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(GMT+08:00) 2006-06-30 20:47:14    
ह्वी जातीय गायक सुलतुंग की कहानी

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उत्तर पश्चिम चीन में ह्वार शैली का ह्वी जातीय गीत अत्यन्त मशहूर है , उस की आवाज बुलंद और लहरेदार है और बोल ताजा और भावोद्वेलित है , जो विशेष जातीय रंग में रंगित हुआ है । इधर के सालों में सिन्चांग में ह्वी जाति के युवा गायक सुलतुंग के ह्वार गाने बहुत लोकप्रिय हैं ।

ह्वी जातीय गायक सुलतुंग के ह्वार गायन परम्परागत शैली के आधार पर आधुनिक तत्वों व विषयों में प्रस्तुत हुए है , जिस ने ह्वी जाति की इस गायन शैली विशेष को मोहक और लोकप्रिय बनाया है । इधर के सालों में सिन्चांग के विभिन्न स्थानों में आयोजित ह्वी लोगों के शादी समारोह और भोज में अकसर सुलतुंग के गाने सुनाई देते हैं ।

यह है सुलतुंग की आवाज में पेश ह्वार का एक मधुर गीत । श्री सुलतुंग इस समय सिन्चांग के अर्थ व्यापार स्कूल के शिक्षक हैं , गीत गाना और गीत के बोल लिखना उन का अवकाशकालीन शौक है । ह्वी जाति में सुलतुंग का नाम गायक के रूप में सिन्चांग और उत्तर पश्चिम चीन के क्षेत्र में बहुत प्रसिद्ध हो गया । वर्ष 1997 में उन का पहला एल्बम प्रकाशित हुआ , अब तक उन के कुल पांच एल्बम जारी किए गए , जिन में 120 से ज्यादा गीत शामिल हैं ।

श्री सुलतुंग का जन्म सिन्चांग वेवूव स्वायत्त प्रदेश के ईली क्षेत्र में हुआ , बालावस्था में वे गाने के शौकिन थे । वर्ष 1990 में विश्वविद्यालय से स्नातक होने के बाद वे गीत संगीत लिखने लगे । शुरू शुरू में वे प्रायः कजाख और वेवूर जाति के गीत लिखते थे । वर्ष 1991 में उन के वेवूर गीतों का पहला एल्बम प्रकाशित हुआ , जो दूर का आशीर्वाद नाम से मशहूर है । लेकिन छात्रों के एक मिलन समारोह में दोस्तों के मजाक ने उन्हें बहुत प्रभावित कर दिया । उस की याद में सुलतुंग ने कहाः

पार्टी में एक दोस्त ने कहा , आप इतना अच्छे कजाख और वूवेर गीत गाते हैं , अब आप अपनी जाति ह्वी का एक गीत गाओ । इस बीच एक दूसरे दोस्त ने कहा कि ह्वी जाति का भी कोई ढंग का गीत सुनने को मिलता है . उस की इस बात से मैं बहुत उत्तेजित हो गया और तुरंत जवाब दिया कि ह्वार हमारी ह्वी जाति का गीत है और वह बहुत मशहूर भी है । लेकिन उस दोस्त ने फिर कहा , ह्वार तो है , पर आधुनिक गीत नहीं है , परम्परागत ह्वार गायन समझने में नहीं आता है ।

दोस्तों की बातों से सुल्तुंग को काफी ठेस पहुंचा । उन्हों ने सोचा कि दोस्तों की बात तर्कसंगत है , ह्वी जाति की परम्परागत शैली के गायन ह्वार की धुन सरल है और बोल स्थानीय बोली में है , जिसे पसंद करने वालों की संख्या आधुनिक युग में लगातार घटती जा रही है । ह्वी जाति में आधुनिक शैली के गायन का विकास भी बहुत धीमा है । इस प्रकार के चेतन के बाद सुल्तुंग ने खुद ह्वी जाति के आधुनिक पॉप गीत लिखने की ठान ली । उन्हों ने कहाः

चीन देश की अन्य जातियों ने पाश्चात के बहुत से समुन्नत संगीत और संस्कृति को अपनी जातीय संस्कृति के सांचे में ढाल कर अपनी परम्परा का काफी विकास किया है । ह्वी जाति को भी अपना पॉप गीत संगीतों का सृजन कर अपनी परम्परागत श्रेष्ठता को दूसरों को दिखाना चाहिए , क्योंकि संस्कृति जाति और देश तक सीमित नहीं होती है ।

चीन के इतिहास में बहुत से अहम और मशहूर लोग ह्वी जाति के थे , विश्वविख्यात महान प्राचीन चीनी समुद्र यात्री जङ ह और प्राचीन महान कथाकार फु श्वांग लिन आदि ह्वी जातीय व्यक्ति थे । लोगों को ह्वी जाति के बारे में ज्यादा जानकारी दिलाने के लिए सुल्तुंग ने ह्वी महा पुरूष नाम का एक गीत बनाया । सुलतुंग के दोस्त पो युछङ ने कहा कि उसे सुलतुंग का यह गीत बेहद पसंद है ।

