चीनी चित्रकार छङ तान छिंग पेइचिंग के मशहूर छिंगह्वा विश्वविद्यालय में चित्रकला विभाग में प्रोफेसर के पद पर थे।
पचास वर्षीय छंङ तान छिंग एक संजीदा चित्रकार माने जाते हैं। कभी कभार वे परम्परागत चीनी पोशाक में भी दिखाई देते हैं। उन की आंखे बहुत तेज हैं मानो वे हर समय दुनिया को देख रहे हों। चीनी भाषा में उन के नाम का मतलब ही है- चित्रकला। हमारे संवाददाता के साथ एक साक्षात्कार में छंग तान ने बताया कि उन का चित्रकला का जीवन तीन भागों में बंटा हुआ है- पहला जब वे गांव में रहते हुए चित्र बनाते थे, दूसरा जब वे आगे अध्ययन के लिये अमरीका गये, और तीसरा स्वदेश लौट कर चित्र बनाना।
युवावस्था के दिनों में वे शांघाई में रहते थे। एक बार उन्हें पश्चिमी चित्रों को देखने का मौका मिला, और उन के मन में खुद चित्र बनाने की रुचि पैदा हुई। 1970 में छंग तांग छिंग च्यांग शी प्रांत के ग्रामीण क्षेत्र में आ बसे और किसान बन गये। उन दिनों वे दिन भर खेती का काम करते और शाम को खेत में बैठ कर डूबते सूर्य को देखते और अपने भविष्य के बारे में सोचते। खेती के काम से जो खाली समय बचता उस में वे चित्र बनाने लगे। इस के बाद वे भस्म कलश पर चित्र बनाने वाले एक कारखाने में पेशेवर चित्रकार मजदूर बन गये। इस बात की चर्चा करते हुए उन्होंने कहा-
उसी समय मैं अस्थि कलश पर चित्र बनाने वाला पेशेवर मजदूर बन गया था। यह काम मैंने एक स्थानीय अध्यापक से सीखा।
इस अनुभव से छंग तान छिंग को चित्र बनाने में बड़ी मदद मिली। बाद में उन्होंने
विभिन्न किस्मों के चित्र बनाये, और धीरे-धीरे स्थानीय ग्रामीण क्षेत्र में लोकप्रिय हो गये।
वर्ष 1976 के सितम्बर माह मैं वे चित्र बनाने के लिये चीन के तिब्बत स्वायत क्षेत्र में आए। इसी वर्ष नए चीन के संस्थापक राष्ट्राध्यक्ष माओत्से तुंग का निधन हो गया। सारा देश दुख के सागर में डूब गया।इस महत्वपूर्ण राजनीतिक घटना से प्रेरित हो कर छंग तान छिंग ने फसलों के खेत में तिब्बती किसानों के आंसू नामक एक विशाल तैल चित्र रचा। चित्र में जौ की बालियां सूर्य की रोशनी में सोने जैसी चमक रही हैं, किसानों के चेहरों पर इस खबर से उत्पन्न दुख की छाया मंडरा रही है। इस चित्र ने किसानों की जटिल भावना को बहुत अच्छी तरह अभिव्यक्त किया।
फसलों के खेत में तिब्बती किसानों के आंसू नामक इस तैल चित्र ने चीनी चित्र प्रदर्शनी में भाग लिया और उस का उच्च् मूल्यांकन किया गया। इस तरह छंग तान छिंग का नाम चीनी जगत में गूंज उठा और वह रातों रात प्रसिद्ध हो गये। बाद में तैल चित्र बनाना सीखने वाले छात्र उन के यहां आने लगे। इस की चर्चा करते हुए छंग तान छिंग ने कहा-
इस चित्र को मेरी सब से सौभाग्यशाली रचना माना जाता है। उस समय मैंने यह चित्र बनाया और मुझे इस का लाभ मिला। वर्ष 1978 के सितम्बर माह में राष्ट्रस्तरीय बी ए डिग्री के लिए पढने शहर वापस गया, और उसी समय मैंने औपचारिक रुप से ग्रामीण जीवन से विदा ले लिया।
चीनी केंदीय चित्रकला कालेज में छंग तान छिंग ने विस्तार से पश्चिमी चित्र कला का अध्ययन किया और इस तरह उन का पेशेवर चित्रकार का जीवन शुरु हुआ।दो साल बाद वे फिर तिब्बत वापिस आए। यहां के खूबसूरत दृश्यों ने उन का मन मोह लिया, वह हर दिन तिब्बती लोंगों से बात करते, उन्हें देखते और उन के चित्र बनाते। इसी दौरान उन्होंने अपनी श्रेष्ठ रचना तिब्बत के बार में के श्रंखला चित्र बनाऐ। वर्ष 1980 के अक्तूबर माह में इन चित्रों की प्रदर्शनी चीनी केंदीय चित्रकला कालेज में लगी और इसे भारी सफलता प्राप्त हुई। तिब्बत के बार में चित्र श्रंखला को आधुनिक चित्र कला के इतिहास में एक मील का पत्थर माना जाता है।
तिब्बत के बार में चित्र श्रंखला की सफलता से छंग तान छिंग को संतोष नहीं हुआ। वे कभी कभी अपने चित्रों को दर्शक की निगाह से देखते और चित्र में मौजूद कमियां खोजा करते।उन्होंने महसूस किया कि चित्र बनाने के लिये और गहन अध्ययन की जऱुरत है। इसलिये सन 1982 में पर वह अपने एक रिश्तेदार के निमंत्रण पर आगे अध्ययन के लिए अमरीका चले गये। वहां उन्होंने बड़ी संख्या में पश्चिमी चित्रकारों की रचनाओं को देखा और गहन अनभव प्राप्त किया। जीवन बिताने के लिये वहां वह एक गैलरी में चित्र बनाने लगे और इस प्रकार अपना सृजन कर्म जारी रखा। अमरीका में उन्होंने 18 वर्ष बिताये और चित्र बनाना कभी नहीं छोड़ा। इस काल में उन्होंने बड़ी तादाद में चित्र बनाये और पर्याप्त अनुभव हासिल किया।
वर्ष 2000 में वे स्वदेश लौटे और एक विशेष प्रोफेसर के रुप में छिंगह्वा विश्वविद्यालय के चित्रकला विभाग में पढाने लगे। उन की वापसी ने चीनी चित्रकला जगत में एक नयी जीवन शक्ति का संचार किया। उन की कलात्मक विचारधारा और अध्ययन के उन के विशेष तरीके ने चीनी कला जगत में एक नया अध्याय जोड़ा।
छंग तान छिंग हर एक विद्यार्थी को अलग अलग ढंग से पढाते हैं और उस की सृजनात्मक शक्ति को विकसित होने का पूरा अवसर देते हैं। चीन में कलात्मक शिक्षा के विकास के लिये उन्होंने अपने सुझाव भी पेश किये जिन्हें चीनी शिक्षा विभाग ने बहुत महत्व दिया.
वर्ष 2004 में छंग तान छिंग ने छिंगह्ला विश्वविद्यालय के पद को त्याग दिया और एक स्वतंत्र चित्रकार बन गये।
वर्ष 2002 में उन्होंने छंग तान छिंग संगीत नोट पुस्तक प्रकाशित की, जिस में उन्होंने न्यूयार्क में रहने के दौरान संगीत सुनने के अपने अनुभव को लिपिबद्ध किया गया है। इस के अलावा कई लेख भी उन्होंने लिखे, जिन्हें पाठकों ने पसंद किया। इस बारे में उन्होंने कहा-
मेरे एडिटर ने मुझे बताया है कि मेरे लेखों की अच्छी बिक्री है। मेरे लेखन को पाठकों की मांयता मिली, यह खुशी की बात है। लेकिन मेरा विचार है कि मेरे चित्र सब पाठकों तक नहीं पहुंच पाते हैं, इसलिये अभी तक मेरी इच्छा के अनुसार उन्हें मान्यता नहीं मिली ।
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