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(GMT+08:00) 2006-08-07 09:36:56    
चीन ने ऐतिहासिक व सांस्कृतिक अवशेषों का संरक्षण क्षेत्र में सफलता हासिल की

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ऐतिहासिक व सांस्कृतिक अवशेषों के संरक्षण-कार्य में वैज्ञानिक व तकनीकी भूमिका को मजबूत बनाना चीन में संबंधित कार्य की एक विशेषता है।विश्व सांस्कृतिक धरोहर में शामिल चीनी छिन राजवंश के सम्राट छिन शी-ह्वांग काल के सैनिकों व घोड़ों की आमदकद मूर्तियों के समूह के सरंक्षण में उच्च तकनीक का प्रयोग किया गया है।हवा के असर के कारण इन रंगीन मूर्तियों का रंग कुछ हद तक उड़ गया है। इस स्थिति को आगे बिगड़ने से रोकने की खातिर चीनी और जर्मन विशेषज्ञों के सहयोग से अच्छे उपाय ढूंढ निकाले गये हैं।श्री च्यांग-पाई ने कहा :

"पिछले कुछ वर्षो में चीन में ऐतिहासिक व सांस्कृतिक अवशेषों के संरक्षण-कार्य में आधुनिक विज्ञान व तकनीकों का अभूपूर्व पैमाने पर प्रयोग किया गया है।इस समय देश में ऐतिहासिक व सांस्कृतिक अवशेषों के संरक्षण के लिए 6 विशेष विज्ञान-तकनीकी केंद्र हैं,जो सब के सब वर्तमान दुनिया की अत्याधुनिक तकनीकों से युक्त हैं।उत्तर पश्चिमी चीन के तुनह्वांग क्षेत्र में गुफा-भित्तिचित्रों के संरक्षण के लिए वैज्ञानिक अनुसंधान केंद्र भी कायम हुआ है,जो इन दुर्लभ व कीमती भितिचित्रों के संरक्षण की गारंटी है। "

चीन एक विशाल देश हैं।उस के विभिन्न क्षेत्रों में ऐतिहासिक व सांस्कृतिक अवशेष उपलब्ध हैं।लेकिन उन के बंटवारे की अपनी-अपनी विशेषता हैं।मध्य भाग में स्थित हनान और शानशी प्रांत अपनी-अपनी भूमि के नीचे सांस्कृतिक अवशेषों के समृद्ध भंडार होने के कारण प्रसिद्ध हैं।इन दो प्रांतों में चीन की प्राचीन सभ्यता के उद्गम संबंधी ढेर सारे मकबरों और शाही भवनों के अवशेष पाए जाते हैं।एक अन्य प्रांत शनशी में उपलब्ध ऐसे सांस्कृतिक अवशेषों की संख्या पूरे देश की कुल संख्या के 70 प्रतिशत से भी अधिक है,जो 1000 वर्ष पुराने हैं।ये अवशेष चीनी परंपरागत शैली में लकडियों से बने हुए हैं।इसलिए उन के संरक्षण में बड़ी सावधानी बरतने की जरूरत है।चीन की राजधानी पेइचिंग में पूरे देश के वे 50 फीसदी सांस्कृतिक अवशेष उपलब्ध हैं,जो विश्व धरोहर की सूची में शामिल हैं।

चीन के विभिन्न प्रांतों की सरकारों ने स्थानीय ऐतिहासिक व सांस्कृतिक अवशेषों के संरक्षण के लिए स्थानीय वास्तविकता के अनुसार नियमावलियां निश्चित की हैं।पेइचिंग के प्राचीन मकानों के समूह युक्त पुराने क्षेत्रों के पुन:निर्माण के लिए विशेष नियमालियां भी तैयार की गयी हैं।पेइचिंग के ऐतिहासिक व सांस्कृतिक अवशेष ब्यूरो के प्रधान श्री मई निंग-ह्वा का कहना है :

"पेइचिंग म्युनिसिपलिटी की जन प्रतिनिधित सभा में《पेइचिंग के संरक्षण की नियमावलियां》पारित की गयी है। इन का पेइचिंग के पुराने क्षेत्रों के पुन:निर्माण और पूरे ऐतिहासिक माहौल के संरक्षण में भारी महत्व है।यह इस बात का प्रतीक भी है कि पेइचिंग में सांस्कृतिक अवशेषों के संरक्षण का कार्य कानूनी ढ़ंग से हो रहा है। पेइचिंग में स्थित विश्वविख्यात लम्बी दीवार के संरक्षण के लिए चीन में एक विशेष कानून हैं।इस समय हम पेइचिंग के अन्य एक विश्वप्रसिद्ध ऐतिहासिक व सांस्कृतिक अवशेष प्राचीन राज प्रासाद के संरक्षण के लिए विशेष कानून बनाने की तैयारी कर रहे हैं। "

कुछ लोगों ने कहा है कि चीन में तेज आर्थिक विकास के बिना ऐतिहासिक व सांस्कृतिक अवशेषों के कार्य में इतनी कामयाबियां हासिल करना नामुमकिन है।सच में ऐसा ही है।जहां एक ओऱ आधुनिकीकरण और पुरातत्व-कार्य एक दूसरे को सीमित करते हैं और वहीं दूसरी ओर एक दूसरे की प्रेरणा भी बनते हैं।आधुनिकीकरण की प्रक्रिया में आर्थिक विकास से पुरातत्व कार्य संबंधी ऐतिहासिक व सांस्कृतिक अवशेषों के संरक्षण और वैज्ञानिक अनुसंधान को भारी वित्तीय सहायता मिली है। इस तरह प्राचीन सभ्यता वाले अवशेषों को बदलते युग में प्राकृतिक व कृत्रिम नुकसान से बचाया जा सकता है।

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