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(GMT+08:00) 2006-08-11 14:50:09    
बाघ और लोमड़ी

cri

जंगल का राजा बाघ था। एक दिन वह भूख से परेशान हो रहा था , तो वह जंगल में आहार ढूंढ़ने निकला । संयोग से उस ने एक लोमड़ी पकड़ी और उसे खा खा कर पेट भरने को तैयार हो गया ।

लेकिन इसी वक्त लोमड़ी ने उस से कहा कि बाघ रे बाघ , तुम मुझे नहीं खा सकते हो , क्योंकि मैं भगवान से यहां भेजा गया हूं  ।

उस ने मुझे जानवरों का राजा नियुक्त किया है , अगर तुम ने मुझे खा डाला , भगवान तुझे सजा देगा ।

लोमड़ी की बातों पर बाघ को आशंका आयी , उसे पता नहीं कि लोमड़ी की बातों पर विश्वास करना चाहिए अथवा नहीं ।

वह भूख से भी मारा जा रहा था , इसलिए बड़ी दुविधा में वह पड़ गया ।

बाघ की दुविधा देख कर लोमड़ी ने फिर कहा कि तुम मेरी बातें झूठी समझते हो , तो आओ , मैं आगे आगे चला जाऊंगा , तुम मेरे पीछे आओगे , तो तुम देख सकते हो कि जंगल के जानवर मुझ से डरते हो या नहीं ।

अगर वे मुझे देख कर दूर दूर भाग नहीं गए , तो तुम मुझे खा डालोगे ।

लोमड़ी की बातें उचित समझ कर बाघ उस के साथ जंगल में आगे बढ़े , लोमड़ी आगे आगे चल रहा था , तो बाघ उस के पीछे पीछे हो लिया जा रहा था ।

सचमुच ही जंगल के सभी जानवर उन दोनों को देख कर दूर दूर भाग गए थे । बाघ को मालूम नहीं था कि असल में जानवर उसे देख कर भय के मारे भागते हैं , वह समझता था कि जानवर लोमड़ी से डर रहे हैं ।

इसलिए वह भी लोमड़ी से डर कर भाग गया ।