उस ने कहा कि सुल्तुंग ने ह्वी जाति की पसंदीदा चीजों को गायन के जरिए जगजाहिर कर दिया है , मैं उन की ऐसी कोशिश का समर्थक हूं । उन के गीत सुनने के बाद मुझे ह्वी जाति के बारे में बहुत सी जानकारी मिली ।

सुल्तुंग का संगीत सृजन रास्ता बहुत कठिन है , वर्ष 1990 से 1997 तक सात सालों के प्रयासों के बाद उन्हों ने अपने पैसे पर आधुनिक ह्वी गीतों का अपना पहला टेप प्रकाशित किया । पैसे की कमी के कारण उन्हों ने अपनी पत्नी के साथ मिल कर टेपों के पैकिंग का काम भी किया । पैसे की कमी के कारण अपने गीतों के प्रचार प्रसार का काम वे नहीं कर पाये , इसलिए टेपों की बिक्री भी अच्छी नहीं चली । इस समस्या को हल करने के लिए सुल्तुंग ने खुद जगह जगह जा कर अपने गीतों से लोगों को आकृष्ट करने की कोशिश की । उन की कोशिश का रंग आया । धीरे धीरे उन के गीत लोकप्रिय हो गये । उन के दोस्त पो युछङ ने कहा कि लोगों को उन के गीत बहुत पसंद आये । जब वे ह्वी जातीय स्कूल गए , तो सभी छात्रों ने गाना सुनने के दौरान उन की ओटोग्राफी मांगी । अब ह्वी जाति के अलावा सिन्चांग की कजाख व वेवूर आदि अन्य जातियों को भी उन के गीत पसंद हुए ।

बड़ी लोकप्रियता से प्रभावित हो कर श्री सुल्तुंग ने खुद पैसा जुटा कर ह्वी लोग , ह्वी युवती और लाल बुर्के के नीचे सुन्दर बहन आदि वि सी डी बनवाया , जो उत्तर पश्चिम चीन में असाधारण रूप से लोकप्रिय हो गए हैं ।

संगीत समीक्षकों का कहना है कि सुल्तुंग के गीतों में ह्वार शैली की ज्वलंत विशेषता है और दूसरी जातियों के संगीत तत्वों का मिश्रिरण भी देखने को मिलता है , गीतों के ताल लय आधुनिक संगीत के है , जो व्यक्तित्व और जीवन की सजीवता से परिपूर्ण है । अभी जो गीत आप ने सुना था , उस से सुल्तुंग के गीतों की यह विशेषता स्पष्टतः पायी जा सकती है ।

प्रसिद्ध होने के बाद भी सुल्तुंग आम लोगों के बीच जाकर गीत गाना पसंद करते हैं , उन का कहना है कि आम लोग उन की रचना की जड़ है , स्रोत है । आम लोगों के जीवन से उन्हें प्रेरणा मिलती है ।

सुल्तुंग की अच्छी याद है कि एक दिन वे ईली की होश्यान काऊंटी गायन प्रोग्राम के लिए गए थे , 80 वर्षीय एक वृद्धा ने उन से कहा कि मुझे तुम्हारे गीत पसंद है , क्या तुम मादक द्रव पाबंदी पर एक गीत बना सकते हो . वृद्धा ने 18 य्वान निकाल कर उन्हें देते हुए कहा कि गीत लिखने में आप को परिश्रम करना पड़ता है ।

सुल्तुंग ने कहा कि वृद्धा का पैसा देख कर मेरी आंखों में अनायास आंसू भर आयी । मैं ने संकल्प किया था कि मैं जरूर मादक पदार्थ पाबंदी का एक भावभीना गीत लिखूं । मैं ह्वी जातीय गीत पर कायम रहूंगा , क्योंकि इतने आम लोग मेरा समर्थन करते हैं।

कुछ दिनों बाद सुल्तुंग का नया गीत पाईबुलीस निकला और लोगों में जल्द ही लोकप्रिय हो गया, इस गीत में दिली भावना से मादक द्रव से पीड़ित व्यक्ति से गुमराह से लौटने का आह्वान किया गया । सुलतुंग का एक अन्य गीत दादी का दिल भी आम ह्वी लोगों के दिल को छू लेता है ।

आम लोगों की सेवा में सुल्तुंग कला प्रस्तुति के लिए बहुत कम पैसा लेते हैं और कभी कभार वे अपने पैसे से आने जाने की किराया देते हैं , वे चाहते हैं कि उन के गीतों से आम लोगों का जीवन आनंदपूर्ण होगा और ह्वी जाति के बारे में ज्यादा जानकारी मिलेगी । वे कहते हैं कि उन का जीवन बहुत सुखमय है , बहुत से लोग उन्हें पसंद करते हैं , वे अपनी जिन्दगी को इस भूमि और इस भूमि पर आबाद लोगों को समर्पित करने को तैयार है ।