• हिन्दी सेवा• चाइना रेडियो इंटरनेशनल
China Radio International
चीन की खबरें
विश्व समाचार
  आर्थिक समाचार
  संस्कृति
  विज्ञान व तकनीक
  खेल
  समाज

कारोबार-व्यापार

खेल और खिलाडी

चीन की अल्पसंख्यक जाति

विज्ञान, शिक्षा व स्वास्थ्य

सांस्कृतिक जीवन
(GMT+08:00) 2006-06-28 18:53:52    
चीन के छिंगहाई तिब्बत रेल लाइन के निर्माण में पर्यावरण संरक्षण पर जोर

cri

लगभग दो हजार किलोमीटर लम्बी छिंगहाई तिब्बत रेल लाइन को पूर्ण रूप से खोला जाएगा । तिब्बत पठार पर बिछी इस रेल लाइन के निर्माण में पर्यावरण संरक्षण के कार्यों पर विश्व का ध्यान आकर्षित है । क्योंकि तिब्बत पठार की पारिस्थितिकी बहुत कमजोर है , बरबाद होने के बाद इस की बहाली करना बहुत मुश्किल होगा। इसलिए छिंगहाई तिब्बत रेल लाइन के निर्माताओं ने रेल मार्ग के किनारों पर पर्यावरण के संरक्षण पर बहुत महत्व दिया है ।

तिब्बत स्वायत्त प्रदेश की राजधानी ल्हासा के उत्तर में चार सौ किलोमीटर की दूरी पर तीन सौ वर्ग किलोमीटर विशाल छ्वना नामक तालाब है , जो जंगली हँस , बत्तख तथा तिब्बती कुरंग का तीर्थस्थल है । इस झील के पानी को संभावित प्रदूषण से बचाने के लिए छिंगहाई तिब्बत रेल लाइन के निर्माताओं ने बीस किलोमीटर लम्बी एक दिवार खड़ी की है । इस परियोजना के जिम्मेदार श्री यैन फेई ज्वन ने कहा , छ्वना तालाब को संभावित प्रदूषण से बचाने के लिए हम ने रेतीली बोरियों से इस झील के बाहर बीस किलोमीटर लम्बी एक दीवार का निर्माण किया है। इस तरह झील का पानी साफ बनाये रखा जा सकेगा ।

छ्वना तालाब परियोजना छिंगहाई तिब्बत रेल लाइन के पर्यावरण संरक्षण कार्यों में से एक है । इस रेल लाइन के निर्माण के पूरे कार्यों में पर्यावरण संरक्षण को काफी महत्व दिया जा रहा है । निर्माताओं के सभी कार्य स्थल घेराबंदी में हो रहे हैं , सभी कार्यकर्ताओं को घेरे से बाहर जाने की इजाज़त नहीं है । जमी हुई भूमि इस पठार की पारिस्थितिकी का महत्वपूर्ण भाग है । इसे बरबाद करने के बाद पठार का पर्यावरण नष्ट हो जाएगा । इसलिए निर्माताओं ने रेल लाइन के निर्माण में जमीन का यथासंभव संरक्षण करने के साथ-साथ नयी प्रोसेसिंग रूपरेखा कायम की है। जैसे छिंगहाई तिब्बत रेल लाइन की पट्टी तथा इस के नीचे की जमीन के बीच पत्थर के टुकड़ों की एक विशेष तह बिछाई गयी है , जिससे जमी हुई भूमि की रक्षा की जा सकती है । प्राकृतिक वातावरण के संरक्षण के अलावा छिंगहाई तिब्बत रेल लाइन के किनारों के आसपास रहने वाले जंगली पशुओं पर अधिक आंखें आकर्षित हैं । इस रेल लाइन के दोनों तटों पर 11 राष्ट्र स्तरीय प्राकृतिक संरक्षण क्षेत्र बिखरे हुए हैं , जिन में तिब्बती कुरंग , तिब्बती गधे और जंगली याक समेत दसेक पशुओं की नस्लें जीवित हैं । इन मूल्यवान पशुओं के संरक्षण के लिए छिंगहाई तिब्बत रेल लाइन के निर्माताओं ने घुमंतू पशुओं के चलने के लिए तीसेक विशेष मार्ग खोले रखे हैं । रेल लाइन के जनरल इंजीनियर श्री छ्वाओ यू सिन ने कहा , वर्ष 2002 में जब छिंगहाई तिब्बत रेल लाइन का निर्माण किया जा रहा था , तब बड़ी संख्या में तिब्बती कुरंग घूमते हुए इस रेल लाइन को पार करते हुए देखे गए । हम ने इन पशुओं की सुविधा के लिए दस दिनों के लिए काम को बन्द किया , और घायल हुए कुरंगों का इलाज भी किया ।

कड़े संरक्षण कार्य की वजह से छिंगहाई तिब्बत रेल लाइन के दोनों तटों पर रहने वाले जंगली पशुओं का काफी संरक्षण किया जा चुका है । तिब्बती कुरंग की संख्या पहले के 70 हजार से बढ़ कर एक लाख तक जा पहुंची है । छिंगहाई तिब्बत रेल लाइन के तट पर स्थित क-क-शि-ली प्राकृतिक संरक्षण क्षेत्र में कार्यरत तिब्बती युवा श्री वन-गा ने संवाददाता से कहा , हम ने रेल लाइन के निर्माताओं को यहां जीवित पशुओं की जीवन स्थितियों की खूब जानकारियां दी हैं । उन्हों ने हमारी सूचनाओं के मुताबिक पशुओं की रक्षा के लिए बहुत से कदम उठाए हैं ।

छिंगहाई तिब्बत रेल लाइन के किनारों पर कार्यस्थल के बाहर कार्य करने की कोई भी चीज़ नहीं दिखती है । क्योंकि इस रेल लाइन के निर्माण के बाद कार्य से जुड़े सभी उपकरणों को वापस हटाने और प्राकृतिक वातावरण की भी पूर्ण रूप से बहाली करने की कड़ी मांग की गयी है । रेल लाइन के निर्माता श्री फैन वेइ शून ने बताया , छिंगहाई तिब्बत रेल लाइन का निर्माण शुरू होने से पहले सभी स्थलों के फोटे खींचे गये , निर्माण समाप्त होने के बाद इन सभी स्थलों को दृश्यों के फोटो के मुताबिक बहाली करने की मांग की गयी है । फिर निर्माण के दौरान पैदा हुआ सभी कूड़ा बैग में भर कर तय स्थलों पर निपटाया गया है ।

पता चला है कि छिंगहाई तिब्बत रेल लाइन के निर्माण में प्राकृतिक संरक्षण के संदर्भ में कुल 1 अरब 40 करोड़ य्वान की पूंजी लगी है । विश्व प्राकृतिक कोष के ल्हासा मुद्दे के जिम्मेदार श्री तावा-त्सीरें ने बताया , छिंगहाई तिब्बत रेल लाइन का रुपाकार और निर्माण उन्नतिशील और वातावरण संरक्षण प्राप्त परियोजना है । निर्माण के दौरान वातावरण को बरबाद होने से बचाया गया है । लेकिन उन्हों ने यह चिन्ता भी प्रकट की कि रेल लाइन के खुलने के बाद बहुत से यात्री तिब्बत पठार का दौरा करने जाएंगे , जिससे वातावरण संरक्षण पर अधिक दबाव पड़ेगा । इसी संदर्भ में बहुत से काम बचे हुए हैं ।