संयुक्त राष्ट्र व्यापार व विकास सम्मेलन के पूंजी निवेश विभाग के निदेशक खालिल हमदानी का मानना है कि इधर के सालों में चीन के देशपारीय कम्पनियों की खरीददारी गतिविधि, विश्व का एक नया आकर्षक बिन्दु बन रहा है। वर्ष 1999 से 2005 तक चीन की कम्पनियों ने कम से कम विदेशों में 277 परियोजनाओं की खरीदारी में सफलता हासिल की है, वह एशिया में एक मिसाल है। इस के अतिरिक्त गत वर्ष से विकसित देशों में चीन की विलय व खरीददारी गति तेज होती जा रही है। इस से जाहिर है कि रणनीतिक मायने में चीन विदेशों के मशहूर ब्रांडों ,विज्ञान तकनीकों व उत्पाद सामग्रियों समेत विकसित देशों के बाजारों की खरीदारी में पूंजी निवेश पर बल दे रहा है।
अलबत्ता चीन के उद्योगों का देशपारीय खरीददारी का रास्ता इतना सुगम नहीं रहा है। वर्ष 2005 में अमरीका के भारी राजनीतिक दबाव पर, चीन की तेल कम्पनी ने अमरीका के यूनीकोन तेल कम्पनी की खरीददारी योजना पर उत्पन्न राजनीतिक मसले के आगे मजबूर होकर इस खरीददारी को त्यागने पर मजबूर होना पड़ा। उधर इस साल के आरम्भ में लेनोवा कम्पनी को अमरीकी विदेश मंत्रालय से 1 करोड़ अमरीकी डालर कम्यूटर खरीददारी अनुबंध हासिल हुआ था, पर किसी ने सोचा भी नहीं था कि इस सौदे पर अमरीका के कुछ लोगों ने कड़ा विरोध जताया। बाहरी दबाव के आगे, अमरीकी विदेश मंत्रालय ने इस अनुबंध को सुरिक्षत तो रखा है परन्तु कम्पयूटर के प्रयोग को बदल दिया है और आगे इन कम्युटर अनुबंध की कड़ी जांच करने का दावा किया।
लेनोवा समूह कम्पनी के उप महा प्रबंधक ल्यू श्या लिन ने कहा कि हालांकि हमें भारी राजनीतिक बाधा का सामना करना पड़ा , लेकिन चीन के उद्योग देशपारीय उद्योग का रूपधारण करने के सपने को साकारने की कोशिशों को नहीं छोड़ेगें। चीन के उद्योगों को जापान और कोरिया गणराज्य की तरह बाहर की ओर कदम बढ़ाने और विदेशों में चीन के आर्थिक शक्ति की पहचान बनाने की कोशिश करनी चाहिए, ताकि चीन के उद्योगों के विदेशों में पूरी तरह वहां के बाजार के नियमों के तहत सार्वजनिक व युक्तियुक्त रूप से अपना व्यवसाय चलाने को समझ सकें , तभी विदेशों के ग्राहकों को लेनोवा समेत अन्य चीन के उद्योगों के प्रति सुन्दर छवि निखारी जा सकती है, उस वक्त अनेक शंका भरी आवाजें खुद ब खुद गुल हो सकती हैं।
चीनी वाणिज्य मंत्रालय के सहायक मंत्री छन च्येन ने कहा कि चीन के उद्योगों के लिए, हालांकि पूंजी निवेश और समुद्रपारीय कम्पनियों की खरीददारी का अपेक्षाकृत तेज विकास हो रहा है और उसका दायरा भी विस्तृत हो रहा है, तो भी विदेशी निवेशकों के चीन में पूंजी डालने की मात्रा से देखा जाए या उनके बढ़ते दायरे की तुलना की जाए, वह चीन के उद्योगों के समुदपारीय पूंजी निवेश की बराबरी में अब भी बहुत छोटी है। विकसित देशों की बराबरी में चीन के उद्योगों के देशपारीय खरीददारी का समय ज्यादा लम्बा नहीं है, अधिकतर कारोबारों के विदेशों कम्पनियों की खरीददारी प्रक्रिया केवल एक आरम्भिक दौर से ही गुजर रही है।
उन्होने कहा कि चीन को धीरज से समुद्रपारीय खरीददारी विकास को आगे बढ़ाना चाहिए और जोखिस स्थिति से बचने पर ध्यान देना चाहिए। उनके अनुसार हमें अन्तरराष्टीयकरण खरीददारी के दौर में अन्तरराष्ट्रीय व घरेलु बाजार के संचालन के बीच के अन्तर को भारी महत्व देना चाहिए और सर्वश्रेष्ठ संसाधन को जुटाकर सही तौर से समुद्रपारीय खरीददारी के अन्दरूनी व बाहरी अवसर को पकड़ने की कोशिश करनी चाहिए, इस के अलावा, कारोबारों के संचालन की जोखिमता को कम करने, बढ़िया आर्थिक लाभांष हासिल करने पर ध्यान देने के साथ अन्तरराष्ट्रीय वित्तीय साधनों व माध्यमों के प्रयोग के अच्छे तरीके भी सीखने चाहिए।
श्री छन च्येन कहा कि चीनी उद्योगों को वर्तमान समुद्रपारीय संचालन व प्रबंधन की क्षमता को उन्नत करने की फौरी जरूरत है, उत्पादन संचालन की केन्द्रीय संसाधन को हासिल कर भारी संख्या में अन्तरराष्ट्रीय वाणिज्य नियम, मानव संस्कृति पर्यावरण , कानून कायदों की जानकारी प्राप्त अन्तरराष्ट्रीयकरण सुयोग्य व्यक्तियों के प्रशिक्षण पर भी कसर नहीं छोडनी चाहिए।
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