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(GMT+08:00) 2006-05-22 17:08:15    
पेइचिंग विश्विद्यालय में भारतीय-उत्सव का आयोजन

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22 मई की सुबह दस बजे, भारतीय-उत्सव पेइचिंग विश्विद्यालय के थियेटर के सामने चौक में शानदार रुप से आयोजित हुआ। वर्ष 2006 चीन-भारत मैत्री वर्ष की सिलसिलेवार गतिविधियों में से एक भाग होने के नाते, वर्तमान उत्सव पेइचिंग विश्विद्यालय के भारतीय अनुसंधान-केंद्र और चीन स्थित भारतीय राजदूतावास द्वारा संयुक्त रुप से आयोजित हुआ। उद्घाटन-समारोह में पेइचिंग विश्विद्यालय की कम्युनिस्ट पार्टी की स्थायी कमेटी के उप सचिव, पेइचिंग विश्विद्यालय के भारतीय अनुसंधान-केंद्र की प्रबंध कमेटी के प्रधान प्रोफेसर वू जी फेन, चीन स्थित भारतीय राजदूत श्री नलिन सूरी, पेइचिंग विश्विद्यालय के विदेशी भाषा अकादमी के प्रधान प्रोफेसर छन चाओ श्यांग और पेइचिंग विश्विद्यालय के लगभग सौ व्यक्तियों ने उद्घाटन समारोह में भाग लिया।

पेइचिंग विश्विद्यालय के भारतीय अनुसंधान-केंद्र के उप प्रधान श्री शांग ह्वेई फंग ने उद्घाटन-समारोह की अध्यक्षता की। पेइचिंग विश्विद्यालय के भारतीय अनुसंधान-केंद्र की प्रबंध कमेटी के प्रधान श्री वू ची फेन , चीन स्थित भारतीय राजदूत श्री नलिन सूरी आदि लोगों ने भाषण दिये।

अपने भाषण में श्री शांग ह्वेई फंग ने कहा कि वर्ष 2005 के अप्रैल में चीनी प्रधान-मंत्री वन चा पाओ ने भारत की सफलतापूर्ण राजकीय यात्रा की। चीन व भारत ने शांति व समृद्धि के उन्मुख रणनीतिक साझेदारी संबंधों की स्थापना की और वर्ष 2006 को चीन-भारत मैत्री वर्ष घोषित किया। यह पिछले 50 वर्षों में चीन व भारत के संबंधों में एक बड़ी घटना है।वर्ष 2006 चीन भारत मैत्री वर्ष की गतिविधियों में से एक भाग होने के नाते, इस उत्सव ने अनेक लोगों का ध्यान खींचा है। पेइचिंग विश्विद्यालय के भारतीय अनुसंधान-केंद्र और चीन स्थित भारतीय राजदूतावास द्वारा संयुक्त रुप से इस उत्सव का आयोजन किया गया। श्री शांग ह्वेई फंग ने कहा,पेइचिंग विश्विद्यालय चीन में भारतीय शास्त्र के अध्ययन व अनुसंधान का केंद्र है। पेइचिंग विश्विद्यालय में भारत के बारे में अध्ययन व अनुसंधान वर्ष 1917 में शुरु हुआ, जिस का एक लम्बा इतिहास है। वर्ष 1946 में पेइचिंग विश्विद्यालय में पूर्वी भाषा व साहित्य विभाग की स्थापना हुई , जिस में भारतीय भाषा व साहित्य की कक्षाएं खोली गयीं। प्रोफेसर ची श्येन लींग और चिन ख मू आदि अध्यापकों के नेतृत्व में चीन में सच्चे माइने में भारतीय अध्ययन व अनुसंधान का कार्य शुरु हुआ। पेइचिंग विश्विद्यालय का भारतीय अध्ययन व अनुसंधान केंद्र ही चीन में भारतीय-शास्त्र का केंद्र रहा है और अंतर्राष्ट्रीय समुदाय में उस का खासा असर भी है। वर्ष 2004 में, चीन की यात्रा कर रहे भारतीय भूतपूर्व प्रधान मंत्री वाजपेई और चीनी नेता के संयुक्त तत्वाधान में पेइचिंग विश्विद्यालय के भारतीय अनुसंधान केंद्र की औपचारिक स्थापना हुई। यह केंद्र मुख्यतः पेइचिंग विश्विद्यालय के विदेशी भाषा अकादमी, इतिहास-विभाग व दर्शन-शास्त्र विभाग, अंतर्राष्ट्रीय संबंध अकादमी और भारत से संबंधित विभागों से गठित हआ है। इस केंद्र का मुख्य भाग तो पेइचिंग विश्विद्यालय का हिन्दी भाषा व संस्कृति विभाग है, जो इस क्षेत्र में चीन में हिन्दी पढ़ाने व भारतीय संस्कृति का अनुसंधान करने वाला एकमात्र विभाग है।

