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आज के इस कार्यक्रम में नोएडा उत्तरप्रदेश के नवीन कुमार, गुर्देशपुर पंज़ाब के कौशलेश्वर कुमार वर्मा और रोहतास बिहार के हाशिम आजाद के पत्र शामिल किए जा रहे हैं।
सब से पहले नोएडा, उत्तर-प्रदेश के नवीन कुमार के पत्र पर नजर डालें। उन्होंने पूछा है, चीनी सेना के आकार को कम करने के लिए चीन सरकार ने सैनिकों की संख्या में कितनी कटौती की है?गुर्देशपुर पंज़ाब के कौशलेश्वर कुमार वर्मा ने भी चीनी सैनिकों की संख्या जानना चाहा।
दोस्तो,वर्ष 2006 के शुरू में चीन सरकार ने घोषणा की कि पिछले साल के अंत तक चीनी सेना ने अपनी व्यवस्था में सुधार का कार्य निश्चित समय पर पूरा कर लिया। इस के तहत चीनी सैनिकों व सेनाधिकारियों की संख्या में 2 लाख की नयी कटौती हुई। इस तरह चीनी सेना में सेवारत लोगों की संख्या पहले से घटकर अब 23 लाख रह गयी है। चीनी सेना के सुधार-कार्य के नेतृत्वकारी दल के अध्यक्ष ने बताया कि यह सुधार-कार्य वर्ष 2003 में शुरू हुआ। पिछले 3 सालों के भीतर सैनिकों की संख्या 2 लाख कम की गयी। इस से चीनी सैनिकों की पूर्ण संख्या में थल सैनिकों का अनुपात अब तक के उनके इतिहास में सब से कम हो गया है।
ध्यान रहे, पिछली शताब्दी के 80 वाले दशक के मध्य में यानी वर्ष 1985 में चीन सरकार ने देश के आर्थिक विकास और सेना के गुणात्मक निर्माण व आधुनिकीकरण के उद्देश्य से पहली बार सैनिकों की संख्या में 10 लाख की कटौती का निर्णय लिया था। वर्ष 1997 में चीनी सेना ने केंद्र सरकार के नए निर्णय का पालन करते हुए अपने सदस्यों की संख्या में और 5 लाख की कमी करने का कार्य शुरू किया। संक्षेप में चीनी सेना ने पिछले 20 वर्षों में कुल तीन बार अपने सैनिकों और अधिकारियों की संख्या में कटौती की। फलस्वरूप चीनी सैनिकों व सेनाधिकारियों की संख्या पहले की लगभग 42लाख 40 हजार संख्या से घटकर 23 लाख रह गयी है।
गुर्देशपुर पंज़ाब के कौशलेश्वर कुमार वर्मा जी,आप ने चीनी प्रतिरक्षा के बारे में विस्तृत जानकारी मिसाल के लिए टंकों,लड़ाकू विमानों,हेलिकोप्टरों,राकेटों,अणुबमों और जहाजों व पनडुब्बियों की संख्या देने की जो मांग की,उसे पूरा करना हमारे बस का काम नहीं है।हमारी सलाह है कि आप इंटरनेट पर संबंधित जानकारी प्राप्त करे।वैसे भी हर किसी देश की प्रतिरक्षा-व्यवस्था क्या उस की किसी मीडिया संस्था द्वारा साफ़-साफ़ बताई जा सकती है?
रोहतास, बिहार के हाशिम आजाद ने अपने पत्र में पूछा है कि चीन में प्रधानमंत्री का कार्यकाल कितने सालों का होता है?
आप जानते हैं कि चीनी राष्ठ्रीय जन प्रतिनिधि सभा चीनी राजसत्ता की सर्वोच्च संस्था है। उस की भूमिका आप के देश भारत की लोकसभा जैसी है। चीनी राष्ट्रीय जन प्रतिनिधि सभा हर पांचवें साल आम चुनाव कराती है,जिस में देश के राष्ट्राध्यक्ष, उपराष्ट्राध्यक्ष,राष्ट्रीय जन प्रतिनिधि सभा की स्थाई समिति के अध्यक्ष, केंद्रीय सैन्य आयोग के अध्यक्ष, सर्वोच्च न्यायालय और सर्वोच्च अभियोक्ता आदि चुने जाते हैं। इसी तरह प्रधानमंत्री भी नियुक्त किये जाते हैं,पर इसके लिए राष्ट्राध्यक्ष की सिफारिश की जरूरत होती है।
चीनी संविधान के अनुसार प्रधानमंत्री का कार्यकाल 5 साल का है और एक व्यक्ति के लगातार केवल दो बार प्रधानमंत्री बनने का प्रावधान है,यानी प्रधानमंत्री का कार्यकाल लगातार 10 साल से अधिक नहीं हो सकता। चीन के वर्तमान प्रधानमंत्री वनच्यापो हैं,जिन का जन्म वर्ष 1942 के सितम्बर माह में थ्यानचिन शहर में हुआ था। 1968 में उन्हों ने पेइचिंग भू-विज्ञान विश्वविद्यालय का पाठ्यक्रम पूरा कर शोधकर्ता की उपाधि प्राप्त की और भूतत्वविज्ञानी बनने की राह पर कदम रखा। प्रधानमंत्री बनने से पहले वे उत्तरी चीन के कान्सू प्रांत की भू-विज्ञान अकादमी के निदेशक, केंद्रीय भूतत्व व खनन मंत्रालय के अनुसंधान-कार्यालय के प्रमुख,केंद्रीय सरकार के कार्यालय के प्रधान और उपप्रधान मंत्री आदि पद संभाल चुके हैं। वे ईमानदार,बुद्धिमान, हंसमुख और मिलनसार हैं। चीनी लोगों में वे बड़े लोकप्रिय हैं और उन की ऊंची साख है। अप्रैल 2005 में उन्होंने भारतीय प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के निमंत्रण पर भारत की पहली पांच दिवसीय औपचारिक व मैत्रीपूर्ण यात्रा की। नयी दिल्ली में भारतीय राजनेताओं से बातचीत के दौरान उन्होंने चीन-भारत संबंधों के वर्तमान विकास की भारी प्रशंसा की। उन के भारत प्रवास के दौरान चीन और भारत के बीच 21वीं शताब्दी के उन्मुख नये रणनीतिक साझेदारी संबंधों के समझौते पर हस्ताक्षर हुए। भारतीय मीडिया का मानना है कि चीनी प्रधानमंत्री वनचापो की यह भारत-यात्रा भारत-चीन मैत्री को एक कदम और आगे ले गयी है।

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