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(GMT+08:00) 2006-07-01 18:44:14    
विश्व की छत पर छींगहाई तिब्बत रेल मार्ग खुला है

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1 जुलाई को विश्व की छत पर रेल मार्ग छींगहाई तिब्बत रेल मार्ग खुला है । चीन ने रेल मार्ग के खुलने की खुशियां मनाने के लिए पश्चिमी चीन के छींगहाई प्रांत के कोरमू शहर में धूपधाप से समारोह आयोजित किया ।

1 जुलाई की सुबह चीन के भीतरी ईलाके से तिब्बत स्वायत्त प्रदेश की राजधानी ल्हासा तक जाने वाली प्रथम रेल गाड़ी कोरमू शहर से रवाना हुई । उस में सवार लगभग छै सौ यात्री सौभाग्य से रेल गाड़ी के जरिये तिब्बत जाने वाले प्रथम दल के यात्री बने । चीनी राष्ट्राध्यक्ष श्री हू चिन थाओ ने छींगहाई तिब्बत रेल मार्ग के खुलने के समारोह में फीता काटा । कोरमू रेल स्टेशन के सामने के चौक पर देश के विभिन्न स्थलों से आये लोग एकत्र हुए । उन में इस रेल मार्ग के डिजाइनर तथा कोरमू शहर के नागरिक सब शामिल हैं ।

चीनी राष्ट्राध्यक्ष श्री हू चिन थाओ ने समारोह में बयान देते हुए कहा कि छींगहाई तिब्बत रेल मार्ग का निर्माण पीढ़ी दर पीढ़ी चीनियों की उम्मीद रही है , इस के निर्माण की सफलता मानव के रेल इतिहास में एक आश्चर्य है ।

प्रिय श्रोताओ , छींगहाई तिब्बत रेल मार्ग पूर्व से छींगहाई प्रांत की राजधानी शिनींग शहर से पश्चिम के तिब्बत स्वायत्त प्रदेश की राजधानी ल्हासा शहर तक चलता है । इस की कुल लम्बाई 1956 किलोमीटर है । समुद्र-तह से इस की औसत ऊंचाई चार हजार मीटर है ।

जब कोरमू शहर में लोग छींगहाई तिब्बत रेल मार्ग के खुलने की खुशियां मना रहे हैं , तब इस के साथ इस रेल मार्ग के दूसरे पड़ाव ल्हासा शहर भी खुशियों के सागर में डूबा हुआ है । सुनिये वहां भेजे गये हमारे संवाददाता ने कहा कि अभी निर्मित ल्हासा शहर के स्टेशन के सामने तिब्बती लोग रंग-बिरंगे कपड़ों में अपने जातीय नाचगान करते हुए छींगहाई तिब्बत रेल मार्ग के औपचारिक प्रयोग की खुशियां मना रहे हैं । छींगहाई तिब्बत रेल मार्ग के खुलने से न केवल तिब्बत में रेल मार्ग न होने का इतिहास खत्म हो गया है , बल्कि छींगहाई प्रांत और तिब्बत स्वायत्त प्रदेश दोनों की जनता को जीवनयापन की सुविधाएं भी तैयार की जाएगी । 26 वर्षीय तिब्बती लड़का त्ज़ाशी तिब्बत से कभी बाहर नहीं गये । उन्हों ने संवाददाता से कहा , वे भी इस रेल मार्ग के जरिये बाहर का दौरा करना चाहते हैं । उन का कहना है

"मुझे बहुत खुशी हुई है । पहले भीतरी ईलाके का दौरा करने का इतना सुविधाजनक माध्यम नहीं था । रेल मार्ग होने से सब कुछ उपलब्ध है । मालों का दाम भी सस्ता हो गया है। मैं भी बाद में रेलगाड़ी से शांघाई और पेइचिंग जैसे बड़े शहरों का दौरा करूंगा ।"

पहले लोग आम तौर पर मोटर गाड़ी और विमान के जरिये भीतरी ईलाके से तिब्बत जाते थे । मोटर गाड़ियों से वहां जाने में अधिक समय लगते थे और ऊबड़-खाबड़ रास्ते पर यात्रियों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता था । उधर विमान के जरिये तिब्बत जाने का सफर बहुत महंगा है । इसलिए छींगहाई तिब्बत रेल मार्ग के खुलने से अधिकाधिक लोग सस्ते और सुविधाजनक माध्यम से तिब्बत जा सकेंगे । सूगलैंड से आयी पर्यटक सुश्री माक्डांनाल्ड ने कहा ,

