दोस्तो,अफ्रीकी देश तानजानिय में तानजानिया और चीन की संयुक्त पूंजी से संचालित मैत्री टेक्सटाइल कंपनी लिमिडेट बहुत मशहूर है। पिछली सदी के 60 वाले दशक में चीन सरकार के उदार ब्याज वाले कर्ज की सहायता से तानजानिया में मैत्री नामक एक टेक्सटाइल मिल बनाई गई थी।वर्तमान समय की मैत्री टेक्सटाइल कंपनी लिमिडेट इस के आधार पर कायम है,जिसे आज के दौर में चीन-तानजानिया सहयोग का आदर्श माना गया है।
हमारे संवाददाता को अभी हाल ही में इस कंपनी का दौरा करने का मौका मिला।छपाई-रंगाई वर्कशाँप में मशीनों की गर्जने जैसी आवाज़ी और काम में आने वाले तालाब में से निकलती जलीय धुएं के सामने यह कल्पना नहीं की जा सकी कि कई साल पहले यह मिल दिवाले की कगार पर पड़ी।तत्काल की स्थिति की याद ताजा करते हुए कंपनी के उपमहानिदेश यू खाई-मिंग ने कहाः
"1995 में यह मिल भारी घाटा झेलते हुए बन्द होने की हालत में थी।वर्कशाँप में मशीनों की आवाज नहीं रह गई और अधिकांश मजदूरों को घरों में खाली हाथों बैठे समय काटना पड़ा।हिसाब-लेखा से जाहिर था कि इस मिल का घाटा 1 करोड़ से अधिक अमरीकी डालर तक जा पहुंचा।ऐसे में मजदूरों को वेतन नहीं मिल पाए और चुंगी-भुगतान में मिल बिल्कुल असर्मथ हो गई।वास्वत में वह दिवालिया होने के बराबर हो गई और तानजानिया सरकार के कंधे पर एक भारी वित्तीय बोझ सी बन गई"
यह मैत्री टेक्सटाइल मिल 1966 में चीन सरकार द्वारा तानजानिया के संस्थापक राष्ट्रपति न्येरेरे के अनुरोध पर बवनाई गई थी।1968 में उत्पादन शुरू होने के बाद की एक लम्बी अवधि में उस की स्थिति बहुत संतोषजनक रही।80 वाले दशक में तानजानिया में भी बाजार अर्थव्यवस्था लागू होने लगी,जिस से पुरानी प्रबंधन-व्यवस्था और पुरानी पड़ गई मशीनें युग के कदमों से पीछे छूट गई और बाजार में उस के बनाए उत्पादों का कोटा भी कम होता चला।
1995 में तानजानिया सरकार के अनुरोध पर चीन सरकार ने इस मिल में सुधार के लिए एक विशेषज्ञ-दल तानजानिया भेजने का निर्णय लिया।विशेषज्ञों की सलाह के अनुसार इस मिल को दोनों देशों की संयुक्त पूंजी वाली कंपनी में बदलने का फैसला किया गया।दूसरी अक्तूबर 1996 को तानजानिया-चीन मैत्री टेक्सटाइल कंपनी लिमिडेट की विधिवत् स्थापना हुई और अगले साल पहली अप्रैल को उस का कारोबार शुरू हुआ ।
कंपनी के जनरल इंजीनियर याओ चू-आन के अनुसार कंपनी की स्थापना के बाद चीन सरकार द्वारा प्रदत्त उदार ब्याज वाले ऋण ने इस मिल में नयी जान डाली।उन्हों ने कहाः
"चीन सरकार द्वारा ऋण की पहली किश्त में प्रदान की गई 10 करोड़ चीनी य्वान की राशि से यह मिल पुनर्जीवित हो उठी और दूसरी किश्त में मिले 13 करोड़ 50 लाख चीनी य्वान से उस में तकनीकी सुधार आया"
प्रबंधन की मजबूती,आय में वृद्धि,व्यय में कमी और तकनीकी सुधार के जरिए इस मिल में उत्पादन फिर से संतोषजनक हालत में आ गया।जल्द ही उस का घाटा मिट गया और फायदा होने लगा।इस कंपनी की स्थापना से प्रेरित होकर तानजानिया के सारे टेक्सटाइल उद्योग का पुनरूद्धान भी हुआ।श्री यू खाई-मिंग ने कहाः
"इस कंपनी से प्राप्त लाभ पूरा तानजानिया प्रभावित हुआ।मई 1998 में तानजानियाई राष्ट्रपति म्कापा ने मुझे और वहां स्थित चीनी राजदूत चांग हुंग-शी को उन के निवास में रात्रिभोज का लुत्फ उठाने का आमंत्रण दिया।यह हमारे लिए बड़ा गौरव और सम्मान है।तत्काल के तानजानियाई उद्योग व व्यापार मंत्री शिजा ने चीन-तानजानिया के सहयोग की बड़ी सराहना की और आशा व्यक्त की कि चीन सरकार तानजानिया में इस मिल जैसे कई नयी परियोजनाएं चलाएगी"
आंकड़ों के अनुसार पिछले 9 सालों में तानजानिया-चीन मैत्री टेक्सटाइल कंपनी लिमिडेट ने तानजानिया सरकार को 15 अरब से अधिक तानजानियाई मुद्रा का कर दे दिया है और करीब 2000 व्यक्तियों को रोजगार मुहैया कराया है तथा 10 हजार से ज्यादा लोगों का जीवन सुनिश्चित किया है।चीन के साथ सहयोग की चर्चा करते हुए इस कंपनी की छपाई-रंगाई वर्कशाँप के एक बुजुर्ग मजदूर ने भावविभोर होकर कहाः
"चीन सरकार ने इस मिल में बड़ी पूंजी लगाई है,जिस से तानजानिया में रोजगार के ज्यादा मौके तैयर किए गए है और इस से जाहिर है कि चीन सरकार तानजानिया के साथ अपनी दोस्ती को काफी महत्वपूर्ण मानती है।अब इस मिल में सभी मशीनों का नवीनीकरण हो गया है और मिल के परिसर का वातावरण भी बहुत सुधर गया है।मैं चीन सरकार और चीनी जनता का बड़ा आभारी हूं।यह मिल तानजानिया में चीन के पूंजी-निवेश का एक अच्छा उदाहरण है।हम ने चीनियों से बहुत कुछ सीख लिया है"
इस मिल या इस कंपनी को चीन सरकार द्वारा दी गई मदद से अफ्रीकी देशों के प्रति चीन सरकार की हमेशा की नीति अभिव्यक्त हुई है।श्री यू खाई-मिंग का कहना हैः
"हालांकि चीन सरकार के अफ्रीकी देशों की सहायता करने के तरीकों में कुछ परिवर्तन हुआ है,लेकिन सहायता का यह उद्देश्य नहीं बदला है कि अफ्रीकी देशों को स्थानीय उद्योग के विकास में मदद दी जाती है,ताकि उन की सरकारों से वित्तीय बोझ से मुक्त हो सके"
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