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(GMT+08:00) 2006-07-26 11:07:48    
सामाजिक जीवन की बहुत सी छापें गलियों पर पड़ी देखी जा सकती हैं

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प्रिय दोस्तो , जैसा कि आप जानते हैं कि आगामी 2008 में 29 वें ओलम्पिक खेल चीन की राजधानी पेइचिंग में होंगे । इसलिये हम विशेष तौर पर इस कार्यक्रम में पेइचिंग ओलम्पिक खेलों की तैयारी के बारे में एक कार्यक्रम पेश करने जा रहे हैं । इस कार्यक्रम का शीर्षक है ओलम्पिक खेलों की प्रतीक्षा में पेइचिंग । पहले हम इसी कार्यक्रम में आप को पेइचिंग के उपनगर में स्थित लम्बी दीवार , विश्वविख्यात पुराने राज्य प्रासाद , पेइचिंग शहर में स्थापित पुराने शाही उद्यानों और पेइचिंग की विभिन्न पर्यटन एजेंसियों द्वारा की जाने वाली तैयारियों से अवगत करा चुके हैं । आज के चीन का भ्रमण कार्यक्रम के अंतर्गत ओलम्पिक खेलों की प्रतीक्षा में पेइचिंग कार्यक्रम में पेइचिंग की गलियों के बारे में एक परिचयात्मक लेख प्रस्तुत है । तो श्रोता दोस्तो , अब चलें पेइचिंग की छोटी-बड़ी गलियों को देखने ।

पेइचिंग शहर की गलियों के बारे में यह कहावत आज भी प्रचलित है कि गली देखे बिना पेइचिंग को जाना नहीं जा सकता , गली में प्रवेश किये बिना पेइचिंग आना कोई अर्थ नहीं रखता । पेइचिंग शहर में बेशुमार छोटी-बड़ी गलियां जाल की तरह समूचे पेइचिंग के कोने-कोने में फैली हुई हैं और वह पेइचिंग शहर की चर्चित विशेषताओं में से एक है । बाहर से आने वाले पर्यटकों को पेइचिंग की प्राचीन संस्कृति को जानने व यहां के जीवंत वातावरण को महसूस करने के लिये पुरानी गलियों में प्रवेश करना ज़रूरी है ।

जैसा कि आप जानते हैं , चीन की राजधानी पेइचिंग एक राजनीतिक व सांस्कृतिक शहर के रूप में ही विख्यात नहीं है , उसका पर्यटन कार्य भी खासा विकसित है । शहर में विश्वविख्यात लम्बी दीवार , प्राचीन प्रासाद , समर पैलेस और स्वर्ग मंदिर जैसे रमणीक स्थल देशी-विदेशी पर्यटकों को बरबस आकर्षित करते हैं ।

पेइचिंग शहर की विशेष संकरी सड़कों को गली की संज्ञा दी जाती है । कहा जाता है कि पेइचिंग शहर की सब से पुरानी गली 13 वीं शताब्दी में य्वान राजवंश में बनी थी । तत्कालीन शासक मंगोल जाति के थे । गली यानी हू थुंग का शब्द मंगोल भाषा से आया है , जिस का अर्थ है कूआं । वास्तव में पेइचिंग की गलियां शुरू-शुरू में कूओं को केंद्र बनाकर बनाई गयीं थीं । क्योंकि उस समय की मान्यता के अनुसार हरेक गली में एक कुआं होना आवश्यक था । बाद में चीन के य्वान , मिंग व छिंग राजवंशों में बड़ी तादाद में इस प्रकार की गलियों का एक के बाद एक तेजी से विकास हुआ । इन राजवंशों के दौरान पेइचिंग का निर्माण राजमहल यानी पुराने प्रासाद को केंद्र बनाकर चारों तरफ रिहायशी मकान बना कर किया गया । इन मकानों के बीच शहर की बेशुमार गलियां एक जाल की तरह बिछती गयीं । कई सौ वर्षों के विकास के बाद आज इन गलियों को विशेष तौर पर उत्तर चीन के शहरों की संकरी सड़कों के दोनों किनारों पर स्थापित निर्माणों की संज्ञा दी गयी है । पेइचिंग में अधिकतर गलियां लगभग नौ मीटर चौड़ी हैं और अतीत में उस के दोनों ओर चार दिवारी वाले घर खड़े हुए थे ।

दोस्तो , पेंइचिग की गलियों में माल बेचने वाले विशेष आवाज़ सुनाई देती है । गलियों में बसे पुराने पेइचिंग वासी इसी आवाज़ से जान जाते थे कि वह क्या चीज़ बेच रहा है । अतीत में पेइचिंग की हरेक गली में बेचने वाले की यह आवाज़ साल भर सुनाई देती थी । उस समय स्थानीय लोगों को कोई भी वस्तु खरीदने के लिये गली से बाहर जाने की ज़रूरत नहीं थी , दैनिक जीवन में काम आने वाला रोजमर्रे का हर माल घर के द्वार पर ही मिल जाता था । इसलिये कहा जा सकता है कि पेइचिंग की गलियों ने साधारण पेइचिंग वासियों के आने-जाने के रास्ता का ही काम नहीं किया , बल्कि एक स्थानीय विशेष रीति रिवाजों के अजायब घर का रूप भी ले लिया है । सामाजिक जीवन की बहुत सी छापें भी इन पर पड़ी देखी जा सकती हैं ।

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