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(GMT+08:00) 2006-05-23 18:50:41    
एक गोंबू दर्जी की तमन्ना

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दर्जी के रूप में आधी शताब्दी का काम करने से श्री ओजू को समृद्ध अनुभव संजोए हुए हैं । उन के गोंबू वस्त्र श्रेष्ठ गुणवता तथा सुन्दर रंगढंग के लिए बहुत नामी हुए हैं । दूर दूर से लोग उन से गोंबू बनवाने आते हैं और हर महीने में उन के पास वस्त्र के आर्डर बड़ी मात्रा में आते हैं । इसलिए वे अत्यन्त व्यस्त रहते हैं । उन के द्वारा बने बनाए साधारण गोंबू एक या दो सौ युन्न के हैं और त्यौहार में पहनने वाले बढ़िया गोंबू तीन चार हजार युन्न तक बिकते हैं । इस तरह श्री ओजू को गोंबू से ही सात आठ हजार युन्न की मासिक आय मिलती है ।

जीवन सुधर जाने के बाद श्री ओजू मात्र कमाई के लिए गोंबू बनाने पर संतुष्ट नहीं रहे , वे अपने हुनर को दूसरों को सिखाना चाहते हैं , ताकि तिब्बती जाति की यह विरल परिधान संस्कृति बरकरार रहे । श्री ओजू के अनुसार वर्तमान में बहुत से लोग गोंबू पसंद करते हैं , लेकिन आधुनिक रंगढंग के वस्त्र , सूट पैंट , जीन्स और टी शर्ट तिब्बती लोगों का उपभोक्ता स्तर उन्नत होने के साथ उन के जीवन में प्रवेश कर गए , इसलिए अब गोंबू पहनने वाले लोगों की संख्या घट गई है । लिनची तो गोंबू दर्जियों का आबाद इलाका है , यहां भी गोंबू दर्जियों की संख्या अब लगातार कम होती जा रही है। तिब्बती जाति की इस अनूठी वस्त्र संस्कृति के सामने गंभीर चुनौति पड़ी है ।

श्री ओजू का तमन्ना है कि उन का अपना यह अच्छा हुनर पीढ़ि दर पीढि जारी रहे । लेकिन उन के बेटे बेटियों ने सिलाई का कौशल नहीं सीखा । अपना तमन्ना को मूर्त रूप देने के लिए उन्हों ने अपनी वस्त्र दुकान में छै चेले बुलाए और वे खुद उन्हें गोंबू की तकनीक सीखते हैं , इस के अलावा वे लिनची मिडिल स्कूल में खोली गई गोंबू शिक्षा कक्षा में छात्रों को पढ़ाने भी जाते हैं । हर सुबह वे अपनी दुकान में अपने चेलाओं को सीखाते है और दोबहरबाद लिनची मिडिल स्कूल में गोंबू कक्षा पढ़ाते हैं ।

लिनची मिडिल स्कूल जुनियर माध्यमिक स्कूल है , जहां आम शिक्षा कक्षाओं के अलावा विशेष तौर पर गोंबू और थांगखा तिब्बती चित्रकला कक्षाएं भी खोली गई हैं । गोंबू सिलाई कक्षा में अब 37 छात्र और 40 सिलाई मशीनें हैं । स्कूल ने श्री ओजू को गोंबू कक्षा के छात्रों को हुनर सिखाने के लिए आमंत्रित किया । स्कूल की उप कुलपति सुश्री रे वांन रों ने बताया , विशेष भौगोलिक स्थिति के कारण यहां के किसानों और चरवाहों के घरों में श्रम शक्तियों की आवश्यकता है , इसलिए कुछ किसान व चरवाह परिवार अपने बच्चों को स्कूल जाने देना नहीं चाहते हैं । स्कूली उम्र वाले बच्चों को ज्यादा से ज्यादा स्कूल में दाखिल करने तथा उन्हें अच्छी शिक्षा देने के लिए स्कूल ने विशेष व्यवसाय कक्षाएं खोलीं । वे स्कूल में आम शिक्षा विषय पढ़ने के अलावा गोंबू व थांगखा जैसी विशेष तिब्बत जातीय कला सीखते हैं । ये छात्र स्नातक होने के बाद एक किस्म का व्यवसायी हुनर भी सीख चुके हैं और खुद दुकान खोल कर रोजगारी पा सकते हैं । साथ ही इस क्षेत्र के आर्थिक विकास को मदद भी मिल सकेगी । सुश्री रे वानरों ने कहाः

