दोस्तो , आप जानते होंगे कि चीन के थांग राजवंश काल की कविताओं का चीन में ही नहीं , बल्कि विश्व के साहित्य इतिहास में खास ऊंचा स्थान रहा है । बड़ी संख्या में थांग राजवंश कालीन कविताओं का अंग्रेजी , फ्रांसीसी , रूसी और जर्मन भाषाओं में अनुवाद किया जा चुका है , चीन देश के भीतर भी उन का मंगोल व कोरियाई जैसी अल्पसंख्यक जातियों की भाषा में अनुवाद हुआ । लेकिन चीन की वेवूर जाति की भाषा में थांग राजवंश कालीन कविताओं का अनुवाद इस साल के मार्च माह में ही पूरा करके प्रकाशित हुआ , जिस का अनुवाद वेवूर अनुवादक श्री यासन .अवाज ने किया । आज के अल्पसंख्यक जाति कार्यक्रम के अन्तगर्त चले सिन्चांग का दौरा में मैं श्री यासन अवाज के बारे में कुछ परिचय दूंगी ।
वेवूर जाति के मशहूर अनुवादक श्री यासन .अवाज से हमारी मुलाकात सिन्चांग वेवूर स्वायत्त प्रदेश के सरकारी साहित्य इतिहास संग्रहालय में हुई , श्री यासन अवाज इस संग्रहालय में विशेष शोधकर्ता के रूप में कार्यरत हैं ।
मार्च माह के एक दिन , मौसम बहुत सुहावना था , सिन्चांग वेवूर स्वायत्त प्रदेश की राजधानी ऊरूमुची के जातीय भवन में चश्मा पहने प्रोफेसर यासन .अवाज थांग राजवंश की तीन सौ कविताओं का एक संग्रह लगन से पढ़ रहे थे , इसी संग्रह का प्रोफेसर यासन .अवाज ने हाल ही में वेवूर भाषा में अनुवाद करके प्रकाशन किया ।
श्री यासन अवाज का जन्म सिन्चांग के काश्गर क्षेत्र की इंचिशा काऊंटी में हुआ , 12 साल की उम्र में उन के पिता इस दुनिया से चल बसे , इस तरह घर का जीविका बोझ उन के बड़े भाई और बड़ी बहन के कंधे पर पड़ा और छोटे यासन .अवाज की पढ़ाई भी भाई बहन की मदद से पूरी हुई ।
मीडिल स्कूल में यासन .अवाज को देश के साहित्य में गहरी रूचि पैदा हुई थी , लेकिन घर की गरीब आर्थिक स्थिति के कारण यासन के लिए साहित्य की पुस्तकें खरीदना नामुमकिन था , घर में जो एकमात्र लोक काव्य पुस्तक थी , उस के तमाम विषयों को यासन अवाज ने रट कर याद कर लिया । लोककाव्य में दर्शनात्मक बौध निहित था , जिस ने साहित्य के सृजन के लिए यासन अवाज की बुद्धि खोल दी और उन्हों ने उस समय ही कविता लिखना शुरू किया , उन की कुछ रचनाएं भी उस समय की स्थानीय पत्र पत्रिकाओं में प्रकाशित की गई थी ।
हाई स्कूल से स्नातक होने के बाद अपनी श्रेष्ठ पढ़ाई के कारण वे पेइचिंग के एक मशहूर विश्वविद्यालय में हान भाषा पढ़ने के लिए भेजे गए । पेइचिंग में पढ़ने के दौरान उन्हों ने बड़ी मात्रा में चीन के क्लासिक और आधुनिक साहित्य पढ़े , जिस से उन में थांग राजवंश की कविताओं में विशेष रूचि उत्पन्न हुई । इस पर उन्हों ने हमें बतायाः
थांग राजवंश कालीन कविता पढ़ने से मुझे यो लगता था , मानो मैं किसी रहस्यमय राज्य में प्रवेश कर गया हो । मेरी नजर के सामने सुन्दर सुन्दर तस्वीरें दिखाई पड़ीं , जिन में मनमोहक प्राकृतिक सौंदर्य , विभिन्न स्वरूपों के शख्स , गली बाजारों के दृश्य और कथा कहानी मुझे लुभाते हो । मुझे लगता है कि कविता जेड की भांति कोमल , मुलायम और खूबसूरत है , लेकिन कविता का गुढ समझना मुश्किल है । थांग कालीन कविताओं को समझने के लिए मैं ने वेवूर भाषा का अनुवाद तलाशने की लाख कोशिश की थी , किन्तु इस समय का वेवूर भाषा में अनुवादित थांग कालीन कविता सटीक नहीं थी और कविता का सुन्दर बौध लुप्त हुआ था । इसी के कारण मैं ने थांग कालीन कविताओं का अनुवाद करने की अपनी कोशिश शुरू की , इस प्रकार की कोशिश से आगे थांग कालीन कविताओं का बेहतर अनुवाद करने के लिए मजबूत आधार तैयार किया गया ।
27 साल की उम्र में श्री यासन अवाज पेइचिंग के जातीय भाषा प्रकाशन गृह में दाखिल हुए । प्रकाशन काम से अवकाश समय वे हमेशा पार्क , पुस्तकालय या घर में किसी एकांत जगह पर बैठ कर थांग कालीन कविताओं के अध्ययन में जुटे रहे । प्रकाशन गृह में काम करने के दौरान भी उन्हों ने कुछ रचनाओं में उद्धृत थांग कालीन कविताओं या चीन के अन्य प्राचीन कालों के काव्यों का अनुवाद करने का काम किया , जिस से उन्हें प्राचीन चीनी कविताओं के अनुवाद के संदर्भ में काफी अच्छा अनुभव मिला । धीरे धीरे श्री यासन अवाज की काव्य अनुवाद योग्यता प्रकाशन गृह में सर्वमान्य हुई और उन के सहयोगी अकसर कविताओं के अनुवाद के लिए उन से मदद लेते थे ।
