इस साल चाइना रेडियो इंटरनेशनल की स्थापना की 65 वीं वर्षगांठ है । चीन के एकमात्र राष्ट्रीय स्तर के वैदेशिक प्रसारण सर्विस के रूप में चाइना रेडियो इंटरनेशनल की स्थापना कैसी हुई , और उस के विकास का रास्ता किस तरह तय किया गया । यह सी .आर .आई को चाहने वाले सभी श्रोता दोस्तों के लिए दिलचस्पी वाला सवाल होगा । फिलहाल सी .आर .आई द्वारा आयोजित हो रही मैं और चाइना रेडियो इंटरनेशनल शीर्षक ज्ञान प्रतियोगिता में आज इसी सवाल पर एक परिचयात्मक आलेख प्रसारित होगा , जिस से आप को सी .आर .आई के शुरूआती दिन पर विस्तृत जानकारी मिल सकेगी ।
गत शताब्दी के 40 वाले दशक के आरंभिक काल में चीन जापानी सैन्यवाद के आक्रमण से जूझ रहा था । उस युद्ध काल में चीनी कम्युनिस्ट पार्टी और उस के नेतृत्व वाली सशस्त्र शक्तियां चीन की जापानी आक्रमण विरोधी शक्तियों का स्तंभ बन गयी । चीनी जनता के जापानी आक्रमण विरोधी युद्ध का परिचय करने के लिए चीनी कम्युनिस्ट पार्टी के मुख्यालय स्थल यानी चीन के क्रांतिकारी आधार क्षेत्र येनयान में शिन्ह्वा ब्रोडकास्टिंग स्टेशन शिन्हवा रेडियो की स्थापना की गई , जिस का उद्देश्य देश विदेश को जापानी आक्रमण विरोधी युद्ध की स्थिति के बारे में रिपोर्ट देना और विभिन्न तबकों से मिल कर जापानी आक्रमण का मुकाबला करने का आह्वान करना था। तीसरी दिसम्बर 1941 को शिन्हवा रेडियो से जापानी भाषा में प्रसारण शुरू किया गया , जो एक्स एन सी आर से कॉल करता था । जापानी भाषा का यह प्रसारण मुख्यतः चीन पर आक्रमण कर रही जापानी सेना को लक्षित था । शिन्हवा रेडियो के जापानी भाषा सेवा का प्रथम एनांउसर एक जापानी महिला थी , जिस का नाम हारा कियोशी है और जो अब स्वर्गवासी हो गई है । उस समय शिन्हवा रेडियो का स्टुडियो एक सरल गुफानुमा मकान के भीतर था । प्रसारण क्षमता सिर्फ 300 वाट थी । उसी दिन से चीन की भूमि पर विदेशियों को विदेशी भाषा में प्रसारण शुरू हो गया । इसीलिए तीसरी दिसम्बर 1941 को चीन के वैदेशिक ब्राडकास्टिंग कार्य का श्रीगणेष दिवस निर्धारित किया गया ।
गत शताब्दी के 50 वाले दशक में जापान से चीन लौटे प्रवासी चीनी श्री लु युफू सी .आर .आई जापानी भाषा में प्रसारण करने वाले पुराने उद्धोषक रह चुके हैं , उन्हें जापानी भाषा की प्रसारण सेवा के शुरूआती दिन के बारे में विस्तृत जानकारी है । इस साल 70 वर्षीय लु युफू ने तत्कालीन स्थिति का परिचय देते हुए कहा कि शिन्हवा रेडियो की प्रथम विदेशी भाषी उद्घोषिका दिवंगत हारा कियोशी उस समय येनयान की एक गुफा में बोलती थी , उन की आवाज जापानी आक्रमणकारी सैनिकों को मानसिक तौर पर निरस्त्र करने वाला एक शक्तिशाली साधन बन गयी थी।
