चीन में हर वर्ष लगभग 500 मुद्दों पर खुदाई का काम चलता है। इस दृष्टि से विश्व में चीन जैसा शायद ही कोई दूसरा देश होगा।चीन में ऐतिहासिक व सांस्कृतिक अवशेषों के संरक्षण का कार्य दुनिया में अपनी किस्म का सब से बड़े पैमाने वाला कार्य है।
कुछ समय पहले चीन सरकार ने घोषणा की कि वर्ष 2006 से हर साल जून का दूसरा शनिवार सांस्कृतिक अवशेष दिवस के रूप में मनाया जाएगा।चीनी राजकीय सांस्कृतिक अवशेष ब्यूरो के उपप्रधान श्री चांग-पाई ने इस के प्रति अपना विचार व्यक्त करते हुए कहा कि चीन में सांस्कृतिक अवशेष के संरक्षण का कार्य पूरी जनता का कार्य है।इधर के कुछ वर्षों में चीन में तेज आर्थिक वृद्धि से प्रेरित होकर राष्ट्रीय स्तर पर आधारभूत संस्थानों के निर्माण-कार्य से जुडी पुरातत्व-खुदाईयां भी बढती चली गयी हैं।सरकार द्वारा भारी महत्व दिये जाने की वजह से देश में सांस्कृतिक अवशेषों के संरक्षण-कार्य के विकास के लिए बेहत्तर स्थितियां तैयार की गई हैं। उन्होंने कहा :
"इस समय चीन में सांस्कृतिक अवशेषों का संरक्षण-कार्य बहुत तेजी से चल रहा है।सानश्या त्रिघाटी क्षेत्र के सांस्कृतिक अवशेषों के संरक्षण और दक्षिणी चीन के जल को उत्तरी चीन तक पहुंचाने वाली परियोजना पर निर्माण कार्य से जुड़े सांस्कृतिक अवशेषों के संरक्षण जैसे बड़े मुद्दों पर देश भर की पुरातत्व-शक्ति केंद्रित की गयी है।इस तरह का तमाम संरक्षण-कार्य बड़े पैमाने पर सुचारू रूप से चल रहा है।शिनच्यांग वेवूर स्वायत्त प्रदेश से गुज़रने वाले प्राचीन रेशम मार्ग के संरक्षण का कार्य भी शुरू किया गया है।कहा जा सकता है कि आर्थिक विकास से सांस्कृतिक अवशेषों के विकास को बढावा मिला है। "
चीन में दक्षिणी भाग के जल को उत्तरी भाग तक पहुंचाने वाली परियोजना वर्तमान चीन की एक सब से बड़ी कृत्रिम परियोजना है।इस के तहत दक्षिणी भाग के समृद्ध मीठे पानी को नहरों के माध्यम से हजारों किलोमीटर दूर उत्तरी भाग तक पहुंचाया जाएगा।
परियोजना के निर्माण-कार्य का कुछ भाग चीन के मध्य क्षेत्र में चल रहा है,जबकि यह क्षेत्र प्राचीन चीनी सभ्यता का उद्गम स्थान है,जहां जमीन के नीचे सांस्कृतिक अवशेष प्रचुरता में मिलते हैं।निर्माण-कार्य के प्रभाव से इन सांस्कृतिक अवशेषों को बचाने और उन की खुदाई करने के लिए चीन सरकार ने बड़ा विशेष अनुदान किया है।
चीनी राजकीय सांस्कृतिक अवशेष ब्यूरो के दस्तावेजों के अनुसार इधर के 10 वर्षों में चीन में वार्षिक खुदाइयों की संख्या कोई 500 है।इतने बड़े पैमाने पर हुईं खुदाइयों ने आम ऐतिहासिक शोध विशेषकर चीनी सभ्यता के उद्गम के अनुसंधान के लिए दुर्लभ सामग्री प्रदान की हैं औऱ संबंधित संग्रहालयों के विकास को भी बढावा दिया है।साथ ही अंतर्राष्ट्रीय पुरातत्व जगत का ध्यान भी आकर्षित किया है।अक्तूबर 2004 में अंतर्राष्ट्रीय ऐतिहासिक व सांस्कृतिक अवशेष परिषद का 15वां सम्मेलन चीन के प्राचीन शहर शीआन में आयोजित हुआ,जिस में पृष्ठभूमि वाले पर्यावरण में प्राचीन अवशेष—बदलते शहरी दृश्यों में सांस्कृतिक अवशेषों के संरक्षण जैसे विषय पर विचार-विमर्श किया गया और 21वीं सदी में विश्व सांस्कृतिक अवशेषों की रक्षा के उपायों पर भी रायों का आदान-प्रदान किया गया।सम्मेलन की समाप्ति पर ऐतिहासिक व सांस्कृतिक अवशेषों एवं पर्यावरण के संरक्षण के बारे में 《शीआन घोषणा-पत्र 》जारी किया गया।चीनी राजकीय सांस्कृतिक अवशेष ब्यूरो के उपप्रधान के ख्याल में यह सम्मेलन पूरी दुनिया में ऐतिहासिक व सांस्कृतिक अवशेषों के संरक्षण-कार्य को आगे ले गया है।उन का कहना है :
"इस सम्मेलन में विश्व के 100 से अधिक देशों व क्षेत्रों के प्रतिनिधियों ने हिस्सा लिया।
सम्मेलन बड़ा प्रभावी और सफल रहा।इस में जारी 《शीआन घोषणा-पत्र 》सांस्कृतिक अवशेषों के पर्यावरण,उस के और सांस्कृतिक अवशेषों के बीच संबंध,सांस्कृतिक अवशेषों के पर्यावरण के संरक्षण के महत्व और फौरी आवश्यकता जैसे अहम मुद्दों से जुडा है।इसलिए यह दस्तावेज पूरे संसार में ऐतिहासिक व सांस्कृतिक अवशेषों के संरक्षण-कार्य में एक बड़ा योगदान माना गया है,जिस की अकूत अहमियत है।"
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