पेइचिंग विश्विद्यालय के भारतीय उत्सव पर अनेक गतिविधियों का आयोजन किया जाएगा। चीनी सामाजिक व वैज्ञानिक अकादमी, पेइचिंग विश्विद्यालय, अमरीका के हावर्ड विश्विद्यालय, चीनी पूर्वी नृत्य-गान मंडल से आये चीनी विद्वानों व कलाकारों और भारत स्थित चीनी राजदूतावास द्वारा संयुक्त रुप से संगोष्ठियां का आयोजन भी किया जाएगा, जिन में चीन-भारत संस्कृति आदान-प्रदान, भारतीय-नृत्य, भारतीय-अर्थतंत्र, भारतीय युवक आदि विषय शामिल होंगे। इस के अलावा, इस वर्ष के जुलाई माह में चीन में आयोजित होने वाले अंतर्राष्ट्रीय फिल्म-समारोह में दिखायी जाने वालीं 10 भारतीय फिल्मों में से 3 फिल्में भी पेइचिंग विश्विद्यालय में दिखायी जाएंगी। उत्सव के दौरान, चीन व भारत के युवक भी एक साथ मिलन-समारोह का आयोजन करेंगे।

चीन स्थित भारतीय राजदूत श्री सूरी ने वर्ष 2006 चीन-भारत मैत्री वर्ष के अवसर पर चीन व भारत द्वारा आयोजित होने वाली अनेक गतिविधियों का परिचय भी दिया। उन्होंने कहा, अब भारत-चीन संबंध एक बहुत जोशीले काल में प्रवेश कर गया है। हम दोनों देश समान समस्याओं का सामना कर रहे हैं। हमें एक दूसरे से सीखना व एक दूसरे को प्रोत्साहित भी करना चाहिए। हमें आशा है कि भिन्न-भिन्न सांस्कृतिक गतिविधियों , फिल्म-उत्सवों और संगोष्ठियों से चीनी लोगों को भारत के विभिन्न क्षेत्रों के बारे में जानकारी मिल सकेगी।

उद्घाटन-समारोह में महात्मा गांधी की चित्र-प्रदर्शनी और भारत के रीति-रिवाज़ों व प्राकृतिक दृश्यों को प्रतिबिंबित करने वाली चित्र-प्रदर्शनी भी लगायी गयी। इन रंग-बिरंगे चित्रों ने अनेक लोगों को आकर्षित किया। मौके पर हमारी मुलाकात पेइचिंग विश्विद्यालय के क्वांगह्वा प्रबंध अकादमी की विद्यार्थी ल्यू ई व्येन से हुई। भारतीय परम्परागत नृत्य व चित्र प्रदर्शनी को देखने के बाद उन्होंने कहा कि वे भी भारत की यात्रा करना चाहती हैं। उन्होंने वर्तमान उत्सव की भूरी-भूरी प्रशंसा की। मुझे आशा है कि भविष्य में इसी तरह की अनेक गतिविधियों का आयोजन किया जाएगा। भारत के प्रति अनेक चीनी लोगों की जानकारी बहुत नहीं है। मैं आशा करती हूं कि फिल्में, संगीत व नृत्य जैसे सांस्कृतिक माध्यमों से,हम चीनी लोग भारत के बारे में जानकारी प्राप्त कर सकेंगे। मुझे पक्का विश्वास है कि लोग मेरी ही तरह बड़ी दिलचस्पी के साथ इस तरह की गतिविधियों में भाग लेंगे।

वर्तमान पेइचिंग विश्विद्यालय का भारतीय उत्सव 10 दिनों तक चलेगा। पेइचिंग विश्विद्यालय के हिन्दी-विभाग के प्रोफेसर चांग चीन ख्वेई ने परिचय देते समय वर्तमान गतिविधि के तीन मकसद बताये। उन के अनुसार, हम चीन-भारत मैत्री के लिए कुछ न कुछ करना चाहते हैं। हम आशा करते हैं कि यह गतिविधि पेइचिंग विश्विद्यालय की भारतीय पढ़ाई व अनुसंधान को आगे बढ़ाने के लिए प्रेरित करेगी। हम संगोष्ठियों व फिल्मों के जरिये और अधिक चीनी युवकों को भारत के बारे में जानकारी देंगे।

हां, युवकों की भागीदारी बहुत महत्वपूर्ण है, क्योंकि वे देश के भविष्य हैं। उत्सव में अनेक युवकों की भागीदारी से हम देख पाते हैं कि चीन-भारत मैत्री का उज्ज्वल भविष्य है।