पेइचिंग समय के अनुसार, दो जुलाई के तड़के छिंगहाई प्रांत के गोलमुत से तिब्बत स्वायत्त प्रदेश की राजधानी ल्हासा तक जाने वाली प्रथम रेल गाड़ी सही सलामत ल्हासा स्टेशन पहुंच गयी । इसी दिन आधी रात के बारह बजकर 13 मिनट पर ल्हासा से रवाना होने वाली रेल गाड़ी सुचारू रूप से गोलमुत शहर पहुंची . यह छिंगहाई तिब्बत रेल मार्ग के सफल यातायात का द्योतक है ।
इस रेल गाड़ी में छै सौ से ज्यादा सवारी हैं , उस ने पहली जुलाई को गोरमुत से रवाना होकर 13 से ज्यादा घंटों में विश्व की छत कहलाने वाली छिंगहाई तिब्बत पठार से गुजर कर कुल 1142 किलोमीटर का रास्ता तय कर दिया । ल्हासा रेलवे स्टेशन पर कई हज़ार तिब्बती बंधुओं ने नाचते गाते हुए ल्हासा पहुंचने वाले यात्रियों को मंगलसूचक सफेद हादा भेंट किये ।
चीनी रेल मंत्रालय के प्रथम अनुसंधान केंद्र के वांग श्याओ ली इस रेल गाड़ी के यात्री हैं , उन्होंने छिंगहाई तिब्बत रेल मार्ग के डिजाइन कार्य में भाग लिया , और इस रेल गाड़ी की भूरी भूरी प्रशंसा करते हुए कहा "मुझे बड़ी खुशी हुई कि अपनी डिजाइन को मूर्त रूप दिया गया। यह रेल गाड़ी बहुत आरामदेह है । हमें कोई पठारीय आपत्ति नहीं है । रेल गाड़ी स्थिर रूप से चल रही थी, और हम ने रास्ते में त्सोना झील, और थांग कुला पहाड़ आदि प्राकृतिक दृष्य देख लिया है ।"
पता चला है कि पहली जुलाई को विश्व में समुद्र की सतह से सब से ऊंचाई पर स्थापित रेल मार्ग छिंगहाई तिब्बत रेल मार्ग का यातायात शुरू हो गया । इसी दिन सुबह छिंगहाई के गोरमुत शहर और तिब्बत की राजधानी ल्हासा से रेल गाड़ियों का एक जोड़ा क्रमशः एक दूसरे के यहां के लिये रवाना हो गया , इस से तिब्बत स्वायत्त प्रदेश में रेल गाड़ी न होने का इतिहास समाप्त हुआ ।
|