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(GMT+08:00) 2006-07-10 13:50:18    
हमें भारतीय फिल्मकारों से क्या सीखना चाहिए

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दोस्तो,आप जरूर जानते हैं कि आप का देश भारत दुनिया में एक बड़ा फिल्म निर्माता देश है।वह हर साल करीब 900 फिल्में बनाता है। यह संख्या होलीवड की चौगुनी है।भारत में फिल्म देखने वालों की संख्या भी विश्व में सर्वाधिक है। भारतीय लोगों के जीवन में फिल्मों का अकूद ऊंचा स्थान हैं।लेकिन इस क्षेत्र में चीन की स्तिथि संतोषजनक नहीं है। चीन में फिल्म-दर्शकों की संख्या ज्यादा नहीं है,सो सिनेमा-घर कभी कभार खाली से लगते हैं।भारत के किसी सिनेमा-घर में चहल-पहल जैसा दृश्य चीन में बहुत कम देखने को मिलता है। इस स्थिति को सुधारने के लिए क्या चीनी फिल्मकार भारतीय हमपेशाओं से कुछ सीख सकते हैं? इस प्रश्न के साथ हमारे संवाददाता ने चीनी जन राजनीतिक सलाहकार सम्मेलन के कुछ सदस्यों और भारतीय फिल्मों को पसन्द करने वाले कुछ आम चीनियों से साक्षात्कार किया।

सुश्री ह्वांग शु-छिन चीन में एक मशहूर फिल्म व टी.वी फिल्म निर्देशक हैं। अपनी असाधारण उपलब्दियों के कारण वह चीनी जन राजनीतिक सलाहकार सम्मेलन की सदस्य बनी हैं। उन के द्वारा निर्देशित फिल्म《चित्र का आत्मा》और टी.वी धारावाहिक《 बन्द नगर》व《आपराधिक देनदारी》चीन में एक अवधि तक हिट रहीं। भारतीय फिल्मों की चर्चा करते हुए उन्हों ने कहा :

"हालांकि मैं कभी भारत नहीं गई ,लेकिन पिछली शताब्दी के 50 वाले दशक में मीडिल स्कूल में पढने के समय मैं ने भारतीय फ़िल्में देखीं।《आवारा》औऱ अन्य कई भारतीय फ़िल्में चीनी दर्शकों में बड़ी लोकप्रियता बटोरी।उस समय के मेरे जैसे भारतीय फ़िल्मप्रेमी चीनियों के बाल आज सफेद हो चुके हैं,लेकिन भारतीय फ़िल्मों की चर्चा करने में उन की रूचि यथावत बनी है।"

चीनी युवाओं को पुरानी भारतीय फ़िल्मों के बारे में बहुत कम जानकारी है। बुजुर्ग लोग उन्हें संबंधित जानकारी दे सकते हैं। एक बुजुर्ग ने कहा :

"मुझे भारतीय फिल्में बहुत पसंद हैं।युवावस्था में मैं ने आयातित सभी भारतीय फ़िल्में देखीं।《आवारा》और《कारवां 》आदि फिल्मों ने मुझ पर गहरी छाप छोड़ी।मैं ने कुछ भारतीय फ़िल्मों को अनेक बार देखा है।मैं इन फ़िल्मों के संगीत और नृत्य भी बेहद पसन्द करता हूं।भारतीय फिल्मगीत मेरे आकर्षण का केंद्र है।जब मैं ने उन में से एक सीखा,तो गाया।

इन गीतों का आज भी मेरी उम्र वाले बुजुगों में कोफी चलन है।मिलन-समारोह वगैरह आयोजनों के अवसर पर हम पुराने भारतीय फिल्मगीत गाते हैं। " कहते-कहते इस बुजुर्ग ने उत्साह के साथ भारतीय फिल्म《आवारा》का विषयगीत गाया

कुछ समय पहले चीनी टी.वी चैनल पर भारतीय धारावाहिक《कोशिश एक आशा》दिखाई गई।यह चीनी टी.वी के इतिहास में आयातित पहली भारतीय टी.वी धारावाहिक है।उस ने चीनी दर्शकों को वर्तमान भारतीय लोगों के पारिवारिक जीवन और प्रेम के विभिन्न पहलु दिखाये तथा धूम मचायी।

इस फिल्म के विषय-गाने को बहुत से चीनी टी.वी दर्शक बेहद पसन्द करते हैं। इस धारावाहिक के प्रति उन का कौन सा अनुभव है? एक प्रौढ़ चीनी दर्शक का कहना है :

"चीनी टी.वी चैलन पर《कोशिश एक आशा》के प्रसारण से ही मैं ने पाया है कि भारतीय फिल्मकार भी टी.वी धारावाहिक भी बनाते है।पहले मैं समझती थी कि भारतीय लोग केवल फिल्में देखते हैं और टी.वी धारावाहिक नहीं बनायी जाती है।अब मुझे पता लगा है कि भारत में भी टी.वी धारावाहिक बनती हैं,बल्कि वह बहुत आकर्षक और दिलचस्प है।उल्लेखनीय है कि भारतीय अभिनेताओं और अभिनेत्रियों के अभिनय का स्तर बहुत ऊंचा है।जाहिर है कि वे अपने कार्य के प्रति बहुत जवाबदेह हैं।भारतीय धारावाहिक की शैली यूरोपीय व अमरीकी देशों,जापान और दक्षिण कोरिया की धारावाहिकों की शैलियों से कुछ भिन्न है।भारतीय फिल्मों की अनूठी विशेषता मैं ने पहले कभी नहीं देखी है।《कोशिश एक आशा》देखना अवकाश के समय मेरे मनोरंजन का एक भाग बना है।इस धारावाहिक से मैं ने भारत की संस्कृति व परंपरा संबंधी समृद्ध जानकारी प्राप्त की हैं और मेरी आंखें खुल गयी हैं।"