काऊंटी शिक्षा ब्यूरो के भरपूर समर्थन में हमारे स्कूल ने गोंबू कक्षा खोली है , कक्षा के शिक्षक स्थानीय लोगों में बहुत मशहूर है , इसलिए बहुत से बच्चों के अभिभावक अपने बच्चों को स्कूल में भेजना चाहते हैं । हमारा उद्देश्य है कि हमारे स्कूल के छात्रों को एक न एक व्यवसायी तकनीक सिखायी जाए और तिब्बत जाति के गोंबू वस्त्र आगे विकसित किए जाए ।

वर्ष 2004 में श्री ओजू लिनची मिडिल स्कूल में सिलाई कला सिखाने आए , वे गोंबू की कला पढ़ाने में मेहनत और उत्साहपूर्ण रहे हैं और अक्सर छात्रों के साथ गोंबू कला के बारे में विचारों का आदान प्रदान भी करते हैं , वे अपने और छात्रों द्वारा मिल कर बनाए गए गोंबू वस्त्र अपनी दुकान में बेचने लाते हैं , जिस से छात्रों के उत्साह और सरगर्मी को बढ़ावा मिल सकता है । छात्रों की निरंतर प्रगति पर श्री ओजू को बहुत खुशी हुई । वे कहते हैः

गोंबू एक विशेष अनोखी जातीय वस्त्र है ,अब गोंबू बनाना जानने वाले लोगों की संख्या कम हो गई है , मुझे चिंता है कि कही तिब्ब्त जाति की यह वस्त्र कला लुप्त तो नही हो जाए । लिनची मिडिल स्कूल की इस कोशिश से मेरी चिंता दूर हो गई ।मैं आशा करता हूं कि गोंबू इलाके में अधिक से अधिक लोग गोंबू बनाने में माहिर होंगे । मैं अब बहुत से छात्रों को सिखाता हूं , उन के माध्यम से मेरा हुनर बरकरार रहेगा , इसलिए मैं अत्यन्त प्रसन्न हूं ।

ओजू की तमन्ना की भांति लिनची काऊंटी के शिक्षा ब्यूरो के पार्टी कमेटी सचिव येलिंग की भी इस क्षेत्र में कोशिश हो रही है, उन का कहना है कि तिब्बत जाति की श्रेष्ठ परम्परा और संस्कृति विरासत में लेना और उसे विकसित करना बहुत जरूरी है ,अपने विकास में तिब्बत जाति को अपनी अलग पहचान और विशेषता बनाए रखना चाहिए , महज जाति विशेष की चीज होती है , वह समूची दुनिया की बन सकती है । इसलिए काऊंटी शिक्षा ब्यूरो ने लिनची मिडिल स्कूल को गोंबू कक्षा खोलने में विशेष धन राशि का अनुदान कर समर्थन दिया । श्री यलिंग का कहना हैः

गोंबू वस्त्र प्रोसेसिंग तिब्बती संस्कृति को विरासत में लेकर विकसित करने का महत्व रखता है , हम इस का भरसक समर्थन करते हैं । यदि भविष्य में कोई भी लोग गोंबू जैसे विशेष जातीय वस्त्र बनाना नहीं जानता , सभी लोग हान जाति के आधुनिक रंगढंग के वस्त्र या फ्रांसीसी वस्त्र पीटर्खातन पहननेंगे , तो हमारी जातीय विशेषता जरूर खो जाएगी ।

इन सालों में चीन में लोग तिब्बत की परम्परागत संस्कृति को विरासत में विकसित करने पर ज्यादा ध्यान देने लगे हैं, अधिक से अधिक दूरदर्शी लोगों की कोशिशों से ओजू का मनसूबा निश्चय ही साकार होगा और तिब्बती जाति का परम्परागत संस्कृति अवश्य ही विकसित और समृद्ध होगी ।