ऐतिहासिक अवशेषों की रक्षा पर समाज का ध्यान केंद्रित है ।
तिब्बत की यात्रा के दौरान हमारे संवाददाता को खबर मिली कि ल्हासा के सब से प्राचीन मठ जोखांग मठ के भिक्षु न्यिमा त्सेलिंग ऐतिहासिक सांस्कृतिक अवशेष की रक्षा के लिए कदम उठा रहे हैं । 39 वर्षीय न्यिमा त्सेरिंग एक ज्ञानी भिक्षु हैं।वे चीनी बौद्ध संस्थान में अध्ययन के लिए राजधानी पेइचिंग गए थे । इस तरह जोखांग मठ के भिक्षु उन्हें डॉक्टर कहते हैं । भिक्षु न्यिमा त्सेरिंग ने हमारे संवाददाता से कहा कि उन की रेल मार्ग विभाग के साथ सहयोग करने की इच्छा है, ताकि रेल गाड़ी में तिब्बती सांस्कृतिक व ऐतिहासिक अवशेषों की रक्षा की संबंधित जानकारी का प्रचार प्रसार किया जा सके । भिक्षु न्यिमा त्सेरिंग ने कहा
"मेरा विचार है कि अगर रेल गाड़ी में ऐसा प्रचार-प्रसार करने से कोई न कोई उपलब्धि प्राप्त होगी । अगर ऐसा नहीं किया जाए, तो पर्यटकों को यहां हम एकदम से संबंधित जानकारी नहीं दे सकते । पर्यटक तिब्बती संस्कृति जानने के लिए यहां आते हैं, अगर उन्हें तिब्बत की संस्कृति के बारे में कोई जानकारी नहीं होगी, तो अनजाने से संस्कृति को नुक्सान पहुंच सकता है। यह तो भारी खेद की बात होगी ।"
छिंगहाई-तिब्बत रेल मार्ग पर यातायात शुरू होने से अनेक लोगों के सपने और आशाएं पूरे हो जाएंगे । तिब्बती आदिम धर्म बोन धर्म के जीवित बुद्ध न्यि ज़्ला ने कहा
"छिंगहाई-तिब्बत रेल मार्ग एक सुखमय रास्ता ही नहीं, आर्थिक रास्ता भी है । मुझे लगता है कि इस रेल मार्ग से तिब्बती जनता को पहुंचाया गया लाभ और खुशी सदा के लिए जारी रहेगी ।"
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