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प्रथम सम्राट ने राजसत्ता के सब अधिकार अपने हाथ में ले लिये और सम्राट को केन्द्र बनाकर एक सम्पूर्ण अफसरशाही व्यवस्था कायम की। सम्राट के अधीन दो प्रधान मंत्री (बाएं और दाएं) थे, जो राजकाज चलाने में उसकी मदद करते थे। फौजी मामलों की देखभाल के लिये एक प्रधान चांसलर नियुक्त किया गया था।
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