• हिन्दी सेवा• चाइना रेडियो इंटरनेशनल
China Radio International
चीन की खबरें
विश्व समाचार
  आर्थिक समाचार
  संस्कृति
  विज्ञान व तकनीक
  खेल
  समाज

कारोबार-व्यापार

खेल और खिलाडी

चीन की अल्पसंख्यक जाति

विज्ञान, शिक्षा व स्वास्थ्य

सांस्कृतिक जीवन
(GMT+08:00) 2006-06-09 14:38:33    
वेवूर चिकित्सा विशेषज्ञ मेमती.हासिमू

cri

आप जानते होंगे कि वेवूर जाति का चिकित्सा शास्त्र वेवूर जाति प्रधान सिन्चांग वेवूर स्वायत्त प्रदेश की विभिन्न अल्पसंख्यक जातियों द्वारा समान रूप से विकसित जातीय चिकित्सा पद्धति है , जिस का दो हजार वर्ष पुराना इतिहास रहा । वेवूर चिकित्सा पद्धति के निरंतर विकास के परिणामस्वरूप सिन्चांग में बड़ी संख्या में असाधारण विशेषज्ञ प्रकाश में आए हैं । उन के अथक प्रयासों से चीन की वेवूर चिकित्सा पद्धति विश्व में भी लोकप्रिय हो गया । इन विशेषज्ञों में श्री मेमेती.हासिमु मशहूर है , जिन की कहानी मैं आज सुनाऊंगी ।

जब मेरी श्री मेमेती.हासिमु से मुलाकात हो रही है , उस समय वे एक वेवूर महिला मरीज का निदान कर रहे हैं । उन्हों ने बड़ी बारीकी से रोगी की हालत पूछी और चेहरे का रंग व नाड़ी देखने के बाद नुस्खा लिखा ।

श्री मेमेती.हासिमु का जन्म वर्ष 1951 में सिन्चांग की युथ्यान काऊंटी के एक चिकित्सक खानदान में हुआ , बालावस्था में ही उन के दिल में वेवूर चिकित्सा पद्धति पर कौतुहल का अंकुर फुटा। उन्हों ने हमें बतायाः

मेरा चाचा सुप्रसिद्ध स्थानीय वेवूर हकीम था , प्राइमरी स्कूल में पढ़ने के समय रोज क्लास के बाद मैं अवश्य चाचा की क्लीनिक जाता था । उन्हें मरीजों का इलाज करते देखते हुए मुझे बड़ी जिज्ञासा हुई । मैं जड़ी बूटियों को टुकड़े बनाने में हाथ बंटाता था । उस समय तो वेवूर चिकित्सा पद्धति के बारे में मुझे आरंभिक जानकारी हुई थी ।

चाचा से प्रभावित हो कर श्री मेमेती .हासिमु ने बड़े होने पर चिकित्सक बनने का निश्चय किया । हाई स्कूल के बाद वे एक देहाती चिकित्सक के रूप में बीमारियों का इलाज करने का कैरियर शुरू किया । वे दिन में चिकित्सा का काम करते थे और रात को चिकित्सा शास्त्र के अध्ययन में लगे रहते थे । अपनी प्रतिभा व अथक कोशिशों के फलस्वरूप वे अल्पसमय में ही मशहूर स्थानीय डाक्टर बन गए ।

वर्ष 1976 में श्री मेमेती को सिन्चांग के एक मशहूर वेवूर अस्पताल में नौकरी मिली । इस मौके को वे बहुत मूल्यवान समझते थे । अपने सीखे चिकित्सा ज्ञान का पूरी तरह व्यवहारिक काम में प्रयोग करते रहे । अस्पताल में उन्हों ने दो बार वेवूर दवा बनाने के तरीकों में सुधार लाया और आधुनिक उपायों से विभिन्न किस्मों की वेवूर औषधियां बनाने के तरीकों का सृजन किया , जिस से वेवूर दवा बनाने की पिछड़ी स्थिति बदल हो गयी ।

