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(GMT+08:00) 2006-07-03 16:59:14    
पेइचिंग विश्वविद्यालय में "भारत उत्सव"

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हाल ही में चीन के प्रसिद्ध उच्च शिक्षालय पेइचिंग विश्वविद्यालय के कैंपस में "भारत उत्सव" मनाया गया है।

भारतीय गीत-संगीतों के साथ इस उत्सव को मनाने का आयोजन शुरू हुआ।यह आयोजन 2006 में चीन-भारत मैत्री वर्ष मनाने की गतिविधियों में से एक है,जो पेइचिंग विश्वविद्यालय के भारत-अनुसंधान केंद्र और चीन स्थित भारतीय दूतावास की साझी अध्यक्षता में चला।

पेइचिंग विश्वविद्यालय चीन में भारतशास्त्र के अनुसंधान औऱ शिक्षा का केंद्र है।पिछली शताब्दी के शुरू में ही इस विश्वविद्यालय में भारतीय दर्शनशास्त्र,साहित्य व भाषाओं का सुव्यवस्थित अनुसंधान-कार्य शुरू हुआ था।1946 में पेइचिंग विश्वविद्यालय का पूर्वी भाषा व साहित्य विभाग की स्थापना की गई।भारत के अनुसंधान में मशहूर विशेषज्ञ श्री ची श्यान-लिन और चिन क-मू आदि प्रोफेसर इस विभाग के प्रमुख शक्ति रहे।उन की कोशिशों से चीन में भारत के अनुसंधान व शिक्षा-कार्य फलता-फूलता गया है।2004 में पेइचिंग विश्वविद्यालय का भारत अनुसंधान केंद्र स्थापित हुआ।उसी साल चीन की यात्रा पर आए तत्कालीन भारत के प्रधान मंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने इस के उद्घादन-समारोह में भाग लिया।अप्रैल 2005 में चीनी प्रधान मंत्री वन चा-पाओ की भारत-यात्रा के दौरान चीन और भारत के बीच शांति व खुशीहाली के अम्मुख सहयोग की रणनीतिक साझेदारी की स्थापना की घोषणा की गई।दोनों देशों के प्रधान मंत्रियों ने फैसला किया कि 2006 को "चीन भारत मैत्री वर्ष " के रूप में मनाया जाएगा।

पेइचिंग विश्वविद्यालय में "भारत उत्सव" मनाने का आयोजन 10 दिनों तक चला,जिस में सेमिनार, प्रदर्शनी, सास्कृतिक प्रस्तुतीकरण और चीनी व भारतीय विद्यार्थियों का मिलन -समारोह आदि गतिविधियां शामिल हुईं,जो भारत के गीत-नृत्यों,फिल्मों, अर्थतंत्र, साहित्य,वैदेशिक व्यापार-नीति औऱ चीन-भारत संबंध इत्यादि विषयों से जुड़ी हैं। प्रदर्शित भारतीय फिल्में चीनी विद्यार्थियों के आकर्षम का केंद्र रहा।

उत्सव के उद्घादन-समारोह में चीन स्थित भारतीय दूतावास द्वारा प्रस्तुत महात्मा गांधी समेत जाने माने भारतीय हस्तियों और भारत के विभिन्न क्षेत्रों के 100 से ज्यादा फोटो की प्रदर्शनी लगी।इस ने बहुत से विद्यार्थियों को अपनी ओर खींच लिया।त्साई य्वी-लिन नामक एक छात्रा ने हमारे संवाददाता से इंटरव्यू में कहा कि कैंपस में ही भारत के बारे में इतनी जानकारी हासिल करना उच्छी बात है।उन का कहना हैः

" `भारत उत्सव ` मनाने का आयोजन बहुत महत्वपूर्ण है और इस से जुड़ी विविध गतिविधियों से हमें भारत के बारे में बहुत से जानकारियां मिल सकती हैं।चीन और भारत एक दूसरे के पड़ोसी है और दोनों बड़े विकासशील देश भी हैं।इससिए द्विपक्षीय आदान-प्रदान के लिए हितकर इस तरह के आयोजन को जितना संभव हो सके उतना ज्यादा चलाया जाना चाहिए"

