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(GMT+08:00) 2006-08-08 08:48:12    
तिब्बत जाने का रास्ता दिन ब दिन विशाल हो रहा है

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छिंगहाई तिब्बत पठार पर स्थिति तिब्बत स्वायत्त प्रदेश का विशेष मौसम होता है । यहां विमान के उड़ान के लिए भारी मुस्किलों का सामना करना पड़ता है । विश्व के उड्डयन जगत में तिब्बत के आकाश को उड़ान निषिद्ध क्षेत्र कहा जाता है । लेकिन तिब्बत को विकसित और स्मृद्ध बनाने के लिए चीन सरकार ने तिब्बत के उड्डयन उद्योग के विकास पर भारी महत्व दिया । वर्ष 1965 में तिब्बत की राजधानी ल्हासा से देश की राजधानी पेइचिंग तक की हवाई सेवा औपचारिक तौर पर शुरू हुई । चालीस से ज्यादा वर्षों के विकास के बाद अब तिब्बत स्वायत्त प्रदेश में ल्हासा, लिनची और छांगतु आदि तीन नागरिक हवाई अड्डों का निर्माण किया जा चुका है । विश्व की छत पर स्थित तिब्बत को विश्व के विभिन्न स्थानों के साथ जोड़ने वाले दस से ज्यादा हवाई मार्ग खुले हैं। आज तिब्बती बंधु पठार से निकल कर विश्व के किसी भी कोने तक जा सकते हैं और बाहर के लोग आसानी से तिब्बत आ सकते हैं ।

अस्सी वर्षीय नेपाली व्यापारी धर्म रत्न तुलधार तिब्बत की राजधानी ल्हासा में व्यापार करते हैं । वर्ष 1942 में अपने बड़े भाई के साथ वे पहली बार तिब्बत आए और इस के बाद अकसर तिब्बत व नेपाल के बीच आते-जाते रहे। पिछले साठ से ज्यादा वर्षों में श्री धर्म रत्न तुलधार ने अपनी आंखों से तिब्बत के भारी परिवर्तन को देखा , और उन्हें तिब्बत के यातायात विकास को लेकर विशेष अनुभव हुआ । उन का कहना है

"पहले हम ल्हासा से शिकाज़े, ज्यांगजे और यातुंग आदि स्थल होकर स्वदेश लौट सकते थे। उस समय तिब्बत में बस सेवा नहीं थीं और हमें घुड़सवारी से पूरा रास्ता तय करना पड़ता था । ल्हासा से अपने जन्मस्थान नेपाल पहुंचने में तेइस दिन लगते थे। लेकिन अब ल्हासा से काठमांडू तक बस सेवा शुरू हो चुकी है और बस से घर वापस लौटने के लिए अठारह से बीस घंटों की जरूरत होती है। अगर हवाईजहाज हो तो एक घंटे से कुछ ज्यादा समय में ही ल्हासा से काठमांडू पहुंच सकते हैं ।"

वर्ष 2006 की पहली जुलाई को विश्व में समुद्र के सतह से सब से उंचे स्थान पर सब से लम्बे रेल मार्ग यानी छिंगहाई-तिब्बत रेल मार्ग का यातायात शुरू हो गया, जिस से तिब्बत में रेल मार्ग न होने का इतिहास सदा के लिए लद हो गया । छिंगहाई-तिब्बत रेल मार्ग के यातायात शुरू होने से तिब्बती बंधुओं के लिए असीम आशा लायी जाएगी । अगर मोटर गाड़ी से तिब्बत आना-जाना एक बहुत थका मंदा यात्रा कहा जाता हो, विमान से तिब्बत आना-जाना महंगा हो , तो रेल गाड़ी से तिब्बत आना-जाना तो लोगों के लिए सब से अच्छा विकल्प होगा।

तिब्बत में लगभग तीस वर्षों तक व्यापार करने वाले नेपाली दोस्त रत्न कुमार तुलधार भी छिंगहाई-तिब्बत रेल मार्ग पर बड़ी आशा बांधते हैं । उन्होंने कहा कि छिंगहाई-तिब्बत रेल मार्ग के जरिए तिब्बत आने जाने के खर्च बहुत कम होगा । रेल गाड़ी ज्यादा से ज्यादा पर्यटकों को तिब्बत ले आएगी, जिस से तिब्बत के पर्यटन उद्योग का भारी विकास होगा । उन्हें खुद तिब्बत में व्यापार करने के दौरान भारी लाभ मिलेगा । उन्होंने कहा कि बड़ी तादाद में चीन के भीतरी इलाके के माल रेल गाड़ी से तिब्बत आएंगे, वे सस्ते व उच्छी गुणवत्ता वाले चीनी माल को नेपाल पहुंचाएंगे, तो और ज्यादा मुनाफा कमाने का अच्छा मौका मिलेगा । श्री रत्न कुमार तुलधार ने कहा

"यह चीन के तिब्बत और नेपाल के लिए अच्छी बात है । बड़ी तादाद में चीनी माल इस रेल लाइन के जरिए छिंग हाई से ल्हासा तक पहुंचेगा और उन की ढुलाई की खर्च भी कम होगा, हम इन मालों को नेपाल ले जाकर बेचेंगे और नेपाली सामान चीन में ले आएंगे ।"

आजकल"स्वर्ग का रास्ता"नामक गीत चीन में बहुत लोकप्रय है । गीत कहता है"संध्यावेली मैं पठार पर खड़ी देख रही हूँ, रेल मार्ग मेरी जन्मभूमि में आ पहुंचा है । रेल गाड़ी पहाड़ों को पार कर बर्फिले पठार को स्मृद्धि लाएंगी । वह एक अद्भुत आसमानी रास्ता है, स्वर्ग को जाने वाला रास्ता है , जो हम मानव को स्वर्ग लोक ले जाएगा।"

सच्च है छिंगहाई-तिब्बत रेल मार्ग ऐसा अद्भुत स्वर्ग का रास्ता है । इसी मार्ग के जरिए मातृभूमि के हर कोने में तिब्बती जौ के शराब का सुगंध फैल जाएगा , और इसी रास्ते से बर्फिले पठार के बंधुओं के मधुर गीत विश्व के विभिन्न स्थानों में गूंज उठएगा ।

थांगकुला पर्वत गगणचुंबी ऊंची है, जिसे चील भी उड़ कर पार नहीं सकता । इस पर्वत ने तिब्बत को भीतरी इलाके के अन्य स्थलों से अलग किया था , लेकिन वहां से तिब्बत की यात्रा पर जाना लोगों का लम्बा पुराना सपना था । आज इस सपना ने मूर्त रूप ले लिया , तुम कभी भी तिब्बत जाना चाहते , तो समतल राज मार्ग, सुविधाजनक विमान या नव निर्मित रेल मार्ग से तुम्हारे सपना को साकार किया जाएगा । सुन्दर तिब्बत चुपचाप से वहां खड़े आप का इन्तजार कर रहा है ।