पिछले 35 सालों में श्री मेमेती .हासिमु ने सक्रिय रूप से रोगों के उपचार तथा शिक्षा देने के काम में भाग लिया , उन्हों ने विभिन्न विषयों पर वेवूर चिकित्सा अनुसंधान संबंधी लेख लिए और कुछ लेख अन्तरराष्ट्रीय मेडिकल पत्रपत्रिकाओं में भी प्रकाशित हुए । उन्हों ने वेवूर चिकित्सा पद्धति को परम्परागत चीनी चिकित्सा पद्धति तथा यूरोपीय चिकित्सा पद्धति के साथ जोड़ कर इलाज के लिए कठिन बीमारियों के उपचार की खोज की और वेवूर देवाओं से उच्च रक्त चाप और मधुमेह जैसे बीमारियों के इलाज में उल्लेखनीय उपलब्धियां प्राप्त की हैं ।

श्री मेमेती .हासिमु अपने ज्ञान व अनुभवों को दूसरों को बताने के लिए कभी कंजूस नहीं बने , उन्हों ने बड़ी संख्या में युवा वेवूर चिकित्सकों को प्रशिक्षित किया । श्री अब्दुलर्रहमान उन के श्रेष्ठ शिष्यों में से एक है , उस के दिल में श्री मेमेती एक श्रेष्ठ डाक्टर होने के साथ साथ एक श्रेष्ठ शिक्षक भी हैं । उन्हों ने कहाः

विश्वविद्यालय में मैं ने पाश्चात्य चिकित्सा पढ़ी थी , वेवूर चिकित्सा मेरे लिए अपरिचित काम था , लेकिन अध्यापक मेमेती हासिमु मेरा प्रशिक्षण करते थे , उन्हों ने बड़े धैर्य के साथ मुझे वेवूर चिकित्सा शास्त्र के मूल सिद्धांत और चिकित्सा की व्यवहारिक क्षमता सिखाये और मुझे समझाने के लिए उन्हों ने श्रृंखलाबद्ध रूप में बारीकी से मिसालें बतायी । एक साल के अध्ययन से मुझे वेवूर चिकित्सा शास्त्र में बड़ी रूचि पैदा हुई ।

अब श्री मेमेती .हासिमु वेवूर चिकित्सा क्षेत्र के विशेषज्ञ बन गए हैं , उन के उपचार से बेशुमार मरीज सेहतमंद हो चुके हैं, वे श्री मेमेती के बहुत कृतज्ञ हैं । वेवूर अस्पताल में इलाज करवाले वाले एक मरीज अजेजी ने आभार प्रकट करते हुए कहाः

आपरेशन के बाद मैं सेहतमंद होने के लिए वेवूर अस्पताल में रह रहा हूं । अस्पताल ने मुझे बड़ी अच्छी सुविधा प्रदान की है और मुझे भी वेवूर चिकित्सा पद्धति पर पक्का विश्वास है । यहां के डाक्टरों और नर्सों , खास कर डाक्टर मेमेती ने मेरी बेहतर देखभाल की है , मेमेती का उपचार उपाये बड़ा अद्भुत प्रभावकारी है । मुझे उन पर पक्का विश्वास है ।

वर्ष 1991 में कजाखस्तान के राष्ट्रपति नाजल्बायव पेइचिंग की यात्रा समाप्त कर सिन्चांग की राजधानी उरूमुची आये , उस समय वे बीमारी से पीड़ित थे , उन्हों ने जब वेवूर चिकित्सा पद्धति के बारे में सुना , तो उन्हें बड़ी जिज्ञासा हुई । वे वेवूर चिकित्सा से अपनी बीमारी का इलाज कराना चाहते थे । इस का कार्यभार श्री मेमेती .हासिमु को सौपा गया । उन्हों ने नाजाल्बायव की नाड़ी नापी और बीमारी की हालत देखी और पूछी , इसी के आधार पर उन का उपचार किया । श्री मेमेती ने इस की चर्चा में बड़ी खुशी के साथ कहाः

