मंगोल जाति का इतिहास बहुत पुराना है । बहुत लम्बे अरसे से वह चीन के उत्तरी भाग के भीतरी मंगोलिया स्वायत्त प्रदेश में रहती आ रही है । यह इलाका चीन के विशाल घास मैदानों से मशहूर है । प्राचीन समय से ही मंगोल लोग घुमंतू जीवन बिताते आए है और मंगोल घास मैदानों पर रहते हैं , उन का जीवन इन की हरी-भरी घास पर निर्भर है और उन्हें यहीं से पानी भी हासिल होता हैं । आप समझ सकते हैं घास मैदान , मंगोलों के लिए कितने महत्वपूर्ण होंगे । वे सभी घास मैदानों को प्यार करते हैं और उसे अपना घर मानते हैं ।
गीत---सुन्दर घास मैदान मेरा घर
गीत का भावार्थ इस प्रकार है
सुन्दर घास मैदान है मेरा घर
हरी-हरी घास और रंगबिरंगे फूल
धरती को कितना खुबसूरत बनाए रखते हैं
चिड़िया गाती है कभी-कभार
दौड़ते हैं गाय और भेड़ इधर उधर
चरवाहे घोड़े पर चढ़ उन की देखभाल करते हैं
सूर्य की किरर्णों में लगता है
घास मैदान सपनीला
ऐसा सुन्दर घास मैदान ही है मेरा घर
मंगोल जाति का इतिहास जितना पुराना है उतना ही गौरव शाली । वर्ष 1206 में चंगेज़ खान नामक सेना नायक ने एकीकृत मंगोल देश की स्थापना की और मंगोल स्मृद्धि की राह पर चल निकले । उन्होंने पश्चिमी की ओर अपने देश का विस्तार करने के लिए युद्ध छेड़ा और अधिकांश देशों को हरा कर आज के पौर्लैंड व हंगरी तक पहुंचे । तेरहवीं शताब्दी के मध्य में मंगोलों ने चीन का एकीकरण किया और यहां य्वान राजवंश की स्थापना की । सभी मंगोलि दिल से स्वयं को चंगेज़ खान का संतान मानते हैं । उन का विचार है कि चंगेज़ खान के बिना मंगोल का विकास संभव नहीं था । उन के लिए वे मानव ही नहीं, देव सरीके हैं । सभी मंगोलों के बुजुर्ग चंगेज़ खान की चर्चा करते समय मंगोल बहुत गौरव अनुभव करते हैं ।
चंगेज़ खान को अपनी जाति का अकेला बुजुर्ग मानने की वजह से मंगोलों में ऐसी एकता पैदा हुई कि उन्हें अपने घर से कितनी ही दूर हो, निकल जाने पर भी अपने घास मैदानों की याद सताती रही है । अपना जन्मस्थान सदा उन के दिल में रहा है । आइए , सुनिए यह गीत, नाम है "घास मैदान से प्यार" ।
गीत--- घास मैदान से प्यार
इस गीत में मंगोलों की अपने जन्मस्थल के घास मैदानों के प्रति प्रेम की भावना प्रदर्शित
है ।
गीत का भावार्थ कुछ इस प्रकार है
मेरा प्यारा जन्मस्थान
तो घास मैदान है
मेरे जीवन का पालन घोड़े की पीठ पर
मैं कहीं भी जाऊं
मुझे जन्मस्थान याद आता है
घास मैदान मंगोलों को घास व पानी देते है , और घास मैदानों पर चरागाहों का गाय व भेड़ें चीन के भीतरी मंगोलियास्वयत्त प्रदेश में तरह तरह के दुध उत्पाद पैदान करने में सहायक होती है । मंगोल जाति बहुत मेहमाननवाज है । अमीर हो, या गरीब , मंगोल घर आए मेहमानों के साथ बहुत अच्छे व्यवहार करते हैं । वे मेहमानों को खूब खिलाते पिलाते हैं और उन का गानों व नाच से मनोरंजन भी करते हैं । मेज़बान मेहमान के साथ भेड़ बकरे का स्वादिष्ट मांस खाते हैं , दूध पीते हैं और सुनहरे मंगाल गीत सुनते हुए मनोहर मंगोल युवतियों का नाच देखते हैं ।
मंगोलों को नाच-गान विशेष लगाव है । मंगोल जाति के गायक थङकर बहुत मशहूर हैं । वे अपने गीत स्वयं लिखते हैं और उन की धुन भी खुद बनाते हैं । लंबे समय से घास मैदानों में रहने के कारण उन के गीतों में जन्मस्थान के प्रति प्यार की भावना विशेष रूप से दिखती है । उन के गीत चीन भर में बहुत लोकप्रिय है । लोग उन के गीत सुनकर मंगोल घास मैदानों के सुन्दर दृश्य देखने की आकांक्षा से भर उठते हैं । आइय, मंगोल जाति के गायक थङकर के गीत का मज़ा लें । नाम है: "मेरा दिल" ।
गीत--- मेरा दिल
गीत का भावार्थ इस प्रकार है
प्रवासी हंस दक्षिण की ओर उड़ रहे
सूर्य की गुनगुनेपन की खोज में
सभी नदियां बहती हैं पूर्व की ओर
समुद्र की गोद में आ गिरती हैं
मैं उत्तर का आसमान देखता हूँ
मेरा दिल विशाल घास मैदान की ओर चला जाता है
हर समय याद आती है जन्मस्थान की
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