चीन के सिन्चांग वेवूर स्वायत्त प्रदेश की राजधानी ऊरूमुची में एक पहली मई चांदनी नामक रात्रि बाजार इधर के सालों में अत्यन्त मशहूर है । बाजार में सिन्चांग के विभिन्न स्थानों से आए जायकेदार पकवान और खाद्यपदार्थ खाने को मिलते हैं , जो सिन्चांग की विभिन्न जातियों के स्वाद विशेष लिए हुए हैं । रात्रि बाजार में एक खाद्यपदार्थ दुकान की मालिकन सुश्री वांग चीह्वा की कहानी काफी रोचक है ।
संध्या की वेली आयी , उरूमुची के निवासी जोड़ों या जत्थों में पहली मई चांदनी बाजार आने लगे । रात्रि बाजार बहुत रोनक है , भीड़ ज्यादा है और हर तरफ फेरी की आवाज सुनाई देती है और कबाब की महक महक खूशबू आ रही है ।
पहली मई चांदनी रात्रि बाजार सिन्चांग में खुला सर्वप्रथम रात्रि बाजार है और सब से बड़ा रात्रि बाजार भी है । बाजार में 500 से ज्यादा स्टॉल है और औसतन् रोज कोई बीस हजार लोग यहां पधारते हैं । रात्रि बाजार में मुख्यतः विभिन्न जातियों के स्वाद विशेष के पकवान और खानपान बिकते हैं , जो चीनी व विदेशी पर्यटकों को बरबस आकर्षित करते हैं ।
रात्रि बाजार में सुश्री वांग ची ह्वा की दुकान काफी अच्छी है । इस साल 40 साल की सुश्री वांग चीहवा अपनी उम्र से कहीं जवान लगती है , लेकिन वर्षों से बकरी गोश्त के कच्चे मालों का प्रोसेसिंग करने के कारण उस के दोनों हाथों का त्वच थोड़ा खुरदरा पड़ गया , जिस से जाहिर है कि उस का जीवनयापन कभी कठिन स्थिति से गुजरा था ।
वर्ष 1992 में सरकारी निकाय से बेराजगार हुई वांग ची ह्वा ने जीवनयापन के लिए रात्रि बाजार में अपना कबाब स्टॉल खोलने का फैसला किया । पहली बार खाने की दुकान चलाने में उसे काफी परेशानी का अनुभव हुआ । इस की चर्चा में उस ने हमारे संवाददाता से कहाः
पहले दिन जब मैं कबाब बेचने गई , तो मुझे मालूम भी नहीं था कि क्या क्या करना चाहिए । मैं ने घर में कबाब बनाए और उसे रात्रि बाजार में लाए । मांस भुनने में प्रयुक्त मेरा वह भट्टा भी बहुत छोटा था , मात्र एक मीटर लम्बा और तीस सेंटीमीटर चोड़ा था, साथ ही दो छोटी छोटी मेज भी थी ।
पहले दिन सुश्री वांग के सौदे का हिस्साब बराबर हुआ , यानी न पैसा कमाया ,न ही घाटा हुई । दूसरे दिन की हालत वहीं रही । लेकिन तीसरे दिन उस ने 27 य्वान मुनाफा कमाया । इस पर उसे अत्यन्त खुशी हुई , क्यों कि वह उस की मेहनत का पैसा है । इस के बाद सुश्री वांग ने रात्रि बाजार में स्टॉल चलाना जारी रखने का निश्चय किया ।
अपना यह धंधा बेहतर चलाने के लिए सुश्री वांग चीह्वा ने बकरी मांस भुनने के अनेक तरीकों का आजमाइश किया , उस ने बकरी के कबाब में तरह तरह के मसाले मिलाए , इस से भुने गए कबाब बहुत जायकेदार लगते हैं और शहर में बहुत लोकप्रिय भी हो गए । उस के भुने गए कबाब उरूमुची निवासियों और बाहर से आए पर्यटकों को बहुत पसंद आये और बिक्री मात्रा भी लगातार बढ़ती गई । इस तरह सुश्री वांग ची ह्वा का नाम भी वहां बहुत मशहूर हो गया । उस के कबाब का मजा लेने के लिए दूर बाहर बहुत से स्थानों से लोग विशेष तौर पर रात्रि बाजार आने लगे । ऊरूमुची से दर्जनों किलोमीटर दूर आए ग्राहक श्री सुन सनली ने कहाः
आज मेरे दोस्त का जन्म दिन है , उसे मनाने के लिए हम यहां आए , बड़े बड़े होटल में भी इस प्रकार का स्वादिष्ट गोश्त खाने को नहीं मिल सकता है । दोस्त का जन्म दिन मनाने के लिए पसंदीदा चीज खाना चाहिए और माहौल भी गर्मागर्म होना चाहिए । यहां सिन्चांग का विशेष खानपान मिलता है , जो देश के दूसरे स्थानों में नहीं मिलता है । श्री सुन ने कहा कि वे लोग पिछले सात आठ सालों से यहां आते रहते हैं , पहले रात्रि बाजार इतना बड़ा नहीं था , लेकिन बाजार के पकवान और खानपान दूसरी जगह में मुश्किल से मिलते है , इसलिए दूर नजदीक बहुत से लोग रात्रि बाजार आना पसंद करते हैं ।