"मेरे ख्याल में छींगहाई तिब्बत रेल मार्ग के खुलने के बाद अधिक विदेशी पर्यटक यहां आएंगे । क्योंकि रेल गाड़ी से यात्रा सस्ता है । विमान की सेवा इससे महंगी है । "

1 जुलाई को छींगहाई तिब्बत रेल मार्ग के खुलने के बाद तिब्बत आने वालों की संख्या में बड़ी वृद्धि होगी । तिब्बत के पर्यटन ब्यूरो के उप प्रधान श्री त्ज़ानो ने कहा कि 1 जुलाई से हर रोज़ चार रेल गाड़ियां तिब्बत के लिए रवाना होने लगी है । हरेक रेल गाड़ी में लगभग एक हजार यात्री सवार होंगे , उन में तीस हजार पर्यटक शामिल हैं । रेल गाड़ी को छोड़कर विमान से प्रति दिन और एक हजार यात्री आएंगे । इस का मतलब है कि तिब्बत आने वाले यात्रियों की संख्या दुगुनी होगी । श्री त्ज़ानो ने कहा कि अधिक पर्यटकों का सत्कार करने के साथ साथ वे सांस्कृतिक अवशेषों तथा पारिस्थितिकी संरक्षण पर जोर देंगे । इसमें कुछ कदम भी उठाये जाएंगे , जैसे पोतावा महल का दौरा करने वालों की संख्या को प्रति दिन 1800 के नीचे सीमित किया जाएगा ।

छिंगहाई-तिब्बत रेल मार्ग के दोनों किनारे बहुत से सुरम्य पहाड़, नदियां और झीलें दिखाई देती हैं । रास्ते में यात्री रेल गाड़ी के खिड़कियों से तिब्बती कुरंग तथा तिब्बती गंधे आदि जंगली पशु देख सकते हैं । इस रेल मार्ग पर अनेक विश्व के चोटी वाले कृत्रिम निर्माण भी बिखरे हुए हैं , जैसे विश्व में सब से ऊंचा रेल स्टेशन ---थांगगुला रेल स्टेशन , विश्व में सब से ऊंचा पठारी जमे जमीन पर निर्मित रेल मार्ग पुल यानी 11 हजार 700 सौ मीटर लम्बा छींग-श्वेइ-ह पुल , तथा विश्व में सब से लम्बा पठार के जमे जमीन के नीते निर्मित सुरंग यानी 1686 मीटर लम्बा खुनलुन पहाड़ सुरंग इत्याति ।

इन महान परियोजनाओं को समाप्त करने के लिए निर्माताओं ने असंख्य कठिनाइयों का मुकाबला किया है । छींगहाई तिब्बत रेल मार्ग की पटरी बिछाने वाली परियोजना के जिम्मेदार डाइरेक्टर श्री फैन वेइ शून ने संवाददाता से कहा कि उन्हों ने रेल मार्ग के पटरियों और जमे जमीन के बीच में टुकड़े टुकड़े पत्थर रख दिये हैं , ताकि इस रेल मार्ग की मजबूती की गारंटी की जा सके ।

छींगहाई तिब्बत रेल मार्ग के गुजरने वाले पठारीय क्षेत्र में ग्रीष्मकाल में बहुत गर्मी होती है । सूर्य के प्रकाश में बर्फ से जमी जमीन पिघलने की संभावना है , तब से रेल मार्ग की नींव को खतरा पैदा हो सकता है । इसलिये हम ने जमी जमीन की रक्षा के लिए अनेक कदम उठाये हैं । ऐसे में रेल मार्ग की मजबूती के प्रति कोई चिन्ता नहीं है ।

तिब्बत के ख ख शीली प्राकृतिक संरक्षण केंद्र के कर्मचारी, तिब्बती युवा वन गा ने कहा कि छिंग हाई तिब्बत रेल लाइन के निर्माताओं ने उन के साथ कारगर सहयोग किया । उन का कहना है

"इस रेल लाइन के डिज़ाइन के समय ही हम ने उन्हें बयाता कि कहां जंगली जानवर आ जाते हैं, और उन से उन जानवरों के लिए विशेष रास्ता बनाने का सुझाव दिया । छिंग हाई तिब्बत रेल लाइन के निर्माण के शुरू में मज़दूर बहुत बड़ी संख्या में थे , जानवरों के निर्माण-स्थल के आरपास गुजरने के वक्त हम ने उन से दो तीन दिनों के लिए काम बंद करने का सुझाव दिया, ताकि तिब्बती कुरंगों के सुरक्षित आर पार हो सके ।"