श्री लु ने कहा कि हारा कियोशी अपनी आवाज में जापानियों को यह बताती थी कि जापानी आक्रमणकारी युद्ध की असलियत क्या है तथा सच्चाई किस पक्ष में है । उन की आवाज न्यायपरत थी , जिस से बहुत से जापानी सैनिक प्रभावित हो गए । बाद में जब सी .आर .आई के जापानी भाषा विभाग खुले , तो उस में अनेक ऐसे जापानी विशेषज्ञ काम करते थे , जो युद्ध के समय जापानी सेना के सैनिक रह चुके थे , वे जापानी आक्रमणकारी युद्ध से नफरत हो कर चीनी पक्ष में आ मिले थे ।
जापानी आक्रमण विरोधी युद्ध विजयी होने के बाद वर्ष 1946 में युद्ध काल में चीनी कम्युनिस्ट पार्टी के साथ सहयोगी रह चुकी चीनी कोमिनतांग पार्टी ने चीन पर अपना तानाशाही शासन जमा करने की कुचेष्टा में चीनी कम्युनिस्ट पार्टी के खिलाफ गृह युद्ध छेड़ा । कोमिनतांग पार्टी की तानाशाही के विरूद्ध चीनी कम्युनिस्ट पार्टी ने चीनी जनता का रहनुमाई कर संघर्ष चलाया । गृह युद्ध की आवश्यता के अनुसार शिन्हवा रेडियो का स्टुडियो स्थानांतरित हो कर वर्ष 1947 के आरंभ में पेइचिंग से कुछ दूर स्थित हपै प्रांत की श्येश्यान काऊंटी में स्थापित हुआ। इसी साल के सितम्बर माह में शिनह्वा रेडियो का अंग्रेजी प्रसारण शुरू किया गया । अंग्रेजी प्रसारण का प्रथम एनांउसर सुश्री वी लिन थी , जो इस साल 82 साल की हो गयी है । उस समय की याद करते हुए सुश्री वी लिन ने भावविभोर हो कर कहाः उस समय हमारा स्टुडियो हपै प्रांत की श्येश्यान काऊंटी के शाह गांव में एक गुफानुमा मकान में था, स्टुडियो की मशीन सरल थी , मकान का दरवाजा भी नहीं था , केवल दीवार पर एक ऊंनी परदा लगाया जाता था , कभी कभी बाहर से बकरी की म्येंम्यें की आवाद भी अन्दर घुस आती थी , उस समय हमारे पास टेपरिकार्डर नहीं था। गीत संगीत प्रसारित करने के लिए कला मंडली को बुला कर मैगफोन के सामने गाना बजाना कराया जाता था ।
इस समय शिन्हवा रेडियो की प्रसारण क्षमता दस किलोवाट तक पहुंची थी , जिसे दक्षिण एशिया और दक्षिण पूर्व एशिया में साफ साफ सुनाई दे सकता था , अच्छा मौसम के दिन यूरोप और अमरीका में भी सुनने को मिलता था । अंग्रेजी प्रसारण से विदेशी लोगों को चीन की वास्तविक स्थिति काफी पता चली थी । वर्ष 1949 में चीन लोक गणराज्य की स्थापना हुई , इस के साथ शिन्हवा रेडियो भी राजधानी पेइचिंग में स्थानांतरित हुआ , जिस का नाम बदल कर पेइचिंग शिन्हवा रेडियो रखा गया । अभी आप ने जो धुन सुनी है , वह पहली अक्तूबर 1949 को पेइचिंग शिन्हवा रेडियो द्वारा प्रसारित चीन लोक गणराज्य की स्थापना के शानदार समारोह के आंखों देखा हाल का एक अंश है , जिस के जरिए पूरे विश्व को चीन लोक गणराज्य की स्थापना का संदेश प्रेषित किया गया ।
नए चीन की स्थापना के बाद चीन की वैदेशिक प्रसारण सेवा ने सक्रिय रूप से विश्व के विभिन्न देशों को चीन सरकार की नीतियों , सिद्धांतों , व राजनीतिक , आर्थिक और सामाजिक स्थिति के विकास तथा चीन और विदेशों के सहयोग से अवगत कराने की कोशिश की , इस तरह पेइचिंग का शिन्हवा रेडियो चीनी और विदेशी जनता के बीच आपसी समझ व दोस्ती बढ़ाने वाला एक सैतु बन गया । इस मिशन को पूरा करने के साथ साथ चीन की वैदेशिक प्रसारण सेवा का भी बड़ा विकास हुआ । खास कर प्रसारण की भाषाओं की संख्या में बड़ी वृद्धि हुई , अब पहले की जापानी , अंग्रेजी तथा चीनी भाषा के अलावा अनेक विदेशी भाषाओं में भी प्रसारण शुरू हो गया ।