मैं ने टीवी पर अकसर राष्ट्रपति नाजाल्बायव की तस्वीर देखी है , उस बार में मुझे उन की बीमारी का इलाज करने का काम सौंपा गया , मैं अत्यन्त प्रभावित हुआ और गौरव भी महशूस हुआ । मैं वेवूर चिकित्सा की परम्परागत पद्धति से उन की बीमारी की जांच की और उपचार भी किया , मैं ने उन्हें वेवूर चिकित्सा से अवगत कराया और समझाया । उन्हों ने वेवूर चिकित्सा मान ली , उन के जरिए वेवूर चिकित्सा विदेशों में परिचित हो सकती है ।

श्री मेमेती .हासिमु द्वारा कजाखस्तानी राष्ट्रपति की बीमारी का इलाज किए जाने की खबर देखते ही देखते विश्व में फैल गयी , और ज्यादा विदेशी लोगों को वेवूर चिकित्सा में गहरी रूचि पैदा हुई । श्री मेमेती समझते हैं कि यह वेवूर चिकित्सा को विदेशों में पहुंचाने का अच्छा मौका है । इसलिए वे अंग्रेजी और ऊर्दू भाषा सीखने में संलग्न हुए, वे चाहते हैं कि इन विदेशी भाषाओं से वेवूर चिकित्सा को विदेशों में परिचित किया जाए। उन्हों ने कहाः

मेरा एक ही मकसद है कि सिन्चांग की वेवूर चिकित्सा पद्धति को और अच्छी तरह विरासत में लिया जाए और व्यापत रूप से विकसित किया जाए । ताकि आधुनिक वैज्ञानिक तरीके से उसे सिन्चांग के बाहर विश्व में पहुंचाया जाए और बीमारी के इलाज में कारगर रूप से इस्तेमाल किया जाए ।

इधर के सालों में श्री मेमेती . हासिमु ने एशिया , यूरोप , उत्तरी अमरीका तथा अफ्रीका के अनेक देशों का दौरा किया और वहां मेडिकल आदान प्रदान गतिविधियों में भाग लिया और वेवूर चिकित्सा पद्धति का प्रचार प्रसार किया ।

उन की 46 वर्ष की आयु में मेमेती.हासिमु को पाकिस्तान स्थित नाइगेरियाई राजदूत की बीमारी का इलाज करने के लिए आमंत्रित किया गया था , उन के सफल उपचार से सेहतमंद हुए नाइगेरियाई राजदूत ने श्री मेमेती को नाइगेरिया में बस कर अस्पताल खोलने का निमंत्रण दिया , लेकिन मेमेती ने इसे स्वीकार नहीं किया । उन का कहना है कि लोगों ने मुझ से पूछा कि मैं क्यों विदेश में अपने कैरियर का विकास करने नहीं जाऊंगी , मैं समझता हूं कि मेरी जड़ सिन्चांग में है , सिन्चांग ने मुझे प्रशिक्षित किया है , मुझे यहां योगदान करने का फर्ज है । मैं अपनी जन्म भूमि में वेवूर चिकित्सा कार्य के विकास को जीवन शक्ति अर्पित करूंगा ।

अब सिन्चांग की वेवूर चिकित्सा पद्धति सिन्चांग और चीन देश से निकल कर दूसरे देशों में भी परिचित और लोकप्रिय हो गयी है , लेकिन मेमेती हासिमु इस सफलता पर पूरी तरह संतुष्ट नहीं हैं , वे अपने प्रिय वेवूर चिकित्सा के विकास के लिए गहन अध्ययन कर रहे हैं और आशा करते हैं कि एक न एक दिन वेवूर चिकित्सा पद्धति विश्व के सभी लोगों की सेवा कर सकेगी ।