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(GMT+08:00) 2006-06-02 09:36:08    
सिन्चांग में प्रतिरोपित हृद्य से तीन साल से जीवित किसान

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सिन्चांग वेवूर स्वायत्त प्रदेश के उतरी भाग में स्थित अल्थाई क्षेत्र के एक दूर दराज गांव में रहने वाले किसान ली छिंग रन को 39 साल की उम्र में म्योकार्डिटिस नामक हार्ट अटैक की बीमारी पड़ी , यदि उस में हृद्य के प्रतिरोपन का आपरेशन नहीं किया जाता तो वह महज एक साल जीवित रह सकता । इस प्रकार के हृद्य प्रतिरोपन के आपरेशन का खर्च तीन लाख य्वान से ज्यादा था , जो किसान ली छिंग रन के लिए बिलकुल असहनीय था । उन की हालत के मुद्देनजर सिन्चांग के जन अस्पताल ने तीन लाख य्वान का खर्च माफ कर निशुल्क उन का आपरेशन किया , अस्पताल के निस्वार्थ प्रयास से श्री ली छिंग रन हृद्य के प्रतिरोपन के बाद अब तक तीन साल जीवित हो रहे , जो एक असाधारण सफलता मानी जाती है ।

दोस्तो , आज से तीन साल पहले , किसान ली छिंग रन सिन्चांग के अल्थाई क्षेत्र के खमुछी ग्रामीण इलाके में एकांउटिंग का काम करते थे , अल्थाई क्षेत्र में मौसम अत्यन्त ठंडी होती है । युवावस्था में भारी शारीरिक काम करने के कारण कड़ाके की सर्दियों में उन्हें हर साल चार पांच बार जुकाम हुआ करता था और बुखार और खांसी अकसर होती थी । उस समय वे जवान और तंदरूस्त थे , इसलिए वे अपनी इस बीमारी पर कभी खास ध्यान नहीं देते थे और दवा भी नहीं लेते थे।

लेकिन वर्ष 2002 के वसंत त्यौहार के दौरान श्री ली छिंग रन की तबियत अचानक खराब पड़ी । बुखार और खांसी के साथ उन की दोनों होंठों का रंग बिगड़ कर बैंगनी पड़ गया । उन की नाजुक स्थिति देख कर गांववासी समझते थे कि उन का अंतिम दिन आया है और लोगों ने उन की पत्नी को जल्द ही उन की मृत्य के उपरांत के कर्म की तैयारी करने की सलाह भी दी । लेकिन ली छिंग रन का इस तरह मर जाने का जी नहीं मानता था , वे अद्मय भावना का परिचय कर अल्थाई क्षेत्र से सात सौ किलोमीटर दूर प्रदेश की राजधानी उरूमुची शहर में इराज करवाने के लिए आए ।

उरूमुची में स्थित सिन्चांग वेवूर स्वायत्त प्रदेश के जन अस्पताल ने श्री ली छिंग रन की शारीरिक जांच करने के बाद यह निष्कर्ष निकाला कि वे म्योकार्डिटिस हृद्य रोग पीड़ित हैं , जिस के लिए तुरंत हृद्य का प्रतिरोपन करना चाहिए , वरना बीमारी आगे बिगड़ने से वे दूसरी बीमारियों से भी प्रभावित होंगे और हालत बहुत खतरनाक होगी ।

ली छिंग रन का आपरेशन करने के लिए उन की पत्नी ने घर का सभी जायदाद बेच कर तीस हजार य्वान जुटाया । गांववासियों ने उन की पत्नी वांग छङ ली को समझाया कि आप के घर का तमाम जायदाद बिक चुका है , यदि आपरेशन विफल भी हुआ , तो जायदाद और पति दोनों के लिए आप के हाथ खाली हो जाएंगे , और तो और आपरेशन के बाद हर महीने हजारों य्वान की दवा औषधि भी जरूरी होगी , उन का घर इस भारी बोझ झेल नहीं कर सकेगा । किन्तु ली छिंग रन की पत्नी अपने इरादे पर दृढ़ रही । उन्हों ने कहाः

ली छिंग रन मेरा पतिदेव हैं, मैं कैसे इस तरह उन्हें चल जाने दे सकती हूं , अब यह एकमात्र मौका है , मैं उसे हाथ से धोने नहीं दूंगी , आपरेशन के बाद घर की आर्थिक हालत दूभर होगी , फिर भी मैं उस के लिए पूरी तरह तैयार हो गयी हूं ।

पत्नी द्वारा जुटायी गई तीस हजार य्वान की राशि केवल आपरेशन के पूरे खर्च का दसवां भाग था । शेष धनराशि कहां मिले , इसी नाजुक स्थिति में सिन्चांग के जन अस्पताल ने ली छिंग रन के आपरेशन का पूरा खर्च खुद उठा कर मुफ्त रूप में उन के लिए आपरेशन करने का फैसला लिया और जल्दी ही प्रतिरोपन के जरूरी चार हृद्य ढूंढ लाए ।

चार मार्च 2003 को श्री ली छिंग रन आपरेशन टेबल पर सुलाया गया , जो सिन्चांग जन अस्पताल का प्रथम ऐसा रोगी बन गया , जिस का हृद्य प्रतिरोपित किया जा रहा था । सिन्चांग जन अस्पताल के सर्जनी विभाग के प्रधान डाक्टर चांग जुङकां ने इस की चर्चा करते हुए कहाः

