चीन और भारत ने छह तारीख को चालीस से ज्यादा वर्षों से बन्द हुए नाथुला दर्रे के सीमा व्यापार रास्ते को पुनः खोला । चीनी अंतरराष्ट्रीय सवाल अनुसंधान केंद्र के अनुसंधानकर्ता, दक्षिण एशिया सवाल के विशेषज्ञ श्री चङ रेई श्यांग ने हमारे संवाददाता के साथ साक्षात्कार में कहा कि चीन और भारत के बीच नाथुला दर्रे को पुनः खोलना आपसी लाभ वाले आर्थिक विकास का प्रतीक है , जिस से दोनों देशों के राजनीतिक क्षेत्र में मैत्री व सहयोग और बढ़ेगा।
श्री चङ रेइ श्यांग का विचार है कि नाथुला दर्रे के सीमा व्यापार रास्ते की बहाली के बाद शुरू में व्यापारिक रकम ज्यादा नहीं होगी, फिर भी चीन व भारत की व्यापारिक आवाजाही में नयी शक्ति का संचार किया जाएगा। उन्होंने कहा"चीन और भारत के बीच आर्थिक व व्यापारिक विकास में तेज़ी आई है । गत वर्ष दोनों देशों की व्यापारिक रकम 18 अरब 70 करोड़ अमरीकी डालर तक पहुंच गयी है। अधिकारिक सूत्रों के अनुमान के अनुसार चालू वर्ष में यह रकम 20 अरब तक पहुंचने की संभावना है । सीमा व्यापार दोनों देशों के आर्थिक व व्यापारिक संबंधों के विकास को आगे बढ़ाएगा। लेकिन रिपोर्ट के अनुसार नाथुला दर्रे के रास्ते की बहाली के बाद चीन से 15 किस्म वाला माल निर्यात किया जा सकेगा , जबकि भारत से 20 किस्मों वाला। यह संख्या कम है, लेकिन इस से दोनों देशों के सीमांत क्षेत्र की जनता के जीवन के लिए सुविधा प्रदान की जाएगी, और एक दूसरे की आवश्यक्ताएं पूरी हो जांएगी । इस के साथ ही सीमा क्षेत्र के लिए व्यापारिक मौका प्रदान किया जाएगा । इसी तरह यह आपसी लाभ वाली बात है ।"
नाथुला दर्रा चीन के तिब्बत स्वायत्त प्रदेश और भारत के बीच की सीमा पर स्थित है । यह प्राचीन रेशम मार्ग के दक्षिण भाग का महत्वपूर्ण रास्ता ही नहीं, चीन व भारत के बीच प्रमुख थलीय व्यापार रास्ता भी था । श्री चङ रेइ श्यांग के विचार में नाथुला दर्रे को पुनः खोलने से चीन और दक्षिण एशिया के बीच थलीय व्यापार के रास्ते के लिए मदद मिलेगी। उन का कहना है "प्राचीन जमाने में चीन से पश्चिमी एशिया और दक्षिण एशिया तक का रेशम मार्ग एक अच्छा व्यापारिक रास्ता था । आज चीन के सीमा व्यापारिक रास्ते को पुनः खोलने को प्राचीन रेशम मार्ग की बहाली कहा जा सकता है । वर्तमान में चीन और भारत के बीच व्यापार आम तौर पर समुद्र से किया जाता है, इस के साथ ही आज कल थलीय यातायात की बहाली हो रही है । नाथुला दर्रा महत्वपूर्ण सीमा व्यापार का रास्ता है , बीते समय में अस्सी प्रतिशत सीमा व्यापार इसी रास्ते से किया जाता था । "
श्री चंग रूई श्यांग ने कहा कि चीन व भारत के बीच नाथु ला दर्रे के फिऱ से खुल जाने का सकारात्मक व्यापारिक व आर्थिक महत्व ही नहीं , बल्कि राजनीतिक महत्व भी है ।
उन्हों ने कहा कि जैसा कि भारतीय पत्र पत्रिकाओं ने कहा कि चीन व भारत के बीच नाथुला दर्रे का फिर से खुल जाना इधर के सालों में चीन-भारत संबधों में सुधार आने का संकेत है । इस के अतिरिक्त चालू वर्ष चीन भारत मैत्री वर्ष भी है। दोनों देशों के बीच नाथुला दर्रे में सीमा व्यापार मार्ग का फिर खुलना दोनों देशों के बीच होने वाले आयोजनों में से एक है । पहले चीन-भारत संबंधों में तिब्बत सवाल व सिक्किम सवाल जैसे विवादित सवाल मौजूद थे , पर इस बार नाथुला दर्रे के सवाल के समाधान से असल में दोनों पक्षों के बीच खड़े सीमा व्यापार व आर्थिक सवालों का समाधान हो गया है। साथ ही दोनों देशों का राजनीतिक सवाल का भी हल हो गया है।
2005 में चीनी प्रधान मंत्री वन चा पाओ की भारत यात्रा ने इन दोनों देशों के संबंधों को शांति व समृद्धि की ओर उन्मुख रणनीतिक साझेदार संबंधों में बदल दिया है । श्री चंग रूई श्यांग ने कहा कि नाथुला दर्रे के सीमा व्यापार मार्ग के खुलने से चीन व भारत दोनों देशों का संबंध एक नयी मंजिल पर पहुंच गया है । उन्हों ने कहा संक्षेप में कहा जाये , यह दोनों देशों के लिये समान आर्थिक जीत की अभिव्यक्ति ही नहीं , राजनीतिक तौर पर मैत्रीपूर्ण सहयोग में नया ज्वार भी है ।
चीन व भारत के बीच तेज आर्थिक व व्यापारिक विकास की चर्चा में श्री चंग ने कहा कि दोनों देशों के आर्थिक विकास में कुछ समस्याएं फिर भी मौजूद हैं । पर इन समस्याओं का समाधान कदम ब कदम किया जा रहा है । वर्तमान में भारत भी दोनों देशों के आर्थिक व व्यापारिक संबंधों को सुधारने की कोशिश कर रहा है । पर उन्हें राजनीतिक माध्यमों के जरिये सुलझाना ज़रूरी है ।
उन्हों ने कहा कि चीन-भारत के राजनीतिक संबंधों के विकास के साथ-साथ दोनों देशों के आर्थिक व व्यापारिक सहयोग के विकास की गुंजाइश और बड़ी होगी ।
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