• हिन्दी सेवा• चाइना रेडियो इंटरनेशनल
China Radio International
चीन की खबरें
विश्व समाचार
  आर्थिक समाचार
  संस्कृति
  विज्ञान व तकनीक
  खेल
  समाज

कारोबार-व्यापार

खेल और खिलाडी

चीन की अल्पसंख्यक जाति

विज्ञान, शिक्षा व स्वास्थ्य

सांस्कृतिक जीवन
(GMT+08:00) 2006-06-23 10:24:10    
भेड़िए भागकर मकान पहुंचे

cri
कमरे में चरखों की घर्र घर्र फिर से गूंजने लगी, लेकिन यह आवाज एक मधुर आवाज थी, मानो कोई संतोष से हलके हलके हंस रहा हो।

उधर तीनों भेड़िए भागकर मकान के पिछवाड़े की ओर जा पहुंचे। उन का ख्याल था कि वे पीछे वाला दरवाजा तोड़कर अन्दर घुस जाएंगे और सूत कातने वाली लड़कियों को हड़प लेंगे। लेकिन यह दरवाजा भी मजबूती से बन्द था। उस दरवाजे में इतनी सी दरार भी न थी कि अगर वे भेड़िए बारीक , नुकीली सुइयों का रूप धारण कर लेते, तो भी उस के अन्दर घुस पाते। इसलिए वे बाहर आंगन में ही घूमते और चीखते चिल्लाते रहे।

तभी पांचवें भेड़िए की नजर आंगन में रखे एक पीपे पर पड़ी, जिस का ढक्कन थोड़ा सा ऊपर उठा हुआ था और उस में से एक कान, जिस पर कर्णफूल लगा हुआ था, बाहर की ओर निकला हुआ था।

वह उस कान को काटकर वहां से भाग खड़ा हुआ। दरअसल वह कान सब से बड़ी बहिन का था, जिस ने हड़बड़ाहट में अपने को उस पीपे में बिना यह जाने छिपा लिया था कि उस का एक कान बाहर निकला हुआ है। उस का वही कान भेड़िया काटकर ले गया और वह बिलख बिलखकर रोने लगी।

आंगन में चक्कर काटते काटते छठे भेड़िए ने देखा कि एक पेड़ की हाल से किसी व्यक्ति का नंगा पांव लटका हुआ है। वह फौरन उछलकर उस पर टूट पड़ा और अंगूठा काटकर वहां से नौ दो ग्यारह हुआ।

वास्तव में वह अंगूठा दूसरी बहिन का था, जो उस पेड़ पर छिपी बैठी थी और डर के मारे अपना संतुलन करने में असमर्थ थी। इसलिए उस का एक पांव अधर में लटका हुआ था। सौभाग्यवश, उस ने अपना वह पांव जल्दी से ऊपर कर लिया, जिस से भेड़िया केवल उस का अंगूठा ही काटकर ले जा सका।

सातवें भेड़िए को आंगन में चक्कर लगाते लगाते झाडियों के बीच किसी की एक टांग नजर आई। वह तुरन्त उस पर टूट पड़ा और टांग का एक हिस्सा काटकर भाग गया।

वह तीसरी बहिन थी, जिस ने अपना सिर तो झाड़ी में छिपा रखा था, लेकिन शुतुरमुर्ग की तरह शरीर के बाकी अंग छिपाना भूल गई थी। उस का पैर खून से लथपथ हो गया और उसे ठीक होने में एक वर्ष से ज्यादा समय लग गया। तब कहीं जाकर वह कुरसी पर बैठने में पुनः समर्थ हो सकी।

चूंकि तीन बड़ी बहिनें बहुत डरपोक और स्वार्थी थीं, इसलिए उन्हें अपने इन दोषों की भारी कीमत चुकानी पड़ी।

और चूंकि चौथी, पांचवीं, छठी तथा सातवीं बहिनों ने मिलकर विपत्ति का सामना किया, इसलिए वे भेड़ियों को मारने में सफल रहीं। इतना ही नहीं, उन में से प्रत्येक को अपने दहेज के लिए भेड़िए का एक एक बेहतरीन फर भी मिला।