इन-शाङ और पश्चिमी चओ नामक दो दास-राजवंशों में इस का निरन्तर विकास हुआ तथा वसन्त और शरद काल में इस का धीरे-धीरे पतन हो गया। इस प्रक्रिया से गुजरने में कोई 1600 वर्षों का समय लगा था।