इस आयोजन के जिम्मेदार व्यक्ति पेइचिंग विश्वविद्यालय के भारत अनुसंधान केंद्र के प्रोफेसर च्यांग चिंग-ख्वे हैं।उन के विचार में पेइचिंग विश्वविद्यालय में "भारत उत्सव" मनाने का भारी महत्व है।उन के अनुसार चीन और भारत के सरकारी अफसरों,विशेषज्ञों और विद्वानों के बराबर आम लोगों विशेषकर नौजवानों के बीच आवाज़ाही भी बहुत अहम है।उन्हों ने कहाः

"चीन-भारत संबंधों के विकास के प्रति नौजवानों के दृष्टिकोण को ध्यान देने योग्य हैं।इस आयोजन ने चीनी नौजवानों को भारत जानने और भारत को अपने दिखाने का मौका दिया है।चीनी विद्यार्थी खासकर पेइचिंग विश्वविद्यालय के विर्द्यार्थी मानते हैं कि चीन और भारत सच्चे मायने में हाथ में हाथ डालकर आगे बढने से ही समान समृद्धि एवं अमन-चैन प्राप्त कर सकते हैं और सारी दुनिया की शांति व समृद्धि में योगदान कर सकते हैं।"

चीन और भारत दोनों प्राचीन सभ्यता वाले देश है और दोनों के बीच सांस्कृतिक आदान-प्रदान का इतिहास 2000 वर्षों से अधिक पुराना है।ईसा पूर्व की दूसरी शताब्दी में ही चीन के हान राजवंश के राजनयिकों और व्यापारियों ने पश्चिम की ओर जाने वाले "रेशम मार्ग " खोला।भारत इस मार्ग पर बसा एक महत्वपूर्ण देश है।चीन की संस्कृति और उत्पाद भारत के ही रास्ते यूरोप तक पहुंचाए जाते थे।ईसा पूर्व पहली शताब्दी के आसपास बौद्ध धर्म भारत से चीन में आया और धीरे-धीरे चीनी संस्कृति का एक हिस्सा बन गया।चीन स्थित भारतीय राजदूत नलिन सूरी ने दोनों देशों के बीच सांस्कृतिक आदान-प्रदान की भूरि-भूरि प्रशंसा की।उन का मानना है कि 21वीं शताब्दी में भारत और चीन दोनों को तेजी से विकास करने का ऐतिहासिक अवसर मिला है और इस तरह अनेक क्षेत्रों में दोनों के बीच सहयोग की बड़ी संभावना तैयार हुई है।उन्हों ने कहाः

"भारत की ही तरह चीन की भी अपनी प्राचीन परंपरा है।दोनों देशों की सांस्कृतिक परंपराओं में अनेक समानताएं मौजूद हैं।एक दूसरे के मैत्रीपूर्ण पड़ोसी होने के नाते दोनों देशों को एक दूसरे से सीखना चाहिए।संस्कृति के अलावा शिक्षा,स्वास्थ्य और अर्थतंत्र आदि के क्षेत्रों में दोनों देशों की अपनी अपनी विशेषताएं और अनुभव हैं।कुछ अनुभव बहुत मूल्यवान हैं,जो एक दूसरे के लिए उपयोगी हो सकते हैं।"

राजदूत नलीन सूरी ने कहा कि इधर के वर्षों में चीन में हुए तेज विकास ने उन पर गहरी छाप छोडी है।चीन ने आर्थिक विकास के साथ सांस्कृतिक विकास को भी भारी महत्व दिया है और भारत समेत विभिन्न देशों के साथ सांस्कृतिक आदान-प्रदान को आगे बढ़ने की कोशिश की है।पेइचिंग विश्वविद्यालय में "भारत उत्सव " मनाने के आयोजन से चीनी युवाओं को भारत जानने में बढावा देने और भारत-चीन मैत्री को आगे ले जाने में मदद मिलेगी।

सूत्रों के अनुसार चीन-भारत मैत्री वर्ष मनाने के लिए करीब 50 गतिविधियां तय हुई हैं,जो राजनीति,अर्थतंत्र,व्यापार,संस्कृति,शिक्षा,विज्ञान-तकनीक औऱ रक्षा से जुड़ी हैं।संस्कृति से जुड़ी गतिविधियों के तहत भारत में चीनी फिल्मोत्सव और चीन में भारतीय फिल्मोत्सव आयोजित किए जाएंगे,चीनी आँपेरा कलाकार भारत में कार्यक्रम प्रस्तुत करेंगे और भारतीय बालीवुड गीत-नृत्य मंडली चीन आकर रंगबिरंगे भारतीय सांस्कृतिक प्रोग्रामों की प्रस्तुति करेगी।