ग्रुप आठ का शिखर-सम्मेलन रूस के सेंट पीटरसबर्ग में आयोजित किया जा रहा है । 16 तारीख को इस शिखर-सम्मेलन में कुल 11 दस्तावेज़ पारित किए गए , जिन में ऊर्जा-सुरक्षा , संक्रमित रोगों की रोकथाम तथा शिक्षा इन तीन पूर्व तय विषयों के सिवा आतंकवाद विरोध , भ्रष्टाचार विरोध , अंतर्राष्ट्रीय व्यापार , बौद्धिक संपदा अधिकार का संरक्षण तथा अफ्रीका का आर्थिक विकास आदि सवाल भी शामिल हैं । जनवादी कोरिया द्वारा बैलिस्टिक मिसाइल प्रक्षेपण , ईरान का नाभिकीय सवाल तथा लेबनान-इज़राइल मुठभेड़ आदि हाल के ज्वलंत मुद्दों को भी शिखर-सम्मेलन के विषयों में दाखिल किया गया है । विश्लेषकों का मानना है कि वर्तमान ग्रुप आठ के पुराने शिखर-सम्मेलनों में इतने अधिक विषय कभी नहीं रहे। अंतर्राष्ट्रीय मामलों पर ग्रुप आठ का अधिकाधिक ध्यान केंद्रित है और ग्रुप आठ के मिशन का विस्तार हो रहा है । उसी दिन सुबह ग्रुप आठ के नेताओं ने ऊर्जा-सुरक्षा , संक्रमित रोगों की रोकथाम तथा शिक्षा इन तीन विषयों पर विचार-विमर्श किया और तीन दस्तावेज़ पारित किए । ऊर्जा-सुरक्षा से जुड़े दस्तावेज़ों में ग्रुप आठ के नेताओं ने यह अपील की कि ऊर्जा उपभोक्ता देश , उत्पादक देश तथा ऊर्जा के परिवहन में लिप्त देश आपस में साझेदार संबंध कायम करें , ऊर्जा के पूंजी-निवेश वातावरण का सुधार करें , ऊर्जा की प्रयोग क्षमता को उन्नत करें और ऊर्जा उपभोग में विविधता कायम करें । साथ ही महत्वपूर्ण ऊर्जा उपकरणों की सुरक्षा की गारंटी की जानी चाहिये और विकासमान देशों को ऊर्जा-आपूर्ति की गारंटी में मदद प्रदान की जानी चाहिये । पर शिक्षा के बारे में संयुक्त वक्तव्य में विभिन्न देशों के सामने यह सुझाव पेश किया गया है कि वे बुनियादी शिक्षा के संदर्भ में सकारात्मक सहयोग करें। एक कारगर आधुनिक शिक्षा व्यवस्था लागू करें , विकासमान देशों खासकर अति अविकसित देशों के शिक्षा के विकास में सहायता करें । संक्रमित रोगों की रोकथाम संबंधी दस्तावेज़ में विभिन्न देशों से विश्व संक्रमण रोग निरोध जाल स्थापित करने की अपील की गयी है , ताकि इस संदर्भ में अंतर्राष्ट्रीय सहयोग को बढ़ावा दिया जा सके और प्राकृतिक विपदा पैदा होने की स्थिति में संक्रमित रोगों के फैलाव को रोका जा सके । इस समय मध्य पूर्व क्षेत्र में सशस्त्र मुठभेड़ों में हुए विस्तार तथा इस माह की शुरुआत में जनवादी कोरिया द्वारा किए गए मिसाइल प्रक्षेपण से पैदा हुए तनाव के प्रति भी ग्रुप आठ ने संयुक्त वक्तव्य जारी किये। मध्य पूर्व की स्थिति के प्रति वक्तव्य में ग्रुप आठ के नेताओं ने कहा कि मध्य पूर्व के संकट का स्रोत उग्रवादियों की कार्यवाही है । वक्तव्य में उग्रवादियों से तुरंत ही क्षेत्रीय सुस्थिरता के खिलाफ अपनी कार्यवाहियों को बन्द करने की मांग की गयी और इज़राइल से सब से अधिक सयंम रखने की अपील की गयी। वक्तव्य में संयुक्त राष्ट्र संघ की सुरक्षा परिषद की योजना के लेबनान सवाल पर नम्बर 1559 तथा 1690 प्रस्ताव के कार्यांवयन की गांरटी करने की आशा भी व्यक्त की गयी। नाभिकीय अप्रसारण संबंधी संयुक्त वक्तव्य में ग्रुप आठ के नेताओं ने संयुक्त राष्ट्र संघ की सुरक्षा परिषद द्वारा अभी पारित कोरियाई मिसाइल संबंधी नम्बर 1695 प्रस्ताव के प्रति समर्थन प्रकट किया । वक्तव्य में जनवादी कोरिया के इसी माह की शुरुआत के मिसाइल प्रक्षेपण की निन्दा की गयी और कहा गया कि जनवादी कोरिया के मिसाइल प्रक्षेपण से क्षेत्रीय सुस्थिरता व सुरक्षा को खतरे में डाला गया है । वक्तव्य में जनवादी कोरिया से सभी नाभिकीय योजनाओं को बन्द कर शीघ्र ही छः पक्षीय वार्ता में वापस लौटने की अपील की गयी। विश्लषकों का मानना है कि ग्रुप आठ के शिखर-सम्मेलन के विषयों में दाखिल सवाल पहले से बहुत अधिक हो गये हैं । ग्रुप आठ शिखर सम्मेलन के मुद्दों व मिशन में परिवर्तन दिखाई पड़ रहा है । 1970 के दशक में जब ग्रुप आठ के पूर्ववर्ती ग्रुप, पश्चिम ग्रुप सात की स्थापना हुई थी, तब इस संगठन का मिशन मुख्य तौर पर पश्चिम के सामने मौजूद आर्थिक सवाल ही था । विश्व स्थितियों में हो रहे परिवर्तनों के साथ-साथ ग्रुप आठ शिखर सम्मेलन के विषयों में भी हर तरह के सवाल शामिल होने लगे हैं । अब ग्रुप आठ के शिखर-सम्मेलन ने आर्थिक सवाल के सिवा राजनीति,रणनीति तथा सुरक्षा आदि बहुत से क्षेत्रों में टांग फंसाना शुरू कर दिया है ।
|