अप्रैल 1950 में पेइचिंग शिन्हवा रेडियो का नाम बदल कर रेडियो पेकिंग रखा गया । अभी आप ने जो आवाज सुनी है , वह तत्कालीन रेडियो पेकिंग का कॉल सिगन था । इस की धुन चीनी जनता में लोकप्रिय पूर्व में लालिमा छायी है नामक गीत पर आधारित थी , जो चीन के उस काल की एक विशेष पहचान बन गयी थी । उस साल , रेडियो पेकिंग में वियतनामी , थाई , इंडोनिशियाई और बर्मी भाषाओं में प्रसारण आरंभ कर दक्षिण पूर्व एशिया की जनता को चीन की स्थिति , स्वतंत्रता व शांति की विदेश नीति तथा चीन की सफल क्रांति के अनुभवों से अवगत कराया जाता था ।
नए चीन से लगाव के कारण बहुत से देशभक्त प्रवासी चीनी लौट कर देश के निर्माण कार्य में भाग लेने लगे । श्री वांग श्यान चुंग उन में से एक हैं , उन्हों ने रेडियो पेकिंग की बर्मी सेवा की स्थापना के काम में हिस्सा लिया था । उस समय की याद करते हुए उन्हों ने कहा कि शुरूआत में काम की स्थिति कठिन थी , लेकिन इस काम में अनंत आनंद मिलता था । उन्हों ने पुराने चीन में किसानों द्वारा जमीनदारों के शोषण का मुकाबला करने की एक मशहूर कहानी प्रसारित की थी , कहानी में जो मुर्गे व कुते की आवाज जरूर थी , उसे उद्घोषक ने मुह से बनाया था । श्री वांग ने कहाःतत्काल जब मैं ने रेडियो पर किसान को यु बो की कहानी प्रसारित करता था , तो कहानी में जरूरी सभी आवाज मैं ने खुद मुह से बनायी थी ,जो बहुत जीता जागता लगती थी । क्योंकि मैं ने स्टुडियम में बैठने से पहले ही इन का अच्छी तरह अभ्यास किया था ।
बाद में रेडियो पेकिंग में फारसी , अरबी , सिवाहिली ,स्पेनिश जैसी भाषाओं में प्रसारण आरंभ किया गया , जो अरब , अफ्रीका व लातिन अमरीका के देशों को चीन के समाजवादी कार्य की जानकारी देता रहा । इस के साथ यूरोप , उत्तरी अमरीका तथा विश्व के अंग्रेजी भाषी क्षेत्रों को अंग्रेजी प्रसारण के समय को बढ़ाया गया ।
वर्ष 1965 तक चीन के रेडियो प्रसारण में 27 विदेशी भाषाओं और चीनी हान भाषा व चार स्थानीय बोलियों में विश्व को 98 घंटों के प्रसारण किए जाने लगे , जो भाषाओं व घंटों की दृष्टि से विश्व की अग्रिम पंक्ति में आया और इस के लिए बड़ी वाट क्षमता वाले ट्रांसफर स्टेशन भी कायम किए गए । गत शताब्दी के 70 वाले दशक तक चाइना रेडियो इंटरनेशनल की भाषाएं 43 तक पहुंची है ।
अभी आप ने सी .आर .आई के विकास के शुरूआती दिनों के बारे में लेख सुना है , इस लेख के लिए जो सवाल रखा गया है, वह कि चीनी वैदेशिक प्रसारण सेवा के प्रथम एनांउसर का नाम क्या है और अप्रैल 1950 में चीनी वैदेशिक प्रसारण सेवा का नाम क्या है । आशा है कि आप इस के सही सही उत्तर भेज कर पुरस्कार जीत लेंगे । आप के पत्र के इंतजार में है।
|