ग्राहकों के प्रोत्साहन से सुश्री वांग ची ह्वा का विश्वास और पक्का हो गया , उस ने विभिन्न स्वाद में बकरी के कबाब बनाने की भरसक कोशिश की , विभिन्न स्वाद पसंद करने वाले ग्राहकों के लिए वह कबाब की मसालेदार किस्में बनाती है , जब कभी नये स्वाद का कबाब सफल बनाया गया , तो पहलेपहल ग्राहकों को चाटने परखने के लिए प्रदान करती है और उन की राय सुनती है । सुश्री वांग ने कहाः
ग्राहकों की मान्यता और प्रेरणा मेरे इस व्यवसाय की प्रेरक शक्ति है , जब उन्हें पसंद आया , तो वे मेरे नियमित ग्राहक बन सकते हैं । आज मेरा यह धंधा बहुत फलता फूलता हो गया है , यह उन के समर्थन पर निभर्र हुआ है । उन के समर्थन से मेरा व्यवसाय विकसित हुआ है । मैं उन के बहुत आभारी हूं । उन की प्रशंसा सुन कर मुझे भी बहुत प्रेरणा मिली है । यो तो मेरा यह काम बहुत परिश्रमिक है । मैं प्रायः बहुत कम सोती हूं , सबेरे सबेरे उठती हूं और रात को बहुत देर से सोती हूं । पर मैं अपने काम पर खुश हूं । मेरी मेहनत का अच्छा नदीजा निकलता है ।
दोस्तों के सुझाव पर सुश्री वांग चीह्वा ने 1998 के अंत में अपने भुने गए विशेष जायकी कबाब के लिए पैटेंट पंजीकृत कराया । 19 मार्च 1999 को उसे पैटेंट का प्रमाण पत्र मिला । यह सुश्री वांग चीह्वा के लिए एक अविस्मरणीय घटना है ।
किसी विशेष किस्म के कबाब को पैटेंट मिलना सिन्चांग में एक अभूतपूर्व बात है । इसलिए सुश्री वांग इस कदर प्रभावित हुई थी कि उस ने अपने काम को और श्रेष्ठ बनाने की ठान ली , ताकि अपना काम पैटेंट और ग्राहकों के काबिले हो जाए ।
बकरी कबाब की क्यालिटी की गारंटी के लिए सुश्री वांग चीहवा हमेशा खुद मांस काटने का काम संभालती है , वर्षों से मांस काटने के काम के परिणामस्वरूप वांग चीहवा के दोनों हाथ रात को सोते वक्त सुन्न हो रहे है और कभी कभी उस में बड़ी पीड़ा आ रही है । अपनी आज की सफलता के लिए उस ने काफी न्यौछावर किया है । अपनी बेटे की नजर में उस की मां जी एक मेहनती और दृढ संकल्प वाली व्यक्ति है । उस ने कहाः
मां जी के कंधे पर बोझ बहुत बड़ा है , लेकिन वह इस की परवाह कभी नहीं करती , वह कठिनाइयों और आपदाओं के सामने कभी नहीं झूकती । वह हर कठिनाई को दूर करने की भरसक कोशिश करती है । कभी कभार बाहर मुसलाधार बारिश पड़ी और वह बुरी तरह भी भीगी और पानी जूतों के अन्दर भी गया , फिर भी वह अपनी मेहनत पर कायम रही । मांजी से मैं बहुत कुछ सीख सकता हूं ।
सुश्री वांग चीहवा के कड़े परिश्रम से खुद उस के परिवार का जीवन अच्छी तरह चला है , साथ ही उस की दुकान में ऐसे कुछ लोगों को भी नौकरी मिली है , जो कुछ साल पहले कारखानों से छंट कर बेरोजगार बन गए थे । वेवूर जाति का युवा कर्मचारी मेमेती . एली पिछले दस से ज्यादा सालों से वांग ची हवा के साथ कबाब बनाता आया है । उस ने कहाः
मुझे वांग ची ह्वा की दुकान में नौकरी मिले दस से अधिक साल हुए है । वह हमारे साथ हमेशा स्नेहपूर्ण व्यवहार करती है और जीवन और कामकाज पर हमारा ख्याल रखती है । उन की मदद से मेरी तकनीक भी बहुत उन्नत हो गयी । दीदी वांग ने निस्वार्थ भाव से मुझे बकरी कबाब भुनने का विशेष हुनर सिखाया । मुझे बड़ी प्रेरणा मिली । मैं भी भुने बकरी कबाब धंधे का बादशाह बनने की कोशिश करता हूं ।
धनी हुई सुश्री वांग चीह्वा अपने पास पड़ोस के आर्थिक कठिनाइयों से घिरे लोगों को नहीं भूलती , वह समय समय पर अनाथों , विकलांगों और बुजुर्गों को मदद के लिए पेश आती है , वे उन्हें चावल , खाद्यतेल और पौष्टिक आहार खरीद कर देती है । उस का कहना है कि वर्तमान अच्छी नीति के कारण वह धनी हो गयी है , इसलिए वह समाज को योगदान करना भूल नहीं सकती ।
सुश्री वांग चीहवा गाने नाचने के भी शौकिन है । वे प्राचीन चीनी वाद्य बजाना पसंद करती है । उस का कहना है कि अच्छी तरह जीवन बिताने और मनोरंजन करने से ही व्यवसायिक काम बेहतर चला सकता है ।
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