सूत्रों के अनुसार छिंग हाई तिब्बत रेल लाइन के निर्माण में स्थानीय प्राकृतिक पारिस्थितिकी की बहाली को भी महत्व दिया गया। निर्माण-कार्य के दौरान पर्यावरण संरक्षण पर ध्यान दिया गया, हर एक भाग में रेल लाइन का निर्माण पूरा होने के बाद स्थिति को उस की मूल रूप में बलदने के लिए वहां के निर्माण-संस्थापनों को पूरी तरह घटाया गया और सभी कूड़ों को समाप्त कर दिया गया , ताकि सर्वाधिक हद तक प्राकृतिक पारिस्थितिकी का संरक्षण किया जा सके । पता चला है कि इस रेल लाइन के निर्माण के दौरान पारिस्थितिकी संरक्षण के क्षेत्र में एक अरब चालीस करोड़ य्वान का अनुदान किया गया , जो चीन में रेल लाइन के निर्माण के इतिहास में अभूतपूर्व है ।

छिंग हाई प्रांत और तिब्बत स्वायत्त प्रदेश के आम नागरिक इस पर ज्यादा ध्यान देते हैं कि इस रेल लाइन पर यातायात शुरू होने के बाद उन्हें किस तरह का लाभ मिलेगा । यही यातायात शुरू होने के पूर्व हमारे संवाददाता को तिब्बत स्वायत्त प्रदेश के नाछ्वू क्षेत्र में एक तिब्बती बुजुर्ग से मिला, जो रेल मार्ग के निकट रहते हैं । त्वो च वांग जा नामक इस बुजुर्ग के परिवार में सात सदस्य हैं।वे 38 सुलगाय और एक सौ से ज्यादा बकरे पालते हैं । बुजुर्ग त्वो च वांग जा ने कहा कि पहले मज़दूर रेल लाइन के निर्माण के लिए उन के घर के आसपास आए, उन्हें बहुत चिंतित था ।

"रेल लाइन के निर्माण को देखने के वक्त मैं खुशी था और डरता भी था। मेरा डर है कि रेल लाइन के निर्माम से हमारे यहां के घास मैदान नष्ट होकर पशुओं के पालन पर कुप्रभाव पड़ेगा । अगर पशुओं का पालन अच्छा नहीं होता , तो आमदनी कम होगा और हमारे जीवन को ज्यादा सवाल हो सकता है ।"

छिंग हाई तिब्बत रेल लाइन के निर्माण के चलते च्वे च वांग जा की आशंका एकदम दूर हो गई है । रेल लाइन के निर्माण के दौरान घास मैदान को नष्ट नहीं किया गया है और उन के घर को अतिरिक्त आमदनी प्राप्त करने का मौका मिला है। च्वो च वांग जा एक छोटी दुकान खोली है और परिवार के अन्य सदस्यों ने रेल मार्ग के रक्षा दल में भाग लिया, जिस से उन्हों ने पैसे कमाए हैं।

ल्हासा में नेपाली व्यापारी रटना कुमार तुलधार ने कहा कि छिंग हाई तिब्बत रेल लाइन की यातायात सेवा शुरू होने के बाद उन्हें ज्यादा व्यापारिक मौका मिलेगा ।

"यह चीन के तिब्बत और नेपाल के लिए अच्छी बात है । बड़ी तादाद में चीनी माल इस रेल लाइन के जरिए छिंग हाई से ल्हासा तक पहुंचेगा और उन की ढुलाई की खर्च भी कम होगा, हम इन मालों को नेपाल लाकर बेचेंगे और नेपाली सामान चीन में ले आएंगे ।"

वास्तव में छिंगहाई-तिब्बत रेल लाइन का यातायात शुरू होने के बाद चीन का माल रेल गाड़ी से ल्हासा तक पहुंचेगा और इस के बाद दक्षिण एशियाई देशों में निर्यातित किया जाएगा । इस के साथ ही दक्षिण एशियाई देशों के माल रेल गाड़ी से चीन के भीतरी इलाके तक पहंचेगा । यातायात के सुधार और दूरी की कमी से चीन व दक्षिण एशियाई देशों के बीच द्विपक्षीय व्यापार को आगे बढ़ाया जाएगा ।