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(GMT+08:00) 2006-07-14 15:34:11    
हु चिनथाओ आठ देशों के गुट व विकासशील देशों के नेताओं के वार्तालाप सम्मेलन में भाग लेने जाएंगे

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चीनी राष्ट्राध्यक्ष हु चिनथाओ 16 और 17 जुलाई को रूस के सेन्ट पीटर्सबर्ग में होने वाले आठ देशों के गुट यानी जी आठ तथा विकासशील देशों के नेताओं के वार्तालाप सम्मेलन में भाग लेंगे । वार्तालाप सम्मेलन में मुख्यतः ऊर्जा सुरक्षा , संक्रामक रोग रोकथाम , शिक्षा और अफ्रीका के विकास व व्यापार जैसे सवालों पर विचार विमर्श होगा और भूमंडलीकरण , आतंक विरोध ,अप्रसार तथा विभिन्न पक्षों के समान दिलचस्पी वाले अन्य अन्तरराष्ट्रीय व क्षेत्रीय सवालों पर रायों का आदान प्रदान होगा । चीनी राष्ट्राध्यक्ष हु चिनथाओ उपरोक्त सवालों के बारे में चीन के रूखों पर प्रकाश डालेंगे । विश्व के प्रमुख विकसित और बड़े विकासशील देशों के नेताओं की मौजूदा भेंटवार्ता में विश्व के सब से बड़े विकासमान देश होने के नाते चीन की आवाज जरूर बहुत ध्यानाकर्षक होगी ।

जी आठ अमरीका , ब्रिटेन , फ्रांस , जर्मनी , जापान , इटाली व कनाडा और रूस से गठित है । उस के मुख्य सदस्य देश पश्चिम के विकसित देश हैं , जो विकसित देशों की समन्वय व्यवस्था के रूप में अन्तरराष्ट्रीय मामलों में अहम भूमिका अदा करते हैं । इधर के सालों में जी आठ ने विकासशील देशों , खास कर बड़े विकासशील देशों के साथ वार्तालाप बढ़ाया । वर्ष 2003 में जी आठ ने पहली बार फ्रांस में अपने आठ सदस्य देशों और बड़े विकासशील देशों के नेताओं का वार्तालाप सम्मेलन बुलाया , जिस ने जी आठ की सहयोग व्यवस्था में नया विषय जोड़ कर अन्तरराष्ट्रीय प्रभाव का विस्तार किया । चीनी राष्ट्राध्यक्ष हु चिनथाओ ने निमंत्रण पर उस सम्मेलन में हिस्सा लिया , इस से चीन और जी आठ के बीच सहयोग एक नयी मंजिल पर पहुंचा । इस के बाद चीन और जी आठ के सहयोग व वार्तालाप विभिन्न क्षेत्रों में लगातार बढ़ते गए । चीनी विदेश सहायक मंत्री छ्वी थ्येनखाई ने हाल में संवाददाता सम्मेलन में रूस में होने वाले सम्मेलन पर आशा व्यक्त की । उन्हों ने कहाः

चीन जी आठ की भूमिका पर महत्व देता है , दोनों पक्षों के सहयोग दोनों के हितों से मेल खाते हैं और विश्व शांति , स्थिरता व विकास के लिए हितकारी है । चीनी राष्ट्राध्यक्ष हु चिन थाओ अब तीसरी बार इस सम्मेलन में भाग लेने जा रहे हैं । चीन की आशा है कि वार्तालाप सम्मेलन संतुलित रूप से विभिन्न पक्षों की चिंता वाले सवालों पर ध्यान देगा ,खास कर व्यापक विकासशील देशों की आवाज सुन लेगा तथा संबंधित अन्तरराष्ट्रीय सहयोग को बढावा देगा ।

वर्तमान विश्व में अन्तरराष्ट्रीय सवालों के होट पॉइन्टों ने तेज रूप ले लिया , भूमंडलीकरण का विकास असंतुलित हुआ , ऊर्जा दाम बढ़ा , व्यापार संरक्षणवाद का सिर फिर उठा , खास कर जनवादी कोरिया का मिसाइल प्रक्षेपण तथा इरान की नाभिकीय समस्या विश्व का ध्यानाकर्षण केन्द बन गया , ऐसी स्थिति में वार्तालाप सम्मेलन का आयोजन विशेष रूप से ध्यानाकर्षक है । चीनी विदेश मंत्रालय के अन्तरराष्ट्रीय मामला विभाग के उप प्रधान वांग शाओ लुंग ने कहाः

वार्तालाप सम्मेलन में मुख्यतः ऊर्जा सुरक्षा , अफ्रीका का विकास , संक्रामक रोग रोकथाम , अप्रसार , शैक्षिक सहयोग तथा भूमंडलीकरण पर विचार विमर्श होगा । सम्मेलन के बाद कार्य लंच बैठक में विश्व सुरक्षा व व्यापार सवालों पर विचार विनिमय होगा , जिस में जनवादी कोरिया का मिसाइल प्रक्षेपण , इरानी नाभिकीय समस्या तथा दोहा राउन्ड व्यापार वार्ता शमिल हैं ।

चीन विश्व का सब से बड़ा विकासशील देश है । चीनी नेता की भागीदारी व चीन के रूख विशेषतया ध्यानाकर्षक होंगे । चीनी सहायक विदेश मंत्री छ्वी थ्येनखाई ने कहाः

चीनी राष्ट्राध्यक्ष हु चिनथाओ 17 तारीख के पूर्णाधिवेशन और लंच बैठक दोनों में भाग लेंगे और अन्तरराष्ट्रीय स्थिति पर चीन के बुनियादी रूख का व्याख्या करेंगे , ऊर्जा सुरक्षा , संक्रामक रोग रोकथाम , शिक्षा व अफ्रीका विकास पर रायें बताएंगे । इस से पहले श्री हु चीन , भारत , ब्राजील , दक्षिण अफ्रीका , मैक्सिको व कांगो ब्राजवील के नेताओं की भेंटवार्ता में दक्षिण दक्षिण व अन्तरराष्ट्रीय सहयोग पर प्रस्ताव पेश करेंगे । श्री हु चिनथाओ चीन , रूस और भारत तीनों देशों की भेंटवार्ता में हिस्सा लेंगे । चीन , रूस और भारत की त्रिपक्षीय सहयोग व्यवस्था वर्षों से चली आयी है , उन के विदेश मंत्री हर साल एक बार भेंट करते हैं । इस बार रूस के सुझाव पर चीन , रूस और भारत तीनों देशों के शीर्ष नेताओं की भेंट वार्ता होगी , यह इतिहास में इस प्रकार की पहली कोशिश है , जिस पर विश्व का ध्यान व्यापक रूप से गया । इस के अलावा श्री हु चिनथाओ और अमरीकी व रूसी राष्ट्रपतियों की द्विपक्षीय वार्ता भी विशेष ध्यानाकर्षक होगी ।