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(GMT+08:00) 2006-07-20 10:15:50    
ककशिली क्षेत्र विशाल राष्ट्रीय प्राथमिकता प्राप्त जंगली जानवर परिरक्षित क्षेत्रों में से एक है

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प्रिय श्रोताओ , आप को मालूम हुआ ही होगा कि नवनिर्मित रेलमार्ग विश्व में सब से लम्बी पठारीय रेलमार्ग ही नहीं , उस की यातायात सेवा भी पहली जुलाई को शुरू हो गयी है , इसलिये हाल ही यह नवनिर्मित रेलमार्ग चीनी लोगों के बीच एक चर्चित विषय बन गया है । पहले हम इस नवनिर्मित रेल माग के दोनों किनारों पर स्थित कुछ रमणीक स्थलों का दौरा कर चुके हैं , तो आज के इस कार्यक्रम में हम फिर बाकी सुंदर प्राकृतिक दृश्य देखने जा रहे हैं ।

प्रिय दोस्तो , कुछ रमणीक प्राकृतिक दृश्यों की चर्चा करने के बाद ककशिली क्षेत्र का उल्लेख करना भी जरूरी है । ककशिली का अर्थ मंगोल भाषा में सुंदर लड़की है । यह क्षेत्र छिंगहाई तिब्बत पठार के उत्तर पश्चिम भाग में स्थित प्रसिद्ध खुनलुन पर्वत व थांगकुला पर्वत के बीच में है , उस का क्षेत्रफल 83 हजार वर्ग किलोमीटर विशाल है और उस की ऊंचाई समुद्र की सतह से चार हजार छै सौ मीटर से अधिक है । वह चीन में सब से ऊंचाई पर स्थित विशाल राष्ट्रीय प्राथमिकता प्राप्त जंगली जानवर परिरक्षित क्षेत्रों में से एक भी है । मानव रहित ककशिली क्षेत्र को पार करने में झंट के झंट चिरू स्वतंत्र रूप से दौड़ते नजर आते हैं और साज सामान से भरे ट्रक काफिले ल्हासा की ओर जाते हुए दिखाई देते हैं ।

चीन की सब से बड़ी नदी छांग च्यांग यानी यांगत्सी नदी का उद्गम स्थान तोतोह नदी पर है . तोतोह नदी का पानी समुद्र की सतह से छै हजार छै सौ इक्कीस मीटर की ऊंचाई पर स्थित थांगकुला पर्वतशृंखला के कलातांतुंग पर्वत से निकलकर आगे बहता है । कलातांतुंग पर्वत की बर्फिली चोटी के दक्षिण भाग में एक हिमनदी भी देखने लायक है ।

थांगकुला पर्वत दर्रे को पार करने के बाद उत्तर तिब्बत में स्थित विशाल छांगथांग घास मैदान नजर आता है । यहां विविधतापूर्ण पक्षियों और जंगली जानवरों के राज्य से बहुत नामी है । साथ ही समुद्र की सतह से चार हजार सात सौ अठारह मीटर की ऊंचाई पर स्थित क्षार पानी वाली नामूछो झील भी काफी चर्चित है और वह तिब्बत की तीन बड़ी पवित्र झीलों में प्रथम मानी जाती है । तिब्बती बौद्ध धर्म के निष्ठावान अनुयायी यहां बुद्ध पूजा के लिये दंडवत करते हुए अलग पहचान बना देते हैं ।

प्रिय श्रोताओ , पर्यटक छिंगहाई तिब्बत रेल मार्ग के दोनों किनारों के अद्भुत प्राकृतिक दृश्य का लुत्फ लेने के बाद अब इस रेल मार्ग के अतिम स्टेशन ल्हासा शहर पहुंच जाता है । ल्हासा शहर का पोताला महल विश्व में समुद्र की सतह से सब से ऊंचाई पर स्थित है , उस का ऐतिहासिक व कलात्मक मूल्य विश्वविख्यात है और महल में बड़ी तादाद में संरक्षित अमूल्य सांस्कृतिक अवशेष और भित्ति चित्र भी पर्यटकों को अपनी ओर खिंच लेते हैं ।

छिंगहाई तिब्बत रेलमार्ग खुद ही एक बेमिसाल सुदंर चित्र ही है । क्योंकि पर्यटक रेल गाड़ी पर सवार होकर इस रेल मार्ग के प्रथम ऊंचा पुल --- 50 मीटर उंचा सान छा नदी पुल देख पाते हैं और सुंदर इंद्रधनुष की तरह मानव जाति रहिक ककशिली क्षेत्र को पार करने वाला 11.7 किलोमीटर लम्बा छिंग श्वी नदी पुल भी देख सकते हैं । इस लम्बे पुल को पार करते समय झुंट के झुंट चिरू भी देखे जाते हैं ।

हमारे संवाददाता ने कहा कि हमारी गाड़ी अभी भी छिंग श्वी नदी पुल पार कर गयी है , विशाल छिंगहाई तिब्बत पठार पर हम ने बहुत से चिरू झुंट में झुंट दौड़ते हुए देख पाये हैं

इस के अलावा पर्यटकों को आज की दुनिया में सब से लम्बा पठारीय बर्फिली भूमिगत सुरंग—खुनलुन पर्वत सुरंग , फंगहो पर्वत सुरंग और यांगपाचिंग सुरंग समूह देखने को मिलते हैं ।

अच्छा श्रोताओं , नव निर्मित छिंगहाई तिब्बत रेलमार्ग के दोनों किनारों के अद्भुत मनमोहक प्राकृतिक दृश्यों के बारे में एक परिचयात्मक लेख प्रस्तुत हो गया है । इसी के साथ साथ आज का चीन का भ्रमण कार्यक्रम भी समाप्ता हो गया । पर आइंदे छिंगहाई तिब्बत रेल मार्ग से जुड़े और दिलचस्प विषय इसी कार्यक्रम में पेश किये जायेंगे , आशा है आप को पसंद होगा ।

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