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(GMT+08:00) 2006-06-20 15:40:30    
छिंगहाई तिब्बत रेल मार्ग पर अगले हफ्ते से यातायात शुरू होगी

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विश्व की सब से ऊंची समुद्र सतह पर निर्मित रेल मार्ग यानी छिंगहाई तिब्बत रेल लाइन पर अगले हफ्ते से यातायात शुरू होगी, जिस से चीन के तिब्बत स्वायत्त प्रदेश के बाह्य दुनिया से रेल से नहीं जुड़ने का इतिहास सदा के लिए समाप्त हुआ है ।

छिंगहाई तिब्बत रेल मार्ग पश्चिमी चीन में छिंगहाई प्रांत की राजधानी सिनिन को तिब्बत स्वायत्त प्रदेश की राजधानी ल्हासा से जोड़ने वाली रेल लाइन है , जिस की कुल लम्बाई 1956 किलोमीटर है और जो औसतन समुद्र सतह से 4500 मीटर ऊंचे पठार पर स्थित है । छिंगहाई तिब्बत पठार पर वायु कम है, बारहों माह बर्फ बिछती है और मौसम जटिल है । इस दुर्गम पठार पर रेल का निर्माण करना कोई आसान काम नहीं है । कुछ विदेशी विशेषज्ञ भी कहते थे कि इस ऊंचे पठार पर रेल का निर्माण असंभव है । लेकिन चीनी लोगों में यहां रेल मार्ग बिछाने का शताब्दी का पुराना सपना संजोए हुआ है ।

चीनी उप रेल मंत्री श्री सुन युङफु ने कहा कि विश्व की छत कहलाने वाले पठार पर रेल के निर्माण से दुर्गम सरहद छिंगहाई व तिब्बत के स्थानीय आर्थिक विकास को भारी बढ़ावा मिलेगा । खास कर तिब्बत में इस से पहले कोई रेल मार्ग भी नहीं था । श्री सुन ने कहाः

इस रेल मार्ग के निर्माण से तिब्बत के आर्थिक सामाजिक विकास के लिए आवश्यक सामग्री , सूचना और आवाजाही को सुविधा मिलेगी और बहुत से नवोदित उद्योगों के विकास को प्रेरणा भी मिलेगी । विशेष कर तिब्बत में समृद्ध पर्यटन संसाधन उपलब्ध है , बड़ी संख्या में पर्यटक तिब्बत का दौरा करना चाहते हैं , रेल मार्ग के निर्माण के बाद उन की तंमन्ना पूरी होगी ।

गत शताब्दी के पचास वाले दशक में चीन ने छिंगहाई तिब्बत रेल का निर्माण शुरू किया था , लेकिन आर्थिक व तकनीकी कठिनाइयों के कारण रेल का निर्माण छिंगहाई के कोरमू तक पूरा होने के बाद बन्द हुआ । इधर के सालों में चीन की राष्ट्रीय शक्ति तथा वैज्ञान तकनीत की प्रगति के फलस्वरूप छिंगहाई तिब्बत रेल का निर्माण पूरा करने की संभावना हुई । इस के निर्माण में चीन सरकार ने 33 अरब य्वान की पूंजी लगायी और निर्माण वर्ष 2001 से शुरू हुआ ।

छिंगहाई तिब्बत रेल निर्माण के लिए तीन प्रमुख कठिनाइयों यानी सदियों से जमी बर्फीली जमीन , पर्यावरण संरक्षण तथा पठार पर औक्सिजन की कमी की समस्याओं को हल करना अवश्यक है । अथक प्रयासों से चीन ने इन तीनों समस्याओं को हल करने में सफलता प्राप्त की। श्री चीनी रेल निर्माण कापरेशन के वरिष्ठ इंजीनियर लिन लान शङ ने कहाः

बर्फ से जमी भूमि की समस्या को दूर करने के लिए रेल मार्ग के गहरे आधार पर मोटी पत्थर परत डाली गई , फिर उस के ऊपर रेल मार्ग की नींव बिछायी गई है ।

पर्यावरण संरक्षण के लिए रेल लाइन के कमजोर पारिस्थितिकी वाले क्षेत्रों में वनस्पति के पुनःरोपन तथा जंगली जानवरों के गुजरने के लिए सुरंग मार्ग बनाने का तरीका अपनाया गया ,इस काम में एक अरब बीस करोड़ य्वान की राशि लगायी गई है ।

औक्सिजन की कमी को दूर करने के लिए रेल लाइन के विभिन्न निर्माण स्थलों में अनेक अस्पताल कायम हुए और निर्माताओं व पर्यटकों की जीवन सुरक्षा की गारंटी की जाती है ।

वर्षों के प्रयासों से छिंगहाई तिब्बत रेल का निर्माण अब पूरा हो गया है , जिस से तिब्बत में रेल नहीं होने का इतिहास खत्म हुआ और चीन को एशिया यूरोप रेल मार्ग के साथ पूरी तरह जोड़ने का सुगम रास्ता कायम हो गया है और तिब्बत के आर्थिक विकास व जन जीवन को असाधारण सुविधाएं मिलेगी ।

रेल मार्ग के निर्माण से चीनी व विदेशी पर्यटकों के तिब्बत जाने की सुविधा बढ़ेगी और खर्च कम होगा । हांगकांग की चीनी पर्यटन एजेंसी की उप मेनेजर सुश्री ल्यांग ने कहाः

रेल से तिब्बत जाने पर खर्च कम होगा , वह विमान के किराये से दो हजार य्वान सस्ता होगा । पठार पर लोगों पर औक्सिजन के अभाव का असर कम होगा , पर्यटक धीरे धीरे पठारी स्थिति के आदि हो सकेंगे तथा सिनिन से ल्हास तक रास्ते में बेशुमार प्राकृतिक सौंदर्य देखने को भी मिलेंगे ।

सूत्रों के अनुसार छिंगहाई तिब्बत रेल मार्ग पर यातायात पहली जुलाई से शुरू होगी । इस से हर साल नौ लाख यात्री तिब्बत जा सकेंगे ।