श्री यासन ने औपचारिक रूप से जो प्रथम थांग राजवंश कालीन कविता का अनुवाद किया था , वह थांग राजवंश के सुप्रसिद्ध कवि मङ होयन की कविता वसंत की सुबह थी , जिस की मशहूर वेवूर अनुवादक क्रीम .होजा ने बड़ी बड़ी तारीफ की । इस तरह थांग कालीन कविताओं का अनुवाद करने का उन का विश्वास और अधिक पक्का बन गया ।
श्री यासन अवाज की कोशिश कामयाब भी हुई , उन के द्वारा अनुवादित कुछ थांग कालीन कविताएं सिन्चांग के उच्च शिक्षालयों में वेवूर भाषा की पाठ्यपुस्तकों में चुनी भी गईं ।
श्री यासन अवाज अपनी सफलता पर पूरी तरह संतुष्ट नहीं रहे , उन्हों ने और ज्यादा संदर्भ सामग्रियों के अध्ययन से अनुवाद का स्तर और ऊंचा करने की आशा बांधी थी , उस समय यासन का वेतन ऊंचा नहीं था , घर की आर्थिक स्थिति भी ज्यादा अच्छी नहीं थी , फिर भी उन्हों ने अपने सारे पैसों को पुस्तक खरीदने में लगाया । लेकिन यासन अवाज की इस पसंद का घर वालों ने समर्थन नहीं किया , इसे लेकर उन में अकसर झगड़ा भी छिड़ा ।
दुख और थकान से श्री यासन अवाज बीमार पड़ा , पर अस्पताल में इराज के दौरान भी उन्हों ने थांग कालीन कविताओं का अध्ययन नहीं छोड़ा । जब फरसत मिली , तो वे कविता पढ़ने पार्क में जाया करते थे । उन्हों ने कहाः
उस समय थांग कालीन कविता मेरी प्रेमिका की भांति थी , मैं हमेशा उसे साथ लेता था और अध्ययन करता था । मैं सोचता हूं कि थांग राजवंश कालीन कविता चीनी राष्ट्र के श्रेष्ठ सांस्कृतिक धरोहर है , इस का वेवूर में अनुवादित पाठ होना अवश्यक है । इसी विश्वास पर मैं कायम रहता आया हूं ।
वर्ष 1994 में श्री यासन अवाज अपनी जन्म भूमि सिन्चांग में लौटे , वहां थांग कालीन कविता के प्रेमी वेवूर युवती पाइवन .गुली से मुलाकात हुई , समान पसंद के कारण दोनों विवाह के बंधन में बंध गए। पत्नी पाइवन गुली थांग काल की तीन सौ कविताओं के संग्रह का अनुवाद करने के लिए अपने पति का बड़ा समर्थन करती हैं ।
पत्नी के समर्थन में श्री यासन अवाज ने दस सालों के अथक अध्ययन के आधार पर तीन सौ थांग कालीन कविता संग्रह का अनुवाद पूरा किया है , जो इस साल प्रकाशित हो गया । अपनी इस सफलता पर उन्हों ने कहाः
मेरे जीवन काल में यह पुस्तक निकली है , इसे मैं अपनी संतान जैसी समझता हूं । साथ मैं यह उम्मीद भी करता हूं कि कोई दूसरे व्यक्ति मुझ से ज्यादा अच्छा अनुवाद कर सकते हैं , ताकि सिन्चांग के अनुवाद कार्य के लिए और ज्यादा योगदान किया जा सके ।
तीन सौ थांग कालीन कविता संग्रह की अनुवादित पुस्तक में थांग राजवंश के सुप्रसिद्ध चीनी कवि ली पाई , तु फू और पाई छ्युयी आदि 62 लोगों की 310 कविताएं शामिल हैं , जिन से उस जमाने की विभिन्न शैलियों और विविध छंदों की अभिव्यक्ति हुई है ।
वेवूर भाषा में श्री यासन अवाज की यह अनुवादित पुस्तक चीन के समाज में सर्वमान्य हुई । सिन्चांग वेवूर स्वायत्त प्रदेश के अनुवादक संघ के अध्यक्ष , जातीय भाषा व साहित्य कार्य कमेटी के प्रधान श्री मेमेती .एली ने पुस्तक की तारीफ करते हुए कहाः
प्रोफेसर यासन अवाज द्वारा अनुवादित थांग कालीन कविताएं भाषा में सुबौध , शैली में सुन्दर , भाव में मोहिक तथा छंद में नियमबद्ध रही हैं, जिन से थांग कविताओं की विशेष मोहक शक्ति व्यक्त हुई है । उन की अनुवादित कविता पढ़ने से थांग राजवंश के कवियों का मनोभाव सटीक समझा जा सकता है ।
पत्नी के समर्थन और समाज की मान्यता पा कर प्रोफेसर यासन अवाज का विश्वास और पक्का हो गया , उन की योजना है कि भविष्य में वे चीन के पश्चिमी भाग के आर्थिक , सांस्कृतिक व ऐतिहासिक विषयों पर लिखी थांग कालीन कविताओं का वेवूर भाषा में अनुवाद करेंगे , ताकि देश की हान व वेवूर जातियों के बीच सांस्कृतिक आदान प्रदान और घनिष्ट हो जाए।
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