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(GMT+08:00) 2006-06-22 10:14:12    
तिब्बती पठार से आयी खुशीजनक खबरियां

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श्री चाम्पा फुंत्सोक तिब्बत स्वायत प्रदेश की जन सरकार के अध्यक्ष हैं । हाल में उन का कहना है कि कृषि व पशु पालन , पर्यटन और तिब्बती पद्धति वाले चिकित्सा व दवादारू जैसे पठारीय उत्पादनों के विकास पर तिब्बत पर्यावरण की कीमत हर्गिज नहीं चुकाएगा और न ही अधिक दूषित व्यवसाय का विकास करेगा । इधर सालों में तिब्बत ने चेरवाहों को स्थिर रूप से बसने देने और वृक्षरोपण के जरिये पठार के घास मैदानों व प्राकृतिक जगलों का अच्छी तरह संरक्षण किया । अब तिब्बत में आस्मान नीला और पानी स्वच्छ दिखाई देता है ।

संबंधित सामग्री से पता चला है कि पिछले 50 से अधिक सालों में तिब्बत की जीव जंतु विविधता कारगर रूप से संरक्षित हो गयी है । वर्तमान तिब्बत में नाना प्रकार के 70 से ज्यादा प्रकृति संरक्षित क्षेत्र उपलब्ध हैं ।

हम ने आप की सेवा में तिब्बत स्वायत प्रदेश के विकास के बारे में सुन्दर कार्यक्रम तैयार किये हैं । आप का हमारे कार्यक्रम ( आज का तिब्बत ) के सुनने पर स्वागत करते हैं । हमारा कार्यक्रम हर मंगलवार व शनिवार प्रस्तुत किया जाता है ।

यहां बता दें कि चीन के तिब्बत स्वायत्त प्रदेश आगामी पांच सालों में अपने पारिस्थितिकी संरक्षण में 38 अऱब 70 करोड़ य्वान की पूंजी लगाएगा।

यहां बता दे कि चीन के तिब्बत स्वायत प्रदेश के अध्यक्ष चाम्पा फुंत्सोक ने 12 मार्च को पेइचिंग में कहा कि बर्फिली पठार के स्वच्छ पानी व नीले आस्मान को उसी तरह संरक्षित किया जायेगा , जिस तरह अपनी आंखों की रक्षा की जाती है ।

श्री चाम्पा ने पेइचिंग में राष्ट्रीय जन प्रतिनिधि सभा के वार्षिक अधिवेशन में भाग ले रहे हैं । उन्हों ने कहा कि कृषि व पशु पालन , पर्यटन और तिब्बती पद्धति वाले चिकित्सा व दवादारू जैसे पठारीय उत्पादनों के विकास पर तिब्बत पर्यावरण की कीमत हर्गिज नहीं चुकाएगा और न ही अधिक दूषित व्यवसाय का विकास करेगा । इधर सालों में तिब्बत ने चेरवाहों को स्थिर रूप से बसने देने और वृक्षरोपण के जरिये पठार के घास मैदानों व प्राकृतिक जगलों का अच्छी तरह संरक्षण किया । अब तिब्बत में आस्मान नीला और पानी स्वच्छ दिखाई देता है ।

संबंधित सामग्री से पता चला है कि पिछले 50 से अधिक सालों में तिब्बत की जीव जंतु विविधता कारगर रूप से संरक्षित हो गयी है । वर्तमान तिब्बत में नाना प्रकार के 70 से ज्यादा प्रकृति संरक्षित क्षेत्र उपलब्ध हैं ।

हम ने आप की सेवा में तिब्बत स्वायत प्रदेश के विकास के बारे में सुन्दर कार्यक्रम तैयार किये हैं । आप का हमारे कार्यक्रम ( आज का तिब्बत ) के सुनने पर स्वागत करते हैं । हमारा कार्यक्रम हर मंगलवार व शनिवार प्रस्तुत किया जाता है ।

यहां बता दें कि हाल ही में तिब्बती लामा कसी खछे छिचीमू का कहना है कि वे छिनहाई तिब्बत रेलमार्ग के लिये शुभकामना करते हैं ।उन का कहना है कि यह रेल मार्ग तिब्बत के लिये एक खुशहाली मार्ग है । हमारे संवाददाता के अनुरोध पर लामा कसी खछे छिचीमू ने हमें तिब्बत स्वायत प्रदेश की राजधानी लहासा की कहानी सुनायी ।यह कहानी बहुत लोकप्रिय है ।

यहां बता दे कि चीन के तिब्बत स्वायत प्रदेश के अध्यक्ष चाम्पा फुंत्सोक ने 12 मार्च को पेइचिंग में कहा कि बर्फिली पठार के स्वच्छ पानी व नीले आस्मान को उसी तरह संरक्षित किया जायेगा , जिस तरह अपनी आंखों की रक्षा की जाती है ।

श्री चाम्पा ने पेइचिंग में राष्ट्रीय जन प्रतिनिधि सभा के वार्षिक अधिवेशन में भाग ले रहे हैं । उन्हों ने कहा कि कृषि व पशु पालन , पर्यटन और तिब्बती पद्धति वाले चिकित्सा व दवादारू जैसे पठारीय उत्पादनों के विकास पर तिब्बत पर्यावरण की कीमत हर्गिज नहीं चुकाएगा और न ही अधिक दूषित व्यवसाय का विकास करेगा । इधर सालों में तिब्बत ने चेरवाहों को स्थिर रूप से बसने देने और वृक्षरोपण के जरिये पठार के घास मैदानों व प्राकृतिक जगलों का अच्छी तरह संरक्षण किया । अब तिब्बत में आस्मान नीला और पानी स्वच्छ दिखाई देता है ।

संबंधित सामग्री से पता चला है कि पिछले 50 से अधिक सालों में तिब्बत की जीव जंतु विविधता कारगर रूप से संरक्षित हो गयी है । वर्तमान तिब्बत में नाना प्रकार के 70 से ज्यादा प्रकृति संरक्षित क्षेत्र उपलब्ध हैं ।

यहां बता दें कि हाल ही में हमारी संवाददाता को पेइचिग में तिब्बती लामा कसी खछे छिचीमू के साथ बातचीत करने का मौका मिला । तिब्बती लामा कसी खछे छिचीमू हमारे कार्यक्रम के जरिये आप को शुभ कामनाएं देना चाहते हैं ।तिब्बती लामा कसी खछे छिचीमू का कहना है कि वे दुनिया के 20 से अधिक देशों की यात्रा कर चूके हैं । देश विदेश केबहुत से लोगों का ध्यान चीन के छिनहाई तिब्बत रेल मार्ग के संचालन पर केन्द्रीत है । तिब्बती लामा कसी खछे छिचीमू के अनुसार इस वर्ष की पहली जूलाई को देश विदेश के बहुत यात्री रेल गाड़ी पर सवार हो कर तिब्बत स्वायत प्रदेश की यात्रा करेंगे ।अब तैयारिचां पूरी हुई हैं । देश विदेश के यात्री पेइचिग समेत चीन के 5 शहरों से रेल गाड़ी पर सवार हो कर तिब्बत की यात्रा करेंगे । यहां बता दें कि केश विदेश के यात्री चीन के पेइचिग के अलावा चीन के शानहाई .खवानचो . छनतू और सिलीन शहरों से तिब्बत स्वायत प्रदेश की राजधानी लहासा तक जा सकेंगे । हमारे संवाददाता के अनुरोध पर तिब्बती लामा कसी खछे छिचीमू आप के लिये लहासा की कहानी सुनायेंगे । यहां बतादें कि लहासा की कहानी का संबंध राजकुमारी विनछन से हुआ ।मित्रो क्याआप को याद है कि हम ने आप की सेवा में राजकुमारी विनछन की कहानी को हमारेनियमित कार्यक्रम (आज का तिब्बत) में शामिल किया गया है ।

तिब्बती लामा कसी खछे छिचीमू का कहना है कि तिब्बत में राजकुमारी विनछन की कहानी बहुत लोकप्रिय रही है । उन की कहानी 1300 वर्ष का पुराना है । कहानी इस प्रकार है कि 1300 वर्ष पहले तिब्बत के राजा सुचानकानपू की शादी थान राजवंश की कुमारी विनछन से हुई । बौद्ध धर्म के अनुयायी होने के नाते कुमारी विनछन विशेष रूप से भगवान बुद्ध की एक सुन्दर मूर्ति ले कर तिब्बत गयी । सुना है कि रास्ते में कम से कम एक हजार दिनों से ज्यादा समय लगे । जो भी हो राजकुमारी विनछन ने रास्ते में तरह तरह की कठिनायियों को दूर कर भगवान बुद्ध की सुन्दर मूर्ति को तिब्बत में सही सलामत से पहुंचाया । तिब्बती राजा सुचानकानपू ने भी भगवान बुद्ध की इस सुन्दर मूर्ति को बहुत पसंद किया । तिब्बती राजा सुचानकानपू और राजकुमारी विनछन की शादी तिब्बत में धूमधाम से आयोजित की गयी । शादी के बाद राजकुमारी विनछन के अनुरोध पर तिब्बती राजा सुचानकानपू ने लहासा में भगवान बुद्ध की इस सुन्दर मूर्ति के लिये शानदार भवन का निर्माण कराने का आदेश दिया । राजकुमारी विनछन ने खुद ही इस भवन के निर्माण में भाग लिया । कोशिशों के बाद भवन का निर्माण पूरा हुआ । इस भवन का नाम है जूखान मठ । चीनी भाषा में इस भवन का नाम है ताजोशी । पता चला है कि जूखान मठ का निर्माण पूरा करने के बाद भगवान बुद्ध की इसी सुन्दर मूर्ति को जूखान मठ में रखने दिया गया । तब से अब तक न जाने कितने लोगों ने भगवान बुद्ध की इसी सुन्दर मूर्ति का दर्शन किया । सुनना है कि भगवान बुद्ध की इसी सुन्दर मूर्ति का दर्शन करने के बाद आम लोगों को शांति और खुशी प्राप्त होगी ।राजकुमारी विनछन की कोशिशों से भगवान बुद्ध की इस सुन्दर मूर्ति को तिब्बत में रखने दिया गया । इस बात की चर्चा में हमारे तिब्बतीबंधुओं का कहना है कि हम राजकुमारी विनछन के आभारी हैं । आम लोगों का कहना है कि राजकुमारी विनछन देवी हैं ।यहां बता दें कि आज राजकुमारी विनछन की मुर्ति और तिब्बती राजा सुचानकानपू की मुर्ति दोनों ही जूखान मठ में सुरक्षित हैं ।यहां बता दें कि तिब्बत में इस मठ की स्थापना के बाद लहासा कस्बादेखने के साथ साथ भी कायम किया गया यानी स्थानीय लोगों ने इस मठ के आस पास बसने लगे । धीगे धीरे लहासा कस्बा कायम हुआ । पर तब लहासा कस्बा बहुत छोटा था । सुना है कि वर्ष 1951 में लहासा का क्षेत्रफल कोई 3 वर्ग किलोमिटर मात्र था और उस की आबादी 30 हजार थी । वर्ष 1951 में तिब्बत की शांतिपूर्ण

मुक्ति हुई तभी से लहासा को विकास की गति मिली । अब लहासा एक आधुनिक शहर का रूपधारण ले रहा है ।लहासा की आबादी एक लाख सेअधिक है और लहासा का क्षेत्रफल कोई 30 हजार वर्ग किलोमिटर से अधिक है ।संक्षेप में कहें तो दस गुना अधिक हो गया है । अब विश्व की छत पर स्थित लहासा में चार तांद लग गये हैं । कारण है कि गत वर्ष लहासा में रेलवे स्टेशन का निर्माण पूरा हुआ । यहां बता दें कि इस वर्ष तिब्बत की शांतिपूर्ण मुक्ति की 55वीं वर्षगांठ है । तिब्बत की शांतिपूर्ण मुक्ति की 55वीं वर्षगांठ की खुशी मनाने के साथ साथ तिब्बत स्वायत प्रदेश की राजधानी लहासा में देश विदेश के मित्रों का स्वागत कर रहा है । हमारे संवाददाता के साथ बातचीत के अंत में तिब्बती लामा कसी खछे ने छिचीमू छिनहाई तिब्बत रेलमार्ग के लिये शुभकामना देने पर पूजा पाठ किया । उन की आवाज़ में खुशियां भरी है ।पूजा पाठ में तिब्बती लामा कसी खछे की भारी आवाज़ हमारे नियमित कार्यक्रम ( आज का तिब्बत ) के जरिये देश विदेश में प्रसारित की जा रही है । आज तिब्बती लामा कसी खछे ने हमें बहुत कुछ बतायें ,हम उन के आभारी हैं । अंत में हम आप से पूछना चाहते हैं कि तिब्बत स्वायत प्रदेश की राजदानी लहासा का इतिहास कितना पुराना है । अगर आप हमारी कहानी सुन कर इससवाल का जवाब जानते हैं तो हमें बतायेंगे । हम आप के पत्रों का इंतजार कर रहे हैं ।

हम आप को बताना चाहते हैं कि चीनी राष्ट्रीय जन प्रतिनिधि सभा की स्थायी कमेटी के उपाध्यक्ष श्री रेदी ने 6 मार्च को पेइचिंग में कहा कि चीन सरकार और दलाई लामा के बीच संपर्क का रास्ता सुगम है , उन्हों ने जोर देकर कहा कि चीन सरकारऔर दलाई लामा के बीच का संबंध देश और नागरिक का संबंध हैं ।

श्री रेदी ने उसी दिन पत्रकारों के साथ बातचीत के दौरान कहा , दलाई लामा के प्रति केंद्र की नीति सतत है, जिसमें कोई परिवर्तन नहीं आया। अगर दलाई लामा स्वाधीनता का रूख छोड़कर मातृभूमि के एकीकरण की रक्षा करें , तो उन के प्रति केंद्र की नीति नहीं बदलेगी । केंद्र और दलाई लामा के बीच प्रत्यक्ष संपर्क का रास्ता सुगम है । दलाई लामा और चीन के बीच का संबंध चीन देश का अन्दरूनी मामला है । दलाई लामा चीन का नागरिक हैं , इसलिए ये संबंध चीन और उस के एक नागरिक के बीच के संबंध हैं ।

श्री रेदी ने कहा कि दलाई लामा के सवाल पर चीन की केन्द्रीय सरकार की नीति हमेशा यह रही है कि उन्हें स्पष्ट शब्दों में खुले तौर पर तिब्बत और थाइवान को चीन देश का एक अभिन्न अंग मानने का ऐलान करना चाहिए , साथ ही उन्हें मौखिक और व्यवहारिक कार्यवाही से तिब्बत की स्वाधीनता का रूख त्याग देना चाहिए । ऐसी स्थिति में केन्द्रीय सरकार उन के साथ उन के व्यक्तिगत भविष्य पर संपर्क व सलाह मशविरा कर सकती है ।