ली छिंग रन को औषधि से सुन्न किए जाने के बाद हम ने उन के वक्षस्थल पर 15 सेंटीमीटर लम्बा अंग चीड़ किया , उस में से बीमार हृद्य निकाल कर जीवित नया हृद्य रोपित कर दिया ।आपरेशन के 50 मिनट बाद प्रतिरोपित हृद्य धड़कने लगा , पूरे आपरेशन में दो घंटों का समय लगा।

हृद्य के आपरेशन के बाद जब श्री ली छिंग रन की आंखें खुली , तो उन के सामने अस्पताल की ओर से उन के लिए विशेष तौर पर तैयार खाना रखा हुआ नजर आया । डाक्टरों ने उन्हें बताया कि उन की सेहत पूरा बेहतर होने जाने की अवधि में अस्पताल का पोषक आहार विशेषज्ञ उन्हें और उन की देखभाल में लगी उन की पत्नी को स्वादिष्ट खाना पकाएंगे । उन के आगे इराज के लिए अस्पताल ने एक विशेष चिकित्सा दल भी गठित किया , दो दो डाक्टर रोज 24 घंटों में उन की हालत का निरीक्षण करते थे और चार चार नर्सें 24 घंटों में उन की देखभाल करती थीं।

आपरेशन सफल हुआ , किन्तु आपरेशन के बाद रोगी को जिन्दगी भर अवश्यक दवा का सेवन करना चाहिए , इस किस्म की दवा महंगा भी होती है । यह बोझ ली छिंग रन परिवार के लिए भी सहा नहीं जा सकता।

जब अस्पात को पता चला कि ली छिंग रन दवा खाने के भारी खर्च पर अत्यन्त परेशान हुए , तो उस ने यह फैसला किया कि अस्पताल के सभी 2000 सदस्य हर महीने दो दो य्वान का चंदा करें, ताकि श्री ली छिंग रन की इस कठिनाई को हल किया जा सके ।

सिन्चांग जन अस्पताल के निस्वार्थ इराज और देखभाल के फलस्वरूप ली छिंग रन की सेहत बहुत जल्दी से ही अच्छी हो गयी और वे सामान्य मानव की भांति जीवन बिताने लगे ।

इस साल दस मार्च को हमारे संवाददाता की सिन्चांग जन अस्पताल के सर्जनी विभाग के हाल में श्री ली छिंग रन से मुलाकात हुई , वे बहुत स्वस्थ और बलिष्ठ नजर आए हैं । अब वे अस्पताल के एक विशेष सदस्य माने गए हैं ,उन्हें अस्पताल ने अपना एक सुरक्षा कर्मचारी के रूप में नियुक्त किया और उन की पत्नी की नौकरी व बच्चे की पढ़ाई की समस्या भी हल की गई , ताकि वे उरूमुची में रहते हुए आगे का इराज करवा सकें । उन्हों ने संवाददाता से कहाः

अब मेरा परिवार शहर वासी बन गए हैं , इस पर गांववासियों को भी बड़ा ईर्षा हुई , अस्पताल ने न केवल मेरे इस मरणासनन् लोग की जान बचायी , साथ ही मेरी बेटी को उरूमुची के एक स्कूल में मुफ्त दाखिला भी किया गया तथा मेरी पत्नी को अस्पताल में सफाई की नौकरी नियुक्त की गई । अस्पताल ने मेरे परिवार के सभी मामलों का अच्छा प्रावधान किया , मुझे केवल अच्छी तरह अपनी सेहत बनाए रखने की आवश्यकता है , मैं अस्पताल के नेताओं और सभी सदस्यों के अत्यन्त आभारी हूं । उन्हों ने एक जन साधारण के लिए इतना ज्यादा काम किया है ।

दोपहर का खाना का वक्त था , घर लौटने के रास्ते में श्री ली छिंग रन अपने पास गुजर रहे हरेक डाक्टर नर्स का अभिवादन करते थे , उन्हों ने संवाददाता से कहा कि आपरेशन के बाद उन्हें अस्पताल में नौकरी करते हुए तीन साल हो गए है , वे रोज स्वास्थ्य लाभ के लिए दौड़ने पर कायम रहे हैं , इसलिए वे पहले से कहीं अधिक मजबूत हो गये और मिजाज भी और ज्यादा खुश हो गयी है।

श्री ली छिंग रन का घर भी अस्पताल द्वारा प्रदान किया गया है , जो नवनिर्मित कर्मचारी होस्टल की इमारत में है , साफ सुथरे बरामदे के अंतिम भाग में एक 20 मीटर बड़ा कमरा है , जिस में अल्मारी , पलंग और टीवी सेट सुसज्जित है और विद्युत स्टोव में से भाप निकल रहा था और उन की पत्नी वांग छङ ली तरकारी बनाने में व्यस्त रही । परिवार के तीनों सदस्य बड़े चाव से खाना खाने में लगे रहे थे । इसी बीच श्री ली छिंग रन ने सुखमय भाव से हमारे संवाददाता से कहाः

अस्पताल मेरा घर है । उस ने मुझे जिन्दगी प्रदान की है और मुझे आगे जीवित होने की आशा व हिम्मत भी दी है । अस्पताल के सभी चिकित्सक और नर्स मेरे भाई बहन सरीखे हैं । मैं भी उन के लिए सब कुछ करने को तैयार हूं । मेरे पास उन के एहसान को चुकाने के लिए खास चीज नहीं है , मुझे अच्छी तरह जीवित होना चाहिए , यही उन के लिए सब से अच्छा जवाब है ।