चीन में एक थाई हु झील है , जब रात आती है , झील के तटों पर सफेद रंग के राज हंसों का एक झुंड आ कर रात गुजराता है ।
वे सभी मिल कर किसी सुरक्षित स्थान में रहते हैं , ताकि शिकारी के निशाने से बच जाए । अपनी सुरक्षा के लिए सोने से पहले वे दल के एक सदस्य को पहरा देने के लिए चुनते हैं और जब कभी खतरा की आशंका हुई , तो वह पहरी राज हंस आवाज देते हुए सबों को चैतावनी देता है ।
इस प्रबंध के बाद दूसरे राज हंस निश्चिंत रूप से नींद से सो सकते हैं ।
रात आई , शिकारियों ने झील के किनारे जहां राजहंस विश्राम कर रहे हैं , उस से कुछ दूरी पर आग जलाई , आग की रोशनी से चौंक कर पहरा देने वाला राज हंस गा-गा की आवाज देते हुए चैतावनी देना शुरू किया।
एन मौके पर शिकारियों ने आग को बुझा डाला , जब सभी राज हंस चैतावनी की आवाज से जगे , तब उन्हों ने वहां बड़ी शांति पायी , कोई खतरे का आसार नहीं दिखा ।
वे फिर सो गए । शिकारियों ने पुनः आग जलायी , पहरी हंस ने पुनः चैतावनी दी और सभी राज हंस पुनः जगे , पुनः स्थिति बड़ी शांत पायी गई , इस प्रकार ऐसा चार पांच हुए और परेशानी से सभी राज हंसों की नींद खराब हो गई , लेकिन कुछ भी खतरा नहीं देखने को मिला , वे समझते हैं कि पहरा देने वाला हंस उन्हें धोखा दे रहा है , तो उन्हों ने मिल कर पहरी राज हंस की चोंच लगा लगा कर खूब मरम्मत की ।
पुनः वे गहरी नींद से सो गए ।
जब राज हंस दल गहरी नींद के सागर में डुबा , तो शिकारी मशाल उठाते हुए धीरे धीरे उन के पास बढ़ने लगे , पहरा देने वाला राज हंस को पहले की सबक ले ली है ।
इस समय उसे जल्दबाजी से चैतावनी की आवाज देने की हिम्मत नहीं आई , इस प्रकार , सभी राज हंस शिकारियों के हाथ में पड़ गए ।
दोस्तो , यह कथा तो खत्म हुई , पर इस नीति कथा से लोगों को यही शिक्षा मिल सकती है कि किसी जटिल स्थिति में लोगों को ठंडे दिमाग से काम लेना चाहिए , असली स्थिति का साफ साफ पता चलना चाहिए ताकि किसी की चाल में ना